🩺 डिप्टी सीएम बृजेश पाठक पहुंचे 40 लाख आबादी के बाराबंकी अस्पताल – सीएमएस नहीं मिले, पर बदहाली ने गर्मजोशी से किया स्वागत!
सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव,मोहम्मद वसीक
बाराबंकी | शनिवार की तपती दोपहर में जब उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक जी अपनी निजी गाड़ी से बाराबंकी जिला अस्पताल पहुंचे, तो शायद अस्पताल प्रशासन को हीट स्ट्रोक नहीं, बल्कि शॉक स्ट्रोक लग गया!
बिना सूचना आए मेहमान को देखकर सीएमएस ने दिखाई अदृश्यता की कला, जिसे देखकर दाऊद भी शरमा जाए। अस्पताल में सीएमएस ढूंढे गए, लेकिन न इलाज मिला, न इलाजकर्ता। हाँ, मेडिकल के मासूम से प्रशिक्षु छात्र ज़रूर मिले, जो स्टेथोस्कोप को कुछ इस तरह पकड़े थे जैसे कोई बीन बजा रहा हो।
डिप्टी सीएम ने जब OPD की खिड़की देखी तो रजिस्टर और दस्तावेज़ चिल्ला उठे – “हमें तो कब का भुला दिया गया!” मरीज स्ट्रेचर पर पड़ा मिला, तो पाठक जी का दिल पसीजा – बोले, “इसका इलाज शुरू करो!” पर डॉक्टर ढूंढते-ढूंढते सिर्फ कंपाउंडर के झोलों की एक्स-रे निकल आई।
अब ये भी ग़नीमत रही कि अस्पताल में इलाज पूरी तरह से बंद नहीं था। मसलन, एम्बुलेंस धूल फांक रही थी, पंखे हवा से तौबा कर चुके थे, और मरीजों के परिजन एक-दूसरे को मानसिक सहारा दे रहे थे।
40 लाख की आबादी वाला ये जिला अस्पताल असल में एक ‘हॉस्पिटल म्यूज़ियम’ बन चुका है – जहाँ बीमारियाँ टहलती हैं और इलाज खुद ICU में भर्ती है।”
पाठक जी ने गर्मी में पसीना बहाते हुए अस्पताल का दौरा किया, और हॉस्पिटल के स्टाफ से नहीं, डॉक्टर के असिस्टेंट से पूरी ब्रीफिंग ली, जो इस हद तक जानकार निकला कि अगर डॉक्टर भी होता तो शरमा जाता।
चौथी बार अस्पताल निरीक्षण पर आए डिप्टी सीएम को अब एहसास हुआ – “ये अस्पताल नहीं, सरकारी बहानेबाज़ी का गढ़ है!”
हर बार निरीक्षण, हर बार कमियाँ, और हर बार वही जवाब – “सर, नोट कर लिया गया है।”
इस मौके पर डिप्टी सीएम ने कहा,
“अब सुधार नहीं, सर्जरी होगी!“
सरकार की आँखें खुलीं या पलकें फड़कीं, ये तो वक्त बताएगा… लेकिन मरीजों को आज भी इंतज़ार है – इलाज का, इंसाफ़ का और शायद किसी स्पेशियलिटी डॉक्टर के दर्शन का।
“स्वास्थ्य विभाग को ICU में भर्ती करने का वक्त आ गया है!” – व्