
✍️ कृष्ण कुमार द्विवेदी ‘राजू भैया’
लखनऊ।भाजपा के लिए समर्पित युवा चेहरों की बात हो और नीरज सिंह का नाम न आए — यह अब मुमकिन नहीं। देश के रक्षा मंत्री और लखनऊ के लोकप्रिय सांसद श्री राजनाथ सिंह के छोटे पुत्र नीरज सिंह, राजधानी लखनऊ की ज़मीन पर जिस संजीदगी, जोश और विनम्रता के साथ सक्रिय हैं, वह केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि जनसेवक की जीवंत छवि को दर्शाता है।
हाल ही में लखनऊ में आयोजित केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कार्यक्रम के दौरान नीरज सिंह की जमीनी सक्रियता सबकी जुबां पर थी। भले मंच पर ना हों, लेकिन जनसंपर्क, संगठनात्मक जिम्मेदारियों और कार्यकर्ताओं से आत्मीय संवाद में वे सबसे आगे दिखाई दिए। अपने पिता के नाम और पद से कहीं अधिक, नीरज सिंह अपनी खुद की एक पहचान गढ़ते जा रहे हैं — मिलनसार कार्यकर्ता, प्रतिबद्ध नेता और समर्पित सेवक के रूप में।
जनसंपर्क से लेकर जयकारे तक: सब में नीरज सिंह सबसे आगे
गृह मंत्री के दौरे की तैयारी हो, मोदी सरकार के 11 साल की उपलब्धियों की जनजागरूकता हो या फिर श्री हनुमान जी के भंडारों में सेवा — नीरज सिंह हर जगह लखनऊ की रज को माथे लगाकर, आम भाजपाई की तरह समर्पित दिखे। सोशल मीडिया और व्यक्तिगत संपर्क का कुशल इस्तेमाल करते हुए उन्होंने लखनऊ में एक ऊर्जा का संचार किया।
उनकी पहचान सिर्फ किसी मंत्री के बेटे की नहीं, बल्कि उन हजारों कार्यकर्ताओं की भावनाओं से जुड़ी है, जो उन्हें अपने जैसा, अपना मानते हैं। यही वजह है कि वे जब भी किसी मोहल्ले, बस्ती या आयोजन में जाते हैं — तो लोगों के दिल से आवाज़ निकलती है, “पापा कहते हैं बेटा नाम करेगा… वेलडन नीरज सिंह!”
नीरज में दिखता है ‘नया अटल’
लखनऊ सिर्फ राजनाथ सिंह की कर्मभूमि नहीं, यह अटल बिहारी वाजपेयी जी की विरासत भी है। नीरज सिंह इस विरासत का बोझ नहीं, बल्कि गौरव समझते हैं। यही कारण है कि लखनऊ की हर गली, हर संगठन, व्यापारी, साहित्यकार और युवा वर्ग से उनका सीधा और आत्मीय जुड़ाव है। पुराने संबंधों को संजोते हुए, वह नए रिश्ते भी गहराई से बना रहे हैं — चाहे बात नोएडा, गाजियाबाद, हैदरगढ़ की हो या लखनऊ की।
व्यवहार में सरलता, दृष्टिकोण में परिपक्वता
नीरज सिंह का व्यक्तित्व उनके संस्कारों का प्रत्यक्ष उदाहरण है। पिता श्री राजनाथ सिंह, माता सावित्री सिंह और बड़े भाई व नोएडा विधायक पंकज सिंह से मिले मूल्यों को वे अपने आचरण में जीवंत बनाए हुए हैं। आसान भाषा, स्पष्ट सोच और हर व्यक्ति को सम्मान देने की आदत — यह गुण उन्हें न सिर्फ प्रिय बनाता है, बल्कि भरोसेमंद भी।
मुसीबत में मददगार, आयोजन में सहभागी, और कार्यकर्ता के दुख-दर्द में सहभागी नीरज, ‘जनप्रतिनिधि’ नहीं बल्कि ‘जन-परिवार’ का हिस्सा बन चुके हैं।
मोदी-शाह-योगी तक पहुंच, फिर भी ज़मीन से जुड़ाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने सार्वजनिक मंच से नीरज सिंह की प्रशंसा की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, केशव मौर्य, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सहित तमाम वरिष्ठ नेता नीरज की कार्यशैली से परिचित हैं। लेकिन यह प्रशंसा उन्हें कभी अहंकारी नहीं बनाती — वह आज भी पार्टी के किसी पुराने कार्यकर्ता को देखकर झुक जाते हैं, उनके सम्मान में अपने ‘दिल में सोफा सेट’ लगाकर बैठा लेते हैं।
लखनऊ बना तीर्थ, सेवा बना तप
नीरज सिंह के लिए लखनऊ एक तीर्थ है — सेवा और विकास उनका तप। यह शहर अब उनके लिए केवल राजनीतिक गढ़ नहीं, बल्कि संस्कारों की प्रयोगशाला है। वे न केवल बीते सालों में शुरू हुए विकास कार्यों की बारीकी से निगरानी करते हैं, बल्कि भविष्य की योजनाओं को भी लेकर गंभीर दृष्टिकोण रखते हैं।
लंबी पारी के लिए तैयार, अटल-राजनाथ मार्ग पर नीरज
नीरज सिंह का मौन लेकिन मज़बूत उदय यह दर्शाता है कि वह केवल नाम के उत्तराधिकारी नहीं, बल्कि काम के द्वारा विरासत के अधिकारी बनना चाहते हैं। उनकी राजनीतिक पारी की यह मजबूत शुरुआत भविष्य में उन्हें एक महत्वपूर्ण सियासी किरदार के रूप में स्थापित कर सकती है — न केवल लखनऊ में, बल्कि उत्तर प्रदेश और संभवतः राष्ट्रीय राजनीति में भी।
नीरज सिंह, राजनाथ सिंह के पुत्र जरूर हैं, लेकिन उन्होंने अपने आचरण, सेवा, सरलता और संगठन क्षमता से लखनऊ में वह जगह बना ली है, जो केवल किसी ‘पद’ से नहीं, बल्कि परिश्रम और प्रेम से मिलती है।
लखनऊ के लोग आज उन्हें एक उभरते हुए ‘जननेता’ के रूप में देख रहे हैं — और यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि नीरज सिंह आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया अध्याय लिखने की ओर अग्रसर हैं।