“अमेरिका-इजराइल के हमले के बाद भारत-ईरान की पहली मुलाक़ात ने मचाया तहलका, चीन में SCO बैठक के दौरान हुई रणनीतिक बातचीत”
✍️ सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा/तहलका टुडे इंटरनेशनल डेस्क
चीन की सरज़मीन पर एक अहम कूटनीतिक क्षण देखने को मिला, जब भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर (@DrSJaishankar) और ईरान के उप विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची (@araghchi) के बीच शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की 25वीं बैठक के इतर गहन बातचीत हुई। यह मुलाक़ात इसलिए भी बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि यह अमेरिका और इजराइल द्वारा ईरान पर हालिया हमलों के बाद भारत और ईरान के शीर्ष स्तर पर पहली आधिकारिक वार्ता है।
“ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे” — SCO में दिखी भारत-ईरान की रणनीतिक नज़दीकी
इस बातचीत के बाद अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक गलियारों में हलचल तेज़ हो गई है। जहां एक ओर पश्चिमी देशों में इसे नई ध्रुवीयता का संकेत माना जा रहा है, वहीं भारत और ईरान ने अपनी ऐतिहासिक मित्रता और रणनीतिक साझेदारी को और सशक्त करने का स्पष्ट संकेत दिया है।
बैठक के दौरान दोनों देशों ने निम्नलिखित अहम मुद्दों पर चर्चा की:
🔹 चाबहार पोर्ट के माध्यम से व्यापारिक गलियारे को मज़बूती देना
🔹 ऊर्जा सहयोग और तेल आपूर्ति में भरोसेमंद साझेदारी बनाए रखना
🔹 अफगानिस्तान, खाड़ी और पश्चिम एशिया में शांति एवं स्थिरता को लेकर साझा दृष्टिकोण
🔹 अमेरिका और इजराइल की आक्रामक विदेश नीति पर चिंता और उसका एशिया पर प्रभाव
🔹 भारत-ईरान सांस्कृतिक रिश्तों और people-to-people connect को और मजबूत करना
भारत की कूटनीति: संतुलन और संप्रभुता का संदेश
भारत ने इस मुलाक़ात के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी विदेश नीति में ‘स्वतंत्र संतुलन’ बनाए रखेगा। जहां अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ रणनीतिक रिश्ते हैं, वहीं भारत ईरान जैसे परंपरागत मित्रों को नज़रअंदाज़ नहीं करेगा।
डॉ. जयशंकर ने बातचीत के दौरान कहा कि “ईरान हमारे क्षेत्रीय हितों, ऊर्जा सुरक्षा और कनेक्टिविटी का अहम भागीदार है।” वहीं अराघची ने भारत को “एक संतुलित शक्ति और भरोसेमंद पड़ोसी” बताया।
क्या बदल रहा है एशिया का समीकरण?
इस मुलाक़ात के बाद साफ है कि एशिया में नई रणनीतिक रेखाएं खिंच रही हैं। चीन, ईरान और भारत जैसे देश पश्चिमी वर्चस्व के परे एक स्वतंत्र धुरी खड़ी करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। SCO जैसे मंच इसका उदाहरण बनते जा रहे हैं।
दोस्ती की नई इबारत
इस मुलाकात ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारत और ईरान की दोस्ती केवल राजनीति नहीं, रणनीति भी है।
“जब पश्चिमी दुनिया आग उगल रही है, तब भारत और ईरान शांति, व्यापार और साझेदारी की बात कर रहे हैं।”
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🖋️ “कूटनीति के इस खेल में अब एशिया की आवाज़ तेज़ हो रही है — और भारत-ईरान की दोस्ती उसकी सबसे गूंजती मिसाल बन चुकी है।”