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✍️ विशेष इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट | सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा 


“1600 में ईस्ट इंडिया कंपनी आई थी व्यापार के नाम पर, शराबी बादशाह जहांगीर ने दी थी इजाज़त 1858 में ब्रिटिश सरकार के हवाले हिन्दुस्तान 


2025 में Starlink आया है इंटरनेट के नाम पर…मोदी सरकार ने दी इजाज़त 


क्या इतिहास फिर खुद को दोहराएगा?”

भारत सरकार ने हाल ही में एलन मस्क की कंपनी Starlink को 5 साल के लिए सैटेलाइट इंटरनेट सेवा का लाइसेंस जारी कर दिया है। इसे डिजिटल क्रांति की दिशा में एक बड़ी छलांग बताया जा रहा है। लेकिन दूसरी तरफ, अंतरराष्ट्रीय रणनीति और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ इसको लेकर गंभीर चेतावनी दे रहे हैं।

ईरान, जो साइबर और भू-राजनीति के मामलों में बेहद सतर्क रहता है, उसने Starlink के तमाम दबाव और लालच को ठुकरा दिया। उसने इस टेक्नोलॉजी को अमेरिका की “जासूसी चाल” कहा और साफ-साफ अपनी साइबर संप्रभुता की रक्षा की।

अब सवाल यह है —
क्या भारत ने डिजिटल युग की नई ‘गुलामी’ को न्योता दे दिया है?


🇮🇷 ईरान ने मस्क को क्यों ठुकराया?

2022 में ईरान में सरकार-विरोधी प्रदर्शन के दौरान अमेरिका ने Starlink को “फ्री इंटरनेट” देने का प्रस्ताव रखा।
लेकिन ईरान सरकार ने इसे न केवल ठुकराया, बल्कि इसे एक “राजनीतिक-तकनीकी हमला” बताते हुए देश के अंदर Starlink टर्मिनल्स को जब्त और नष्ट कर दिया।

ईरानी मंत्री ने कहा था:
“Starlink दरअसल इंटरनेट नहीं, एक निगरानी नेटवर्क है, जिससे अमेरिका पूरे देश की डिजिटल नसों पर काबू चाहता है।”


🇮🇳 भारत ने क्यों खोल दिए दरवाज़े?

भारत में Starlink को IN-SPACe से लाइसेंस मिलने के बाद एलन मस्क की कंपनी अब उन दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा शुरू करने की तैयारी कर रही है, जहां नेटवर्क नहीं है।
सरकार इसे ग्रामीण इंटरनेट क्रांति बता रही है।

लेकिन सवाल ये नहीं कि सेवा कितनी तेज़ होगी,
सवाल ये है कि इस तेज़ रफ्तार के पीछे कौन-सी ‘सूचना सेना’ दौड़ रही है?


  1. 📡 डाटा संप्रभुता खत्म
    भारतीयों की डिजिटल गतिविधियां अमेरिका स्थित सैटेलाइट्स और सर्वरों के ज़रिए संचालित होंगी। यानी भारत का डाटा अमेरिका की मुट्ठी में
  2. 🕵️ सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी बाईपास
    Starlink के नेटवर्क पर भारतीय एजेंसियों की सीधी पकड़ नहीं होगी। इससे सेना, रक्षा संस्थानों और सीमाई इलाकों की संवेदनशीलता पर खतरा मंडरा सकता है।
  3. 📉 देशी टेलीकॉम और ब्रॉडबैंड सेक्टर को भारी नुकसान
    Jio, BSNL, Airtel जैसी कंपनियों का निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर Starlink के एक झटके में अप्रासंगिक हो सकता है।
  4. 🎯 क्लाउड कंट्रोल से साइबर हमला आसान
    Starlink के माध्यम से भारत के क्लाउड सिस्टम पर अमेरिकी एजेंसियों की अप्रत्यक्ष पकड़ बन सकती है — ये डिजिटल कालोनियलिज़्म का अगला स्तर है।

📊 भयावह आंकड़े जो नींद उड़ा दें:

  • 🌍 Starlink के 3600+ सैटेलाइट्स पहले ही पृथ्वी की निचली कक्षा में हैं।
  • 🎯 एलन मस्क का लक्ष्य 42,000 सैटेलाइट्स का एक गुप्त नेटवर्क बनाना है — धरती के चारों ओर एक डिजिटल जाल।
  • 💵 Starlink को अमेरिकी रक्षा एजेंसियों से $900 मिलियन डॉलर की सब्सिडी मिल चुकी है।
  • ⚖️ अमेरिकी कानून के अनुसार, Starlink को NSA व अन्य एजेंसियों को डाटा सौंपना अनिवार्य है — चाहे उपयोगकर्ता भारत में हो या अफ्रीका में।

🧠 विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

 (साइबर स्ट्रैटेजी विशेषज्ञ, हैदराबाद) ने अपना नाम न  शाया करने की शर्त पर बताया:
“यह किसी कंपनी की बात नहीं है, यह नियंत्रण की बात है। Starlink भारत के आकाश से हमारे घर में दाख़िल होगा — और हमारे कान, कैमरे, माइक्रोफोन सब किसी और के हाथ में होंगे।”

पूर्व रॉ अधिकारी (अनाम):
“जिस दिन भारत अमेरिका से असहमत होगा, वो दिन Starlink की स्पीड अचानक शून्य हो सकती है। यह इंटरनेट नहीं, एक रणनीतिक फंदा है।”


🧭 क्या अब समय आ गया है ‘डिजिटल स्वराज’ की बात करने का?

ईरान ने Starlink को ‘न’ कहा।
रूस और चीन ने इसे बैन किया।
तुर्की और उत्तर कोरिया ने इसे अविश्वास के साथ देखा।
भारत ने क्यों आंख मूंदकर स्वागत किया?

क्या हम उस दौर में हैं जहां हमारी आज़ादी सिग्नल के झटके पर टिकी है?
क्या डिजिटल दासता की शुरुआत हो चुकी है

एक अदृश्य जाल

Starlink इंटरनेट लाएगा, पर साथ लाएगा:

  • निगरानी का जाल
  • विदेशी प्रभुत्व का खतरा
  • देशी टेक्नोलॉजी की कमर तोड़ने वाला दबाव

यह सैटेलाइट नहीं, एक ‘डिजिटल ईस्ट इंडिया कंपनी’ है – फर्क सिर्फ इतना है, इस बार हमला टावर से नहीं, आकाश से होगा।


🔴 अब आप बताएं — क्या Starlink भारत की जीत है या डिजिटल आत्मसमर्पण?
शेयर करें, चर्चा करें, और पूछें अपने नेता से:
“हमारे डेटा की रक्षा कौन करेगा?”

 


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