“बड़ा इमामबाड़ा: करबला के शहीदों की याद और दुआ का खास स्थल,पर्यटकों की अश्लील हरकतो का बन रहा है निशाना, लखनऊ की पवित्रता को हो रही हैं शर्मसार”

THlkaEDITR
11 Min Read

तहलका टुडे टीम

बड़ा इमामबाड़ा, जो करबला के शहीदों की याद में बनाया गया है, सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल नहीं बल्कि एक पवित्र स्थान है, जहाँ लोग सुकून, औलाद, रोज़ी, और बीमारी से सेहतयाबी के लिए दुआ करने आते हैं। यह स्थल शांति और आस्था का प्रतीक है, लेकिन हाल के समय में यहां पर्यटकों द्वारा की जा रही अश्लील हरकतें लखनऊ की तहजीब और तमीज को शर्मसार कर रही हैं। यह गंभीर चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इस पवित्र स्थल की पवित्रता को खतरा है, और इसके परिणामस्वरूप यहां का माहौल भी बिगड़ता जा रहा है। ऐसे समय में यह जरूरी हो जाता है कि हम इस पर गौर करें और इसकी रक्षा करें ताकि यह स्थान फिर से शांति और सम्मान का प्रतीक बना रहे।

बड़ा इमामबाड़ा, जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, न केवल शिया समुदाय बल्कि पूरे समाज और देश की धरोहर है। इस पवित्र स्थल का निर्माण 18वीं शताब्दी में नवाब आसफ-उद-दौला ने कर्बला के शहीदों की याद में किया था। हालांकि, हाल के समय में इसके आंगन में कुछ अश्लील और अनुचित गतिविधियों की खबरें आई हैं, जो इसके सम्मान और गरिमा को ठेस पहुंचा रही हैं। यह लेख इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि बड़े इमामबाड़े की पवित्रता की रक्षा कैसे की जा सकती है और पर्यटकों पर सख्त नियमों का पालन कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है।

अश्लीलता और अदब-तहजीब की कमी

बड़े इमामबाड़े का आंगन उन पर्यटकों द्वारा अश्लील हरकतों का गवाह बन रहा है, जो न केवल इस ऐतिहासिक स्थल की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं, बल्कि शहीदों की शहादत और उनके बलिदान के संदेश का अपमान भी करते हैं। ऐसे पर्यटकों के व्यवहार ने शिया समुदाय और पूरे समाज को यह सोचने पर मजबूर किया है कि आखिर क्यों इस पवित्र स्थल पर अदब और तहजीब की कमी हो रही है। क्या यह जरूरी नहीं कि जैसे अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में पर्यटक नियमों का पालन करते हुए सिर ढककर, शांति से प्रवेश करते हैं, वैसे ही बड़ा इमामबाड़ा भी एक पवित्र स्थल बने, न कि एक पर्यटन स्थल जहां ऐसी अश्लील गतिविधियाँ हो रही हों?

महिलाओं और पुरुषों के आचरण पर सवाल

बड़े इमामबाड़े में यह देखा गया है कि कई महिलाएं सिर नहीं ढकतीं और पुरुष भी शालीनता से व्यवहार नहीं करते। यह एक बड़ा सवाल उठाता है कि क्यों यहां लोग इस पवित्र स्थल के धार्मिक महत्व को समझने में नाकाम रहते हैं, जबकि यह स्थल इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का प्रतीक है, जिन्होंने इंसानियत और न्याय के लिए अपनी जान दी। क्या इसके महत्व को सही तरीके से समझाने की आवश्यकता नहीं है, ताकि पर्यटक इस पवित्र स्थल की गरिमा का सम्मान करें?

हुसैनाबाद ट्रस्ट और जिलाधिकारी की जिम्मेदारी

बड़ा इमामबाड़ा हुसैनाबाद ट्रस्ट के अधीन आता है, जिसके अध्यक्ष लखनऊ के जिलाधिकारी होते हैं। इस पवित्र स्थल की सुरक्षा और मर्यादा बनाए रखने की जिम्मेदारी अब जिलाधिकारी और हुसैनाबाद ट्रस्ट की है। हालांकि, वर्तमान समय में इस पवित्र स्थल पर पर्यटकों के आचरण पर पर्याप्त निगरानी नहीं रखी जा रही है, जिससे इसे केवल एक पर्यटन स्थल की तरह देखा जाने लगा है। जिलाधिकारी और हुसैनाबाद ट्रस्ट को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और इसे पवित्र स्थल के रूप में बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।

शिया धर्मगुरुओं की तैनाती की आवश्यकता

इस समस्या का एक प्रभावी समाधान शिया धर्मगुरुओं की तैनाती हो सकता है। शिया धर्मगुरु न केवल धार्मिक गतिविधियों का संचालन करेंगे, बल्कि वे पर्यटकों को इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों की शहादत के महत्व के बारे में भी बताएंगे। इसके अलावा, उन्हें यह भी समझाना चाहिए कि बड़ा इमामबाड़ा सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल नहीं है, बल्कि यह एक धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल है, जहां मर्यादा और अनुशासन का पालन किया जाना चाहिए।

इमाम हुसैन का संदेश और इंसानियत का पैगाम

इस पवित्र स्थल की धार्मिक और ऐतिहासिक महत्वता को दर्शाने के लिए एलईडी स्क्रीन पर इमाम हुसैन और उनके साथियों के बलिदान की डॉक्यूमेंट्री दिखाई जा सकती है। यह कदम पर्यटकों को इस स्थल की असली पहचान और उद्देश्य समझने में मदद करेगा। इससे यह स्पष्ट होगा कि यह स्थान केवल एक पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि यह इंसानियत, न्याय और सत्य के प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया है।

शहीदों की बेहरमती पर रोक लगाने की जरूरत

यह भी आवश्यक है कि बड़े इमामबाड़े में शहीदों की बेहरमती को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। यह सिर्फ शिया समुदाय की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे समाज की है कि वे इस पवित्र स्थल की गरिमा का सम्मान करें। सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी गतिविधि इस स्थल की पवित्रता को नष्ट न करे।

कौम की खामोशी पर सवाल

इस मुद्दे पर शिया समुदाय की खामोशी भी चिंता का कारण बनती है। समुदाय को यह समझना चाहिए कि यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और संरक्षित किया जाना चाहिए। अगर आज इस पवित्र स्थल की गरिमा का उल्लंघन किया जाएगा, तो कल यह स्थल अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्वता खो सकता है। अंजुमने संस्थाएं यहां सरकार की इजाजत लेकर इस पवित्र स्थल के बारे में पर्यटकों को गाइड कर सकते है।

सख्त नियमों की आवश्यकता

इमामबाड़े में पवित्रता बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि प्रशासन सख्त नियम बनाए और उनका पालन सुनिश्चित करें। पर्यटकों के प्रवेश से पहले उन्हें इस स्थल के महत्व और नियमों के बारे में जागरूक किया जाए, ताकि वे इस स्थल की गरिमा का पालन करें। इसके साथ ही, शिया धर्मगुरुओं की तैनाती से भी इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।

 

जिलाधिकारी / अध्यक्ष, हुसैनाबाद ट्रस्ट,लखनऊ को इस मामले में ध्यान आकर्षित कराने  के लिए पत्र का मसौदा

सेवा में,
जिलाधिकारी महोदय / अध्यक्ष,
हुसैनाबाद ट्रस्ट,
लखनऊ।

विषय: बड़े इमामबाड़े की पवित्रता और गरिमा को बनाए रखने के लिए पर्यटकों पर सख्त नियमों के पालन हेतु निवेदन।

महोदय,

निवेदन है कि लखनऊ स्थित बड़े इमामबाड़े की पवित्रता और सांस्कृतिक धरोहर का महत्व न केवल शिया मुस्लिम समुदाय के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए अत्यधिक आदरणीय है। यह पवित्र स्थल इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों की याद में निर्मित किया गया था, जो इंसानियत, न्याय और सच्चाई के प्रतीक हैं। दुर्भाग्यवश, हाल के समय में देखा गया है कि पर्यटकों द्वारा बड़े इमामबाड़े की गरिमा का उल्लंघन किया जा रहा है। यहाँ अश्लीलता, अनुचित आचरण और धार्मिक भावनाओं का अपमान हो रहा है, जो अत्यंत निंदनीय है।

जैसा कि अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में पर्यटक सिर ढककर, जूते-चप्पल उतारकर, और स्वच्छता का ध्यान रखते हुए प्रवेश करते हैं, वैसे ही बड़े इमामबाड़े में भी पर्यटकों से इसी प्रकार के शालीन और आदरपूर्ण आचरण की अपेक्षा की जानी चाहिए। इस संबंध में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देने और आवश्यक कार्रवाई करने का निवेदन है:

1. अदब और तहजीब का पालन: बड़े इमामबाड़े के प्रवेश द्वार पर पर्यटकों को इस स्थल की पवित्रता और धार्मिक महत्व के बारे में जागरूक किया जाए। उन्हें यह बताया जाए कि महिलाओं के लिए सिर ढकना और पुरुषों के लिए शालीनता से आचरण करना अनिवार्य है।

2. शिया धर्मगुरुओं की तैनाती: बड़े इमामबाड़े में शिया धर्मगुरुओं की तैनाती की जाए, जो पर्यटकों को इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों की शहादत का महत्व बताएं और इस स्थान की गरिमा का पालन करवाएं।

3. एलईडी स्क्रीन पर डॉक्यूमेंट्री: इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों के बलिदान की डॉक्यूमेंट्री और इंसानियत के पैगाम को दर्शाने के लिए एलईडी स्क्रीन लगाई जाए, ताकि पर्यटक यहाँ के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को समझ सकें।

4. सख्त नियम लागू करना: पर्यटकों के लिए नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। जो पर्यटक इन नियमों का उल्लंघन करें, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।

5. पवित्रता की रक्षा: हुसैनाबाद ट्रस्ट और जिला प्रशासन की ओर से यह सुनिश्चित किया जाए कि बड़े इमामबाड़े की पवित्रता की रक्षा की जाए और इसे केवल एक पर्यटन स्थल न बनने दिया जाए।

 

मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप इन बिंदुओं पर गंभीरता से विचार करेंगे और इस पवित्र स्थल की गरिमा को बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। यह न केवल शिया समुदाय, बल्कि पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य होगा।

धन्यवाद।

सादर,

 

[आपका नाम]
[आपका पता]
[आपका संपर्क नंबर]
[ईमेल पता]

 

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *