भारत ने COVID-19 महामारी के दौरान अपनी क्षमताओं से परे जाकर दी दुनिया को मदद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब COVID-19 महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया, तब भारत ने अपनी सीमित क्षमताओं के बावजूद मानवता की सेवा के लिए पूरी लगन से प्रयास किए। भारत ने न केवल अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि वैश्विक समुदाय की भी मदद की। महामारी के इस कठिन समय में भारत ने विश्व बंधुत्व और “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना को प्रदर्शित किया।
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने विभिन्न देशों को आवश्यक दवाओं की आपूर्ति की, जो उस समय जीवनरक्षक साबित हुईं। इनमें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पेरासिटामोल जैसी दवाएं प्रमुख थीं, जो उस समय COVID-19 के इलाज में उपयोग की जा रही थीं। इसके अलावा, भारत ने वैक्सीन निर्माण के क्षेत्र में अपनी मजबूत स्थिति का उपयोग करते हुए “वैक्सीन मैत्री” कार्यक्रम के तहत 100 से अधिक देशों को COVID-19 टीके भेजे।
भारत ने न केवल छोटे और विकासशील देशों की मदद की, बल्कि उन देशों तक भी पहुंच बनाई जहां स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति कमजोर थी। इस पहल ने भारत को “दुनिया की फार्मेसी” के रूप में स्थापित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मदद हमारी आत्मनिर्भरता और वैश्विक जिम्मेदारी का प्रतीक थी।
महामारी के दौरान भारत ने वैश्विक स्वास्थ्य संकट के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत ने न केवल दवाओं और टीकों की आपूर्ति की, बल्कि अपने अनुभव और विशेषज्ञता को भी साझा किया। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने डिजिटल तकनीक और दूरसंचार माध्यमों का उपयोग करके विभिन्न देशों को महामारी प्रबंधन में सहायता प्रदान की।
प्रधानमंत्री ने गर्व से कहा कि भारत ने यह सब बिना किसी स्वार्थ के किया और मानवता की सेवा को प्राथमिकता दी। यह भारत की “सेवा परमो धर्मः” की परंपरा का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस दौरान भारत ने दिखा दिया कि जब दुनिया को मदद की आवश्यकता होती है, तो भारत हमेशा अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार रहता है।
COVID-19 महामारी के दौरान भारत की यह वैश्विक सहायता न केवल हमारी ताकत का प्रतीक है, बल्कि मानवता के प्रति हमारे दायित्व को भी दर्शाती है।