“ग्रांड सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी आयतुल्लाह सैयद अली सिस्तानी का ऐतिहासिक निर्णय: पश्चिमी दबाव के बावजूद हश्द अल-शाबी को समाप्त करने से किया इनकार”

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“ग्रांड सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी आयतुल्लाह सैयद अली सिस्तानी का ऐतिहासिक निर्णय: पश्चिमी दबाव के बावजूद हश्द अल-शाबी को समाप्त करने से किया इनकार”

तहलका टुडे इंटरनेशनल डेस्क

इराक की ग्रांड सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी, आयतुल्लाह सैयद अली सिस्तानी, ने पश्चिमी देशों के भारी दबाव के बावजूद हश्द अल-शाबी (PMU/PMF) को समाप्त करने के लिए फतवा जारी करने से इनकार कर दिया। उनका यह ऐतिहासिक निर्णय न केवल इराकी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करता है, बल्कि शिया इस्लामिक दुनिया में उनकी नेतृत्व क्षमता और दृढ़ता को भी प्रकट करता है।

आयतुल्लाह सैयद अली सिस्तानी, जो इराक के सबसे प्रभावशाली धार्मिक नेता और शिया मुसलमानों की ग्रांड सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी हैं, ने हाल ही में पश्चिमी दबावों को खारिज करते हुए एक महत्वपूर्ण धार्मिक निर्णय लिया। उन्होंने हश्द अल-शाबी (PMU/PMF) को समाप्त करने के लिए कोई फतवा जारी नहीं किया। यह निर्णय इराकी समाज और राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत को दर्शाता है, जहां इराकी धार्मिक नेतृत्व ने राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है।

पश्चिमी दबाव और फतवा का मुद्दा:

पश्चिमी देशों ने, विशेष रूप से अमेरिका, ने हश्द अल-शाबी को समाप्त करने का दबाव डाला है, यह आरोप लगाते हुए कि इस संगठन के कुछ तत्वों के ईरान के साथ घनिष्ठ संबंध हैं और यह इराक की राजनीतिक स्थिरता के लिए खतरा हो सकता है। इसके बावजूद, आयतुल्लाह सिस्तानी ने अपने फतवे के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि हश्द अल-शाबी इराक की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए आवश्यक है। उनका कहना था कि यह मिलिशिया संगठन देश की रक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, और इसके अस्तित्व को समाप्त करने से इराक की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है।

आयतुल्लाह सिस्तानी और हश्द अल-शाबी:

आयतुल्लाह सिस्तानी का समर्थन 2014 में हश्द अल-शाबी के गठन के समय से ही रहा है, जब ISIS के आतंकवादियों के खिलाफ इराकी नागरिकों से लड़ाई में शामिल होने का आह्वान किया गया था। उन्होंने इराकी जनता से आह्वान किया था कि वे ISIS के खिलाफ खड़े हों, और इस आह्वान के परिणामस्वरूप हश्द अल-शाबी का गठन हुआ। आयतुल्लाह सिस्तानी ने हमेशा इस संगठन के वैधता और इराकी सेना के साथ इसके सहयोग को प्रमुख माना है।

हश्द अल-शाबी की भूमिका और प्रतिक्रिया:

हश्द अल-शाबी, जो इराकी सेना के साथ मिलकर ISIS से लड़ा, अब इराकी राष्ट्रीय सुरक्षा का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। इसके संगठन के नेताओं ने आयतुल्लाह सिस्तानी के इस फैसले को एक बड़ी विजय माना है। इस फैसले से यह साबित हो गया कि इराक के धार्मिक नेतृत्व ने देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में कोई समझौता नहीं किया और देश की संप्रभुता को प्राथमिकता दी।

आयतुल्लाह सैयद अली सिस्तानी का यह ऐतिहासिक निर्णय इराकी राजनीति, सुरक्षा और धर्म के बीच संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उनके नेतृत्व में, इराक ने अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए पश्चिमी दबावों को नकारा और अपने देश के भविष्य के लिए एक स्पष्ट और दृढ़ रास्ता अपनाया। यह फैसला न केवल इराक की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह इस्लामिक दुनिया में आयतुल्लाह सिस्तानी की नेतृत्व क्षमता और विश्वसनीयता को भी दर्शाता है।

 

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