प्रधानमंत्री मोदी का अजमेर शरीफ चादर भेजना : श्रद्धा, चमत्कार और एकता का संदेश, फ़िरकापरस्त ताकतों के मुंह पर जोरदार तमाचा

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नई दिल्ली/सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा 

नई दिल्ली:अजमेर शरीफ दरगाह, जहां ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की मजार स्थित है, न केवल भारत बल्कि दुनियाभर में अपनी आध्यात्मिकता और चमत्कारिक घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है। यह दरगाह धार्मिक सद्भाव, शांति और मानवता के संदेश को फैलाने का कार्य करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हर वर्ष ख्वाजा साहब के उर्स पर चादर भेजने की परंपरा ने इस धार्मिक स्थल से जुड़ी श्रद्धा और सम्मान को एक नई दिशा दी है।

प्रधानमंत्री मोदी का अजमेर शरीफ से जुड़ाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद से लगातार ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के उर्स के अवसर पर अजमेर शरीफ दरगाह में चादर भेजने की परंपरा को आगे बढ़ाया है। 2025 में, उन्होंने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरन रिजिजू को चादर भेंट की, जिसे दरगाह पर अर्पित किया गया। यह gesture भारत की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत और सांप्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।

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प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम न केवल एक धार्मिक परंपरा का पालन है, बल्कि यह देशवासियों के बीच भाईचारे और एकता का संदेश भी है, जो भारत की विविधता को सम्मानित करता है।

इतिहास में बादशाहों और प्रधानमंत्रियों का अजमेर शरीफ से जुड़ाव

अजमेर शरीफ की दरगाह से जुड़ा इतिहास भारत के बादशाहों और प्रधानमंत्रियों की श्रद्धा को दर्शाता है:

1. मुगल सम्राट अकबर ने अपने पुत्र प्राप्ति की मन्नत पूरी होने के बाद अजमेर शरीफ की दरगाह पर नज़राना चढ़ाया और स्वयं पैदल चलकर इस दरगाह की यात्रा की।

2. जहांगीर, शाहजहां, और औरंगजेब जैसे सम्राटों ने भी इस दरगाह की यात्रा की और अपनी श्रद्धा अर्पित की।

3. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह जैसे नेताओं ने भी अजमेर शरीफ दरगाह पर श्रद्धा अर्पित की और इसे भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक माना।

अजमेर शरीफ से जुड़ी चमत्कारिक घटनाएं

अजमेर शरीफ की दरगाह से जुड़ी कई चमत्कारिक घटनाएं और कहानियां इस स्थल को और भी अद्वितीय बनाती हैं।

अकबर की मन्नत: अकबर ने पुत्र प्राप्ति के लिए ख्वाजा साहब के दर पर प्रार्थना की थी, और उनकी मुराद पूरी होने के बाद उन्होंने दरगाह पर सोने-चांदी का नज़राना चढ़ाया।

दुआओं का स्थान: अजमेर शरीफ आने वाले कई लोग अपनी बीमारियों और समस्याओं के समाधान के लिए यहां श्रद्धा अर्पित करने आते हैं, और कई बार चमत्कारिक घटनाओं का उल्लेख भी करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी का कदम: श्रद्धा या राजनीति?

प्रधानमंत्री मोदी का हर वर्ष चादर भेजने का कदम कई दृष्टिकोण से देखा जा सकता है:

1. आध्यात्मिक श्रद्धा: यह उनकी गहरी धार्मिक आस्था और भारतीय आध्यात्मिकता के प्रति सम्मान को दर्शाता है।

2. राजनीतिक संदेश: यह कदम भारत की विविधता और सांप्रदायिक सौहार्द्र को बनाए रखने का प्रतीक हो सकता है।

3. आत्म संतोष: दरगाह पर चादर भेजना खुद के भीतर शांति और सुकून प्राप्त करने का एक तरीका भी हो सकता है।

ख्वाजा साहब का पैगाम: भारत की जनता के लिए प्रेरणा

ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती का संदेश, जो शांति, भाईचारा और मानवता के लिए है, भारत की जनता के दिलों में गहरे स्थान पर बैठा हुआ है। उनकी शिक्षाएं और चमत्कार देशवासियों को एकता, प्यार और सौहार्द्र की दिशा में मार्गदर्शन देती हैं। यह दरगाह भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक बन चुकी है, जो विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और समुदायों को एकजुट करती है।

अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाने की परंपरा केवल श्रद्धा का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता का सम्मान करने का एक तरीका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कदम न केवल भारत की आध्यात्मिक धरोहर को सम्मानित करता है, बल्कि यह देशवासियों के बीच एकता, भाईचारे और सामूहिक समर्पण का भी संदेश देता है। ख्वाजा साहब का संदेश आज भी लोगों के दिलों में गूंजता है और भारत को शांति, एकता और सद्भाव के मार्ग पर अग्रसर करता है।

 

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