दुनिया की ग्रांड रिलिजियस अथॉरिटी आयतुल्लाह अली सिस्तानी साहब की हिदायत – अमन, भाईचारे और इस्लामी शरीयत का पैग़ाम,भारत में होली के दिन जुमा की नमाज के वक्त पर जारी हुई एडवायजरी,नजफ़-ए-अशरफ़ से आया हुक्म

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तहलका टुडे टीम

लखनऊ, 10 मार्च 2025 – दुनिया भर में शिया मुसलमानों के सबसे बड़े धार्मिक रहनुमा आयतुल्लाहुल उज़्मा सैयद अली हुसैनी सिस्तानी (दाम ज़िल्लुह) को न सिर्फ इस्लामी फिक्ह और शरीयत का सबसे बड़ा मरकज़ माना जाता है, बल्कि उन्हें शांति, इंसाफ और भाईचारे का भी नायक समझा जाता है। उनकी रहनुमाई में पूरी दुनिया के करोड़ों लोग उनकी तकलीद (अनुकरण) करते हैं और उनकी तौज़ीहुल मसाइल (शरई अहकाम की व्याख्या) को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाते हैं।

होली के दिन जुमा की नमाज के वक्त पर आई हिदायत

इस बार 14 मार्च 2025 (13 रमज़ान 1446 हिजरी) को हिंदुस्तान में होली का त्यौहार मनाया जाएगा, जो कि एक राष्ट्रीय पर्व है। इस दिन मुल्क के कई हिस्सों में होली की वजह से मस्जिदों तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है। इस संदर्भ में कई आइम्मा-ए-जुमा (नमाज़-ए-जुमा के इमामों) ने लखनऊ में स्थित “दफ़्तर-ए-नुमाइंदगी आयतुल्लाह सिस्तानी” से राब्ता किया और पूछा कि ऐसी स्थिति में नमाज-ए-जुमा का वक्त क्या होगा?

इस पर लखनऊ स्थित दफ़्तर ने इस मसले को नजफ़-ए-अशरफ़ में मौजूद मरकज़ी दफ़्तर तक पहुंचाया, जिसके बाद वहां से एक शरई हिदायत जारी की गई

मरकज़ी दफ़्तर नजफ़-ए-अशरफ़ की हिदायत:

  1. जहां निर्धारित वक्त (अव्वल वक्त) पर नमाज़-ए-जुमा अदा करना संभव हो, वहां इसे उसी समय अदा किया जाए।
  2. जहां हालात की वजह से मुअय्यन वक्त पर नमाज़-ए-जुमा अदा करना मुमकिन न हो, वहां ख़ुतबा, वअज़ और नसीहत के साथ दोपहर 2 बजे के बाद नमाज़-ए-ज़ोहर अदा की जा सकती है।

शरई हुक्म – क्यों जारी हुई एडवायजरी?

फिकही तौर पर नमाज़-ए-जुमा का वक्त ज़वाल (दोपहर के वक्त सूरज के झुकने) के बाद शुरू होता है और तक़रीबन दो घंटे तक रहता है। इसके बाद नमाज़-ए-जुमा को ताख़ीर (लेट) से अदा करना शरई तौर पर जायज़ नहीं होता। लेकिन इस बार होली के दिन जुमा का संयोग आने की वजह से एक ख़ास एडवायजरी जारी की गई, ताकि लोग शरीयत पर अमल भी कर सकें और किसी परेशानी में भी न पड़ें।

होली के दिन नमाज के वक्त को लेकर ये एडवायजरी क्यों ज़रूरी थी?

  1. अमन-ओ-अमान की हिफाज़त – होली के दौरान सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर काफी भीड़ होती है, जिससे मस्जिद तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है
  2. मुसल्लियों (नमाज़ियों) की सहूलियत – कई स्थानों पर नमाज़ियों के लिए मुअय्यन वक्त पर मस्जिद तक पहुंचना संभव नहीं होगा
  3. इलाके की परिस्थितियाँ – कुछ क्षेत्रों में जुमा के वक्त भीड़भाड़ और सुरक्षा कारणों से परेशानी हो सकती है, जिससे मस्जिद में समय पर जमा होना कठिन हो जाएगा।

आयतुल्लाह सिस्तानी साहब – इंसाफ, अमन और धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक

आयतुल्लाहुल उज़्मा सैयद अली हुसैनी सिस्तानी न केवल इस्लामी फिक्ह के सबसे बड़े रहनुमा हैं, बल्कि सामाजिक न्याय, वैश्विक शांति और धार्मिक सहिष्णुता के भी सबसे बड़े समर्थक माने जाते हैं।

इराक में जब आतंकी संगठन ISIS ने हमला किया, तो उन्होंने सभी इराक़ियों (शिया, सुन्नी, ईसाई, कुर्द और यजीदी) को एकजुट रहने और देश की रक्षा करने की अपील की। उनकी इस हिदायत ने इराक़ को टूटने से बचा लिया और आतंकियों के खिलाफ एक मज़बूत मोर्चा खड़ा कर दिया

भारत में उनकी नुमाइंदगी और मार्गदर्शन

भारत में भी आयतुल्लाह सिस्तानी साहब के मानने वालों की बड़ी तादाद है। उनके फतवे शरई हुक्म, इंसानियत, भाईचारे और सामाजिक न्याय पर आधारित होते हैं। लखनऊ में उनका दफ़्तर-ए-नुमाइंदगी “बाब-उल-नजफ़, सज्जाद बाग़ कॉलोनी” में स्थित है, जो हिंदुस्तान में उनके अनुयायियों को इस्लामी शरीयत और सामयिक मुद्दों पर मार्गदर्शन प्रदान करता है।

वैश्विक रहनुमा और शांति दूत

आयतुल्लाहुल उज़्मा सैयद अली हुसैनी सिस्तानी पूरी दुनिया में शांति, इंसाफ, धार्मिक सहिष्णुता और इस्लामी अदब के सबसे बड़े प्रतीकों में से एक हैं। उनकी तकलीद करने वाले दुनिया भर में इंसानियत और भाईचारे का संदेश फैला रहे हैं

इस बार होली के दिन जुमा की नमाज को लेकर जारी हुई एडवायजरी इस बात का सबूत है कि इस्लाम में शरीयत के साथ-साथ अमन, इंसाफ और सामाजिक परिस्थिति को भी देखा जाता है। इस्लाम का मकसद सिर्फ इबादत नहीं, बल्कि हर हाल में इंसानियत की भलाई और हिफाजत भी है

इनके भारत में सैयद अशरफ़ अली अल-ग़रवी
नुमाइंदा आयतुल्लाहुल उज़्मा सैयद अली हुसैनी सिस्तानी (दाम ज़िल्लुह) है , दफ़्तर-ए-नुमाइंदगी, बाब-उल-नजफ़, सज्जाद बाग़ कॉलोनी, लखनऊ में स्थित है
मोबाइल:
+9647726774523 (इराक)
+917526088299 (हिंदुस्तान)

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