“22 रजब: कुंडे की नियाज़ से उठेगी औकाफ़ की हिफाज़त और देश के लिए शांति बुलंदी और तरक्की की आवाज़”,इमाम अली (अ.स.) यूनिवर्सिटी के भारत में कयाम के लिए दुआ के साथ,”इमाम जाफर सादिक (अ.स.) के पैग़ाम से रोशन होगा समाज, औकाफ़ के संरक्षण का होगा नया आगाज़

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“22 रजब: कुंडे की नियाज़ से उठेगी औकाफ़ की हिफाज़त और देश के लिए शांति बुलंदी और तरक्की की आवाज़ “
“,इमाम अली (अ.स.) यूनिवर्सिटी के भारत में कयाम के लिए दुआ के साथ,”इमाम जाफर सादिक (अ.स.) के पैग़ाम से रोशन होगा समाज, औकाफ़ के संरक्षण का होगा नया आगाज़,

आफ़ताबे शरीयत मौलाना डॉ कल्बे जवाद नकवी की अपील

तहलका टुडे टीम

इस्लामिक इतिहास में 22 रजब का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन को कुंडे की नियाज़ के नाम से जाना जाता है, जो इंसानियत, इल्म और इंसाफ के प्रतीक हज़रत इमाम जाफर सादिक (अलैहिस्सलाम) की याद में मनाया जाता है। इस बार 22 रजब का आयोजन देश अमन और तरक्की और बुलंदी, औकाफ़ की हिफाजत के साथ-साथ हज़रत इमाम अली (अ.स.) इंटरनेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के भारत में कयाम के लिए खास दुआओं से ऐतिहासिक बनने जा रहा है।

औकाफ़: समाज की अमानत

औकाफ़ इस्लामी समाज की एक अमानत हैं, जिन्हें समाज के जरूरतमंदों और गरीबों की भलाई के लिए वक्फ किया गया है। इन जमीनों और संपत्तियों की सुरक्षा और उनका सही इस्तेमाल सुनिश्चित करना हर मुसलमान की जिम्मेदारी है। इस बार 22 रजब की नियाज़ में अल्लाह से दुआ की जाएगी कि औकाफ़ को अवैध कब्जों और दुरुपयोग से बचाया जाए।

हज़रत इमाम अली (अ.स.) इंटरनेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी का भारत में कयाम

इस साल की 22 रजब की दुआओं में एक और महत्वपूर्ण पहलू जुड़ गया है। हज़रत इमाम अली (अ.स.) इंटरनेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के भारत में कयाम के लिए विशेष दुआ की जाएगी। यह यूनिवर्सिटी न केवल इस्लामी शिक्षा का केंद्र बनेगी, बल्कि आधुनिक विज्ञान, तकनीक, और समाजिक सुधार में भी अहम भूमिका निभाएगी। इसका उद्देश्य दुनिया भर में इमाम अली (अ.स.) के अद्ल, इल्म और इंसानियत के पैगाम को फैलाना है।

भारत में इस यूनिवर्सिटी के कयाम का मकसद समाज के हर वर्ग को शिक्षा के जरिए सशक्त बनाना और इंसानियत के पैगाम को बढ़ावा देना है।

इमाम जाफर सादिक (अ.स.) कौन थे?

इमाम जाफर सादिक (अलैहिस्सलाम) इस्लाम के छठे इमाम और पैगंबर मोहम्मद (स.अ.व.) के प्रत्यक्ष वंशज थे। आपकी विलादत 702 ईस्वी में मदीना में हुई। इमाम जाफर सादिक (अ.स.) ने न केवल इस्लामी ज्ञान को फैलाया, बल्कि उन्होंने विज्ञान, दर्शन, और सामाजिक न्याय जैसे विषयों पर भी गहरा प्रभाव डाला।

आपकी शख्सियत का सबसे अहम पहलू यह था कि आपने हर दौर में इंसानियत, हक और इल्म को प्राथमिकता दी। आपकी शिक्षाओं ने न केवल मुसलमानों बल्कि गैर-मुसलमानों को भी प्रेरित किया।

इमाम जाफर सादिक (अ.स.) की शिक्षा और पैगाम

इमाम जाफर सादिक (अलैहिस्सलाम) ने न केवल धार्मिक ज्ञान, बल्कि विज्ञान, दर्शन और समाज सुधार के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके ये पैगाम आज भी समाज को सुधारने और न्याय पर आधारित व्यवस्था बनाने में प्रेरणा देते हैं:

1. ज्ञान और शिक्षा का प्रचार

इमाम कहते थे, “ज्ञान एक ऐसा खजाना है जो कभी खत्म नहीं होता।” उन्होंने हर मुसलमान को तालीम हासिल करने और दूसरों तक इसे पहुंचाने का पैगाम दिया।

2. इंसाफ और अद्ल का संदेश

इमाम का मानना था कि इंसानियत की बुनियाद इंसाफ पर है। उन्होंने हर इंसान को न्याय और सच्चाई के रास्ते पर चलने की सीख दी।

3. औकाफ़ की हिफाजत की जिम्मेदारी

इमाम ने औकाफ़ को समाज की सबसे बड़ी अमानत करार दिया। उनका कहना था कि यह संपत्ति गरीबों और जरूरतमंदों की भलाई के लिए है और इसे हर हाल में बचाया जाना चाहिए।

4. समाज में अमन और भाईचारे की स्थापना

इमाम जाफर सादिक (अ.स.) ने हमेशा समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने का संदेश दिया।

कुंडे की नियाज़ और दुआओं की खास अहमियत

22 रजब की कुंडे की नियाज़ सिर्फ एक धार्मिक रस्म नहीं है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और जरूरतमंदों की मदद करने का जरिया है। इस दिन घर-घर में खीर, टिकिया, और पूड़ी जैसे पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं। इन पकवानों को कुंडे में रखकर नियाज़ के तौर पर अल्लाह की राह में पेश किया जाता है।

इस साल कुंडे की नियाज़ के दौरान:

1. औकाफ़ की हिफाजत के लिए दुआ की जाएगी, ताकि यह संपत्तियां सही मकसद के लिए इस्तेमाल हों।

2. हज़रत इमाम अली (अ.स.) यूनिवर्सिटी के भारत में कयाम के लिए अल्लाह से दुआ की जाएगी, ताकि यह तालीम और इंसाफ का एक आदर्श केंद्र बने।

3. देश की तरक्की और बुलंदी के लिए दुआ होगी, ताकि भारत हर क्षेत्र में तरक्की करे और अमन का गढ़ बने।

रात की मेहनत और सुबह की इबादत का संगम

कुंडे की नियाज़ में महिलाओं का योगदान खास होता है। वे पूरी रात पाकीज़गी के साथ खीर, टिकिया, और पूड़ी जैसे पकवान तैयार करती हैं। सुबह की नमाज के वक्त इन पकवानों को नियाज़ के तौर पर पेश किया जाता है। यह आयोजन इबादत और मेहनत के संगम का एक अनोखा प्रतीक है।

22 रजब का यह दिन इमाम जाफर सादिक (अ.स.) की शिक्षाओं, औकाफ़ की हिफाजत और हज़रत इमाम अली (अ.स.) यूनिवर्सिटी के कयाम के लिए दुआ का एक पवित्र अवसर है। यह दिन हमें शिक्षा, न्याय, और इंसानियत के पैगाम को फैलाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देता है।

“कुंडे की नियाज़ से शुरू होगा औकाफ़ की हिफाजत और तालीम के नए युग का आगाज़।”

 

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