✍️ “पुरुषोत्तम राम के भारत में ज़ालिमों से मोहब्बत: ये अंग्रेज़ों की अय्याशी का नतीजा है या ज़मीर का बंटाधार?” “जहाँ राम थे, वहाँ रावण के लिए कोई जगह न थी — फिर आज रावणों से इश्क क्यों?”

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📜 तहलका टुडे डॉट कॉम की विशेष प्रस्तुति
✍️ सैयद रिज़वान मुस्तफा रिजवी
📱 मो. 9452000001

🔥 “जहाँ राम थे, वहाँ रावण के लिए कोई जगह न थी — फिर आज रावणों से इश्क क्यों?”

पुरुषोत्तम श्रीराम का भारत — एक ऐसी पावन धरती जिसकी मिट्टी भी सच और न्याय का पाठ पढ़ाती है।
यह वही मिट्टी है जिसने गांधी को जन्म दिया, जिसने अंग्रेज़ों की गोली के सामने सीना तानने वाले लाखों शहीदों को तैयार किया,
और यह वही मिट्टी है जिसने ईरान में अयातुल्लाह खुमैनी जैसे क्रांतिकारी को संस्कार और सलीका सिखाया।

🇮🇳 राम, गांधी और खुमैनी — एक ही मिट्टी की अलग-अलग रोशनी

राम ने लंका जाकर रावण के घमंड को मिटाया।

गांधी ने करबला से सबक लेकर अंग्रेज़ों को अहिंसा से झुका दिया।

और खुमैनी ने अमेरिका और शाह के अत्याचारों के खिलाफ इंकलाब लाकर ईरान को आत्मसम्मान का रास्ता दिखाया।

यह इत्तेफाक नहीं है कि खुमैनी साहब की क्रांति में भारतीयता की गूंज सुनाई देती है।
वो क्रांति सिर्फ ईरानी नहीं थी —
वो एक मानवता की आवाज़ थी।
एक ऐसी आवाज़ जो कहती है:
“ज़ालिम से मोहब्बत नहीं, मज़लूम से वफ़ा करो।

🇮🇱 इज़राइल — रावण की तकनीकी औलाद

इज़राइल की हर बमबारी, हर हत्या, हर दमन —
रावण की याद दिलाता है।
उस रावण की, जो स्त्री का हरण करता है, निर्दोषों का वध करता है, और फिर खुद को ज्ञानी भी कहता है।

आज भारत में वही रावण पूजे जा रहे हैं —

मीडिया चैनलों पर

राजनीतिक बयानों में

और ‘विकास’ के नाम पर।

🇺🇸 अमेरिका — लोकतंत्र की नकली टोपी में साम्राज्यवादी चेहरा

जिस अमेरिका ने दुनिया भर के देशों को बर्बाद किया —

इराक़, अफ़गानिस्तान, सीरिया

और अब ग़ज़्ज़ा और यमन

वही अमेरिका आज भारत का “सबसे बड़ा मित्र” कहलाता है।

लेकिन भारत की असल मित्रता तो उस ईरान से रही है,
जो बिना किसी लोभ के भारत के साथ खड़ा रहा,
जो हमेशा कहता रहा —
“भारत को सिर झुकाने की नहीं, सिर ऊंचा रखने की ज़रूरत है।”

🇮🇷 ईरान — वो दोस्त जो ज़ालिमों से टकराता है, पर दोस्ती निभाता है

ईरान न तो भारत के तेल पर डील कर रिश्ता बनाता है,
न ही हथियारों का सौदागर बनकर आता है।
ईरान का रिश्ता भारत से है:

तहज़ीब में,

इतिहास में,

और सबसे बढ़कर, ज़मीर में।

भारत के हर वो नागरिक जो आज भी

करबला की प्यास समझता है,

राम की मर्यादा जानता है,

गांधी की अहिंसा पर विश्वास रखता है —
वो ईरान से नफरत नहीं कर सकता।

🛑 मगर आज — अंग्रेजों की विरासत के गुलाम, रावणों के दरबार में बैठे हैं!

अंग्रेज़ों ने जो मानसिकता छोड़ी —

गोरे के आगे झुक जाओ

ताकतवर की पूजा करो

ज़मीर को घर में रखो, सौदा बाहर करो

उसी सोच ने आज भारतीय मीडिया को
इज़राइली ड्रोन पर गर्व करना सिखाया,
और ईरान के “ज़ालिमों से टकराने वाले हौसले” पर चुप रहना।

🕊️ गांधी ने राम को, खुमैनी ने हुसैन को आदर्श बनाया — हमने क्या चुना?

आज का भारत दो राहों पर खड़ा है:

राह नायक दिशा

राम-गांधी-खुमैनी की ज़मीर मज़लूमों के साथ
रावण-अंग्रेज़-अमेरिका की भय और स्वार्थ ज़ालिमों के साथ

अब भी वक़्त है — ज़मीर को चुनो, ज़ालिम को नहीं!

पुरुषोत्तम राम के भारत में

अगर रावण पूजे जाने लगे,

अगर गांधी के हत्यारों को माला पहनाई जाए,

अगर खुमैनी जैसे क्रांतिकारियों को “खलनायक” कहा जाए —
तो समझ लीजिए,
ज़ुल्म से ज़्यादा खतरनाक है चुप्पी।

अब भी समय है:
📢 राम को याद करो,
📢 गांधी को समझो,
📢 इमाम हुसैन और आयतुल्लाह खुमैनी से सबक लो।

🌍 दुनिया में बहुत कम देश बचे हैं जो आज भी ज़ालिमों के सामने झुके नहीं —
ईरान उन्हीं में से है।
और भारत को याद रखना होगा:
ईरान से दोस्ती मज़लूमी की पहचान है,
और अमेरिका-इज़राइल से मोहब्बत ग़ुलामी की पहचान।

📢 इस लेख को हर गली, हर मोहल्ले, हर स्क्रीन और हर ज़मीर तक पहुँचाओ!
📢 ये सिर्फ़ लेख नहीं, एक दस्तक है — जमीर के दरवाज़े पर!

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