“दिलों को फिर धड़काना जिनकी फितरत है – मेदांता लखनऊ के डॉ. प्रवीन कुमार गोयल और उनकी टीम की इंसानियत भरी दास्तान
रिपोर्टिंग: रिज़वान मुस्तफा | स्थान: लखनऊ
एक इमरजेंसी, एक इम्तहान और एक इबादत की मिसाल
रमज़ान की आख़िरी शाम थी। आसमान पर ईद का चाँद मुस्कुरा रहा था, लेकिन मेरी ज़िन्दगी जैसे किसी और मोड़ पर आ गई थी। सीने में तेज़ दर्द ने अचानक घेर लिया। मैं सोच रहा था कि रोज़े की विदाई की दुआ पढ़ूं, लेकिन अब दुआएं मेरे लिए पढ़ी जा रही थीं। परिवार घबराया हुआ था। लखनऊ के लारी कार्डियोलॉजी में दाख़िला मिला, पर वहाँ हालात ऐसे नहीं थे कि भरोसा किया जा सके।
वहीं से एक फ़ैसला मेरी ज़िन्दगी बदल गया। वफ़ा अब्बास और डॉक्टर शहामत हुसैन रिज़वी ने सलाह दी — “चलो मेदांता, वहाँ उम्मीद भी है और इलाज भी।” एम्बुलेंस बुलाई गई और आधी रात को हम निकले उस जगह की ओर, जहाँ सिर्फ़ मशीनें नहीं, बल्कि मसीहा भी मिलते हैं।
मेदांता लखनऊ: जहाँ इलाज सिर्फ़ तकनीक नहीं, इंसानियत भी है
मेदांता लखनऊ, उत्तर भारत का एक अग्रणी मल्टी-सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, जहाँ हज़ारों मरीज़ों को नई ज़िन्दगी मिली है। लेकिन इस इमारत को जानदार बनाते हैं वो लोग, जो यहाँ काम करते हैं—ख़ासतौर पर एक नाम जो दिलों की धड़कनों को दोबारा चालू करता है, वो है:
डॉ. प्रवीन कुमार गोयल – एक सर्जन, एक हमदर्द, एक प्रेरणा
डॉ. गोयल केवल एक कार्डियक सर्जन नहीं हैं। उनके हाथों में वो शिफा है जो लोगों को नाउम्मीदी से उम्मीद तक लाती है। उन्होंने मेरी एंजियोग्राफी की, जिसमें पता चला कि दिल की तीन नसें ब्लॉक थीं। अगले ही दिन एंजियोप्लास्टी की गई और फिर धीरे-धीरे दो और नसों को खोलकर मेरा दिल एक बार फिर नई ज़िन्दगी के लिए तैयार कर दिया गया।
उनकी टीम – हर धड़कन को अपनी ज़िम्मेदारी समझने वाली एक मिशनरी टीम
डॉ. गोयल की टीम में हर शख्स एक अलग शख्सियत है:
- ICU नर्सिंग स्टाफ – हर समय मुस्कान और भरोसे के साथ सेवा करती हैं।
- कार्डियक टेक्नीशियन्स – हर मॉनिटर की बीप पर उनकी नज़र रहती है।
- एनेस्थेसियोलॉजिस्ट्स – ऑपरेशन के दौरान सुकून की सांस सुनिश्चित करते हैं।
- परामर्शदाता – मरीज़ और उनके परिजनों को हर प्रक्रिया की जानकारी देकर मानसिक सहारा देते हैं।
कुछ मानवीय पहलू जो डॉ. गोयल को और ऊँचा बनाते हैं:
- हर मरीज़, एक कहानी – उनके लिए कोई भी केस “रूटीन” नहीं होता। वो हर मरीज़ को एक नई चुनौती और नई ज़िम्मेदारी के रूप में लेते हैं।
- परिजनों से संवाद – वो हर प्रक्रिया को मरीज़ के परिजनों को सहज भाषा में समझाते हैं, जिससे डर कम होता है और विश्वास बढ़ता है।
- आर्थिक मदद और एनजीओ से संपर्क – जो मरीज़ आर्थिक रूप से कमज़ोर होते हैं, उनके लिए ये टीम किसी NGO से संपर्क करती है, कभी-कभी खुद भी मदद करती है।
मरीज़ों की जुबानी – ‘जैसे कोई अपना हो’
- बहराइच के एक मरीज़, जिन्हें दिल का दौरा पड़ा था और गाँव में इलाज नामुमकिन था। मेदांता लाए गए, जहाँ डॉ. गोयल ने उनकी नब्ज़ ही नहीं, किस्मत भी बदल दी।
- गोंडा से एक महिला मरीज़, जिनकी हार्ट वॉल्व सर्जरी जटिल थी, लेकिन डॉ. गोयल ने उसे ऐसी सहजता से किया कि अब वो न केवल ठीक हैं, बल्कि हर साल उनकी टीम को राखी भेजती हैं।
क्यों डॉ. गोयल की टीम को ‘दिल के फ़रिश्ते’ कहा जाता है?
- 24×7 उपलब्धता – आधी रात हो या त्योहार, एक कॉल पर पूरी टीम एक्टिव।
- बेस्ट इन क्लास टेक्नोलॉजी – ECMO, हार्ट ट्रांसप्लांट, मिनिमली इनवेसिव सर्जरी में विशेष दक्षता।
- इंसानी जज़्बा – सिर्फ़ प्रोफेशनल नहीं, संवेदनशील और हमदर्द टीम।
एक नई सुबह की शुरुआत
अब जब मैं घर लौट आया हूँ, ज़िन्दगी की हर धड़कन एक एहसान की याद दिलाती है। डॉ. प्रवीन गोयल और उनकी टीम ने यह सिखा दिया कि डॉक्टर सिर्फ़ डॉक्टर नहीं होता, वो रहमत का ज़रिया भी हो सकता है।
जब समाज में डॉक्टरी को सिर्फ़ पेशा नहीं, बल्कि सेवा और इबादत समझा जाए, तो ऐसे डॉक्टर सामने आते हैं जिनकी वजह से मरीज़ों के साथ-साथ पूरा समाज सेहत और सुकून पाता है।
मेदांता लखनऊ को डॉ. गोयल और उनकी टीम जैसे फरिश्तों पर नाज़ होना चाहिए। और हम सबको शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि हमारी धड़कनों की हिफाज़त करने वाले ऐसे लोग हमारे बीच मौजूद हैं।
क्या आप चाहेंगे कि इस रिपोर्ट के साथ डॉक्टर्स की तस्वीरें, मरीज़ों की वीडियो स्टेटमेंट, और मेदांता की उपलब्धियों का इन्फोग्राफिक भी जोड़ा जाए? यह रिपोर्ट सोशल मीडिया, स्थानीय अख़बारों, या हेल्थ मैगज़ीन्स में प्रकाशित करने के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।
“वो सिर्फ़ दिल की नसें नहीं खोलते, इंसानों में फिर से जीने का जज़्बा भरते हैं – यही हैं डॉ. प्रवीन कुमार गोयल।”