“सत्ता के लिए नहीं, जनता के लिए जिए – यही थी बेनी प्रसाद वर्मा की सियासत!”

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The Union Steel Minister, Shri Beni Prasad Verma briefing the media after reviewing the performance of NMDC, in New Delhi on October 23, 2012.

बेनी प्रसाद वर्मा: ईमानदारी, विकास और बेबाकी की अमर पहचान

तहलका टुडे टीम ,सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा 

राजनीति में कई चेहरे आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो अपनी सच्चाई, बेबाकी और ईमानदारी से अमर हो जाते हैं। बेनी प्रसाद वर्मा ऐसे ही नेता थे, जिन्होंने सत्ता को नहीं, बल्कि जनता की सेवा को ही अपना धर्म माना। उनके विचार, उनके संघर्ष और उनका बेखौफ अंदाज उन्हें एक अलग पहचान दिलाता है।

उनकी जयंती के अवसर पर तमाम राजनीतिक दलों के नेता एकजुट होकर उन्हें श्रद्धांजलि दिया, तो यह उनकी महानता और स्वीकार्यता का सबसे बड़ा प्रमाण है। उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि विरोधी भी उनकी ईमानदारी और साहस की मिसाल देते थे।


संघर्ष से सफलता तक: एक प्रेरणादायक यात्रा

बेनी प्रसाद वर्मा ने साधारण किसान परिवार से निकलकर राजनीति में एक ऐसा मुकाम हासिल किया, जिसे पाने के लिए लोग दशकों संघर्ष करते हैं। लेकिन उनकी राजनीति का उद्देश्य सिर्फ सत्ता पाना नहीं, बल्कि गरीबों, किसानों और आम जनता के हक की लड़ाई लड़ना था।

  • माफियाओं से दूरी: उन्होंने कभी भी अपराधियों और माफियाओं को संरक्षण नहीं दिया।
  • भ्रष्टाचार से सख्त नफरत: उन्होंने हमेशा पारदर्शी शासन देने पर जोर दिया।
  • जनता के सच्चे हितैषी: वे हमेशा गरीबों और किसानों की आवाज बने।

“सियासत में जो ईमान बेचे, वो हकीकत में रहनुमा नहीं होता।

जो जनता का हक छीने, वो कभी सच्चा नेता नहीं होता।”


विकास पुरुष: जिन्होंने देश को नई दिशा दी

बेनी प्रसाद वर्मा को एक “विकास पुरुष” के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले लिए, जो आज भी उनकी दूरदृष्टि और नेतृत्व क्षमता को दर्शाते हैं।

1. दूरसंचार क्रांति के नायक

जब वह दूरसंचार मंत्री बने, तब उन्होंने टेलीफोन क्रांति की शुरुआत की। उनके प्रयासों से गांव-गांव तक टेलीफोन सेवा पहुंची और भारत ने डिजिटल क्रांति की ओर कदम बढ़ाया।

2. इस्पात उद्योग में सुधार

इस्पात मंत्री रहते हुए उन्होंने भारतीय इस्पात उद्योग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके सुधारों से इस्पात उत्पादन बढ़ा और देश को आर्थिक मजबूती मिली।

3. शिक्षा और रोजगार पर जोर

अपने गृह क्षेत्र बाराबंकी में उन्होंने शिक्षा और रोजगार के कई अवसर उपलब्ध कराए। उन्होंने हमेशा ग्रामीण विकास को प्राथमिकता दी।


बेबाक नेता, जिसने सत्ता को नहीं, सच्चाई को महत्व दिया

बेनी प्रसाद वर्मा उन गिने-चुने नेताओं में थे, जिन्होंने सत्ता से ज्यादा जनता की भलाई को तवज्जो दी। उनकी बेबाकी और निडरता के किस्से आज भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय हैं।

उनका स्पष्ट कहना था:
“मैं कभी मक्कारों, बदमाशों, माफियाओं और तस्करों का समर्थन नहीं करूंगा, चाहे सत्ता मिले या न मिले!”

यही वजह थी कि उनकी छवि हमेशा बेदाग रही और लोग आज भी उनकी ईमानदारी की कसमें खाते हैं।


जयंती पर एकजुटता: विरोधियों ने भी माना उनका कद

आज जब उनकी जयंती के अवसर पर सभी राजनीतिक दलों के नेता एक मंच पर नजर आ रहे हैं, तो यह उनकी महानता का सबसे बड़ा प्रमाण है।
सच्चे नेताओं की यही पहचान होती है कि उनके जाने के बाद भी उनका प्रभाव बना रहता है।

**”चले गए मगर रोशनी छोड़ गए,

हर दिल में वो कहानी छोड़ गए।”**


अमर विरासत: सच्चाई और विकास का प्रतीक

बेनी प्रसाद वर्मा जैसे नेता सदियों में एक बार पैदा होते हैं। उनका जीवन हमें यह सीख देता है कि सच्ची राजनीति सत्ता के लिए नहीं, बल्कि जनता के लिए की जाती है।

आज जब हम उनकी जयंती मना रहे हैं, तो यह सिर्फ उन्हें श्रद्धांजलि देने का दिन नहीं, बल्कि उनके विचारों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेने का दिन है।

बेनी प्रसाद वर्मा की विरासत सिर्फ इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

“वो सियासत में शेर थे,
जो झुका न कभी, जो बिका न कभी।”

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