लखनऊ | स्पेशल रिपोर्ट
रिपोर्टिंग: सैयद रिज़वान मुस्तफा
लखनऊ की तहज़ीब, रिवायत और गंगा-जमुनी संस्कृति की पहचान माने जाने वाले हुसैनाबाद ट्रस्ट पर एक गंभीर संकट मंडरा रहा है। रूमी दरवाज़ा के पास बन रही लज़ीज़ गली की दुकानों को लेकर मचे बवाल ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर हुसैनाबाद एंड एलाइड ट्रस्ट की धार्मिक संपत्तियों को सरकार के अधीन विभाग कब तक हड़पते रहेंगे?
इस मामले ने उस समय तूल पकड़ा जब भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथॉरिटी और आफताबे शरीयत मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी साहब ने खुद मौके का मुआयना किया और पाया कि एलडीए (लखनऊ विकास प्राधिकरण) द्वारा ई-टेंडर के ज़रिए बनाई जा रही दुकानें पूरी तरह अवैध हैं, क्योंकि वो ज़मीन हुसैनाबाद ट्रस्ट के अंतर्गत आती है।
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✳️ ट्रस्ट की ज़मीन पर सरकारी कब्जा, धार्मिक कार्यों में रुकावट
मौलाना कल्बे जवाद ने गहरी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा:
> “यह ज़मीन नवाबीन अवध द्वारा हुसैनाबाद ट्रस्ट को वक्फ की गई थी ताकि इससे मोहर्रम के दौरान अज़ादारी, गरीबों की सेवा और इंसानियत की भलाई के कार्य किए जा सकें। इसे कमर्शियल मुनाफे के लिए नहीं लूटा जा सकता।”
मौके पर मौलाना रज़ा हुसैन, कई अंजुमनों के सचिव, और सामाजिक कार्यकर्ता भी मौलाना साहब के साथ मौजूद थे। सभी ने इस कृत्य की निंदा करते हुए इसे “नवाबी विरासत और अज़ादारी की तौहीन” बताया।
📢 मौलाना जवाद साहब की माँगें:
1. एलडीए और नगर निगम द्वारा कब्जे की गई ट्रस्ट की जमीन को तत्काल खाली किया जाए।
2. यदि दुकानें दी भी गई हैं, तो उनका किराया सर्किल रेट के हिसाब से वसूला जाए।
3. शिकमी किरायेदारों को ट्रस्ट का प्रत्यक्ष किरायेदार बनाया जाए, किसी बिचौलिये को नहीं।
4. कोई मुरव्वत, कोई समझौता नहीं – ट्रस्ट की संपत्ति सिर्फ गरीबों और मजलूमों के लिए है।
5. एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाकर इस पूरे घोटाले की जाँच हो।
6. आज़ादारी, विरासत और इंसानियत की रक्षा के लिए हुसैनाबाद ट्रस्ट की गरिमा को बरकरार रखा जाए।
📷 मौके से दृश्य:
लज़ीज़ गली की निर्माणाधीन दुकानें
ट्रस्ट की ज़मीन पर लगे सरकारी विभागों के बोर्ड
मौलाना साहब द्वारा दुकानों की मुआयना करते हुए जताई गई नाराज़गी
मौजूद लोगों में आक्रोश और ट्रस्ट की संपत्ति की रक्षा का संकल्प
🕌 हुसैनाबाद ट्रस्ट – नवाबी दौर की इंसानियत की यादगार
हुसैनाबाद एंड एलाइड ट्रस्ट लखनऊ की वह अमानत है जो नवाबीन अवध ने गरीबों, मजलूमों और अज़ादारों के लिए वक्फ की थी। बड़ा इमामबाड़ा, शाही हमाम, सआदत अली खां का मकबरा जैसी इमारतें इसी ट्रस्ट की पहचान हैं। आज जब इस ट्रस्ट की जमीनें कमर्शियल दुकानों में तब्दील हो रही हैं, तो यह सिर्फ एक कब्जे की बात नहीं, बल्कि हमारी तहज़ीब और मज़हबी विरासत पर हमला है।
❗ आख़िर कब तक?
क्या यह वही लखनऊ है जो वक्फ की हिफाज़त और इंसानियत की मिसाल माना जाता था?
क्या सरकारी एजेंसियां अब खुद वक्फ की जमीनों की लूट में शरीक हो गई हैं?
अब वक्त है कि हर जिम्मेदार इंसान उठे, आवाज़ बुलंद करे और हुसैनाबाद ट्रस्ट की इस लूट के खिलाफ मज़बूत जनआंदोलन खड़ा करे।
📌 #SaveHusainabadTrust
📌 #JusticeForWaqfLand
📌 #AzaadariKiTawheenNahiSahegi
📌 #WaqfKeHaqMeInsaaf
✍️ विशेष सहयोग: हसनैन मुस्तफा
संपर्क: tahalkatoday@gmail.com
रिपोर्टिंग: Syed Rizwan Mustafa | 7800533765