“Bulldozer Roars Over Illegal Plotting in Satrikh, But Why the Silence on Waqf Lands?”

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सतरिख में अवैध प्लॉटिंग पर गरजा बुलडोजर, मगर औक़ाफ़ की ज़मीनों पर अब भी खामोशी क्यों?

तहलका टुडे डेस्क/सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव/मोहम्मद वसीक 

बाराबंकी/सतरिख:जिलाधिकारी के निर्देश पर ज़िला पंचायत बाराबंकी द्वारा अवैध प्लॉटिंग के खिलाफ बुलडोजर चलाया गया, जिससे प्रशासन की सक्रियता तो सामने आई, लेकिन कई सवाल भी खड़े हो गए हैं। खासकर तब जब करोड़ों रुपये की औक़ाफ़ (वक्फ) संपत्तियों पर जिले में चल रही खरीद-फरोख़्त और अवैध निर्माण पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई।

15 जुलाई 2025 को ग्राम सतरिख स्थित औक़ाफ़ की ज़मीन खसरा संख्या 84 रकबा 2.1270 पर जिला पंचायत ने बुलडोजर चलवा दिया। बताया गया कि यह निर्माण बिना अनुमति के हो रहा था। साथ ही निर्माणकर्ता द्वारा कोई नक्शा भी पास नहीं कराया गया था। इस कड़ी कार्रवाई के चलते अन्य अवैध निर्माणकर्ताओं में हड़कंप मच गया है।

लेकिन सवाल यह है कि क्या बुलडोजर सिर्फ आम नागरिकों पर ही गरजता रहेगा?
क्यों नहीं गरजता ये बुलडोजर उन आलीशान मकानों पर, जो बेगमगंज, रसूलपुर, लाजपतनगर और बाराबंकी शहर के अन्य इलाकों में वक्फ की ज़मीन पर बिना अनुमति खड़े हो गए हैं?

औक़ाफ़ एक्ट 2025 के बाद भी ढील क्यों?

भारत सरकार द्वारा हाल ही में सांसद  और राज्यसभा से पारित और राष्ट्रपति से अनुमोदित वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 ने जिलाधिकारियों को विशेष अधिकार दिए हैं कि वह औक़ाफ़ की जमीनों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। इस कानून के तहत अब वक्फ की संपत्तियों पर अवैध कब्जे, बिक्री, निर्माण और हस्तांतरण स्पष्ट अपराध की श्रेणी में आते हैं। बावजूद इसके, सतरिख की करबला कब्रिस्तान से लेकर बाराबंकी के विभिन्न इलाकों में वक्फ की जमीनों की खुल्लमखुल्ला लूट जारी है।

बीजेपी सरकार की मंशा पर सवाल या प्रशासन की लापरवाही?

जहां एक ओर केंद्र की बीजेपी सरकार ने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए नया कानून बनाकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है, वहीं ज़मीनी स्तर पर प्रशासनिक अधिकारी इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे। क्या यह अफसरशाही की निष्क्रियता है या भू-माफियाओं से मिलीभगत?

क्यों वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वाले रसूखदारों पर कार्रवाई नहीं होती?
क्यों उनके लाजपतनगर ,बेगमगंज,रसूलपुर में आलीशान मकान दुकान और बगैर नक्शा पास कराए हुए निर्माण सुरक्षित हैं?
क्या यही है ‘सबका साथ, सबका विकास’ की असली तस्वीर?

भाजपा सरकार की  भावनाओं से खिलवाड़?

कब्रिस्तान, करबला और इमामबाड़ों जैसी धार्मिक जगहों की जमीनों पर कब्जा कर लेना सिर्फ जमीन हड़पने का मामला नहीं, बल्कि यह सीधे तौर पर देश की वक्फ संपत्तियों की आस्था पर चोट है।  धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले इन कृत्यों पर प्रशासन की चुप्पी, सत्ताधारी सरकार की मंशा को भी कटघरे में खड़ा करती है।

क्या अब भी चुप रहेंगे जिम्मेदार?

जिलाधिकारी द्वारा जिला पंचायत की भूमि पर की गई कार्रवाई निश्चित तौर पर सराहनीय है, लेकिन अब वक्त आ गया है कि यह बुलडोजर औक़ाफ़ की जमीनों की तरफ भी बढ़े।
कानून जब बन चुका है, तो उसे लागू करने में भेदभाव क्यों?

अगर वक्फ अधिनियम 2025 के अंतर्गत दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह कानून भी अन्य कई कानूनों की तरह कागज़ों तक सीमित रह जाएगा।

अब वक्त आ गया है कि बुलडोजर का न्याय समान रूप से हर कब्जेदार पर चले, चाहे वो आम नागरिक हो या कोई प्रभावशाली भू-माफिया।

 

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