तहलका टुडे टीम
अयोध्या: जब ईमानदारी, इंसाफ और इंसानियत किसी अधिकारी की शख्सियत में रच-बस जाती है, तो वह समाज के लिए मिसाल बन जाता है। ऐसी ही शख्सियत हैं 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी, अयोध्या के IG प्रवीण कुमार, जिनकी कर्तव्यनिष्ठा, नेतृत्व क्षमता और मानवीय संवेदनशीलता ने उन्हें एक मिसाल अफसर बना दिया है।
महाकुंभ और रामलला के दर्शन में प्रशासनिक कौशल का परिचय
IG प्रवीण कुमार ने हाल ही में अयोध्या में प्रयागराज महाकुंभ के दौरान विशाल श्रद्धालु समूह के कुशल प्रबंधन में अहम भूमिका निभाई। राम मंदिर में 1.26 करोड़ श्रद्धालुओं के सुचारू दर्शन और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने में उनकी महत्वपूर्ण भागीदारी रही।
कमिश्नर गौरव दयाल के साथ वे लगातार एक महीने तक अयोध्या में रहकर दिन-रात अपनी जिम्मेदारियां निभाते रहे। भोर से लेकर देर रात तक वे व्यवस्थाओं पर नज़र बनाए रखते थे। उनके नेतृत्व में पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि उनसे सम्मानपूर्वक व्यवहार करते हुए उनकी यात्रा को यादगार भी बनाया।
🌟 प्रशासनिक अनुभव को संवेदनशील कविता में पिरोया
IG प्रवीण कुमार सिर्फ एक सख्त प्रशासक ही नहीं, बल्कि संवेदनशील कवि भी हैं। उन्होंने महाकुंभ में भीड़ प्रबंधन के अपने अनुभवों को कविता के रूप में अभिव्यक्त किया, जिसे राम मंदिर ट्रस्ट ने विशेष रूप से एक वीडियो के रूप में जारी किया। उनकी यह रचना न केवल महाकुंभ के विराट आयोजन को दर्शाती है, बल्कि प्रशासनिक कर्मठता और श्रद्धालुओं की आस्था का जीवंत चित्रण भी करती है।
📜 ये है IG प्रवीण कुमार की प्रेरक कविता:
https://x.com/Praveenupips/status/1900045174501499323?t=9yH7DXLpn31hxLUPc8hXCg&s=19
छोटा सा ये गर्भगृह, छोटे से मेरे रामलला।
पूरा कुंभ उमड़ के आया, जहाँ विराजित रामलला।
कोई चले प्रयागराज से, और कोई काशी से।
पहुँच रहा है पूरा भारत, वाया सतना-झांसी से।
पूरे भारत की दिखती, सड़क मार्ग पर ही झाँकी।
होल्ड करे, फिर छोड़ा करती, सरहद-सरहद पे खाकी।
अमेठी, प्रयागीपुर, यादवनगर और कूड़ेभार।
हलियापुर, बंकी संग गोंडा, बाँटा करते सारा भार।
रुकना कोई एक न चाहे, तुरंत पहुँचने को तैयार।
नए रास्ते खोज रहे, लिये जीपीएस बस और कार।
जितना लीकेज, उतनी डांटें, मिलती सबको बारंबार।
दिन और रात अनवरत श्रम से, हर एक शख्स हुआ दो-चार।
कोई आकुल, कोई व्याकुल, कब होंगे दर्शन दीदार।
अधिकांश श्रीराम नाम ले, करते बारी का इंतजार।
कोई पुलिस प्रशासन को, मुक्तकंठ देता आभार।
तो कोई ज्ञानी परस रहा था, सोशल मीडिया पे उद्गार।
पहुँचे अयोध्या की पार्किंग, चतुर्दिक वाहन कतार।
एक सीमा से ज्यादा वाहन, तो हो जाए बंटाधार।
पंचकोस सा डायवर्जन है, पहुंचे जो टेढ़ी बाजार।
धर्मपथ से फटिक शिला, कच्चा घाट हुआ तैयार।
एलएचएस/आरएचएस में, रामपथ की छटा निहार।
थोड़ी दूरी अधिक समय में, श्रद्धालु करते थे पार।
भंवर बन रही पोस्ट ऑफिस पे, या थमता श्रृंगारहाट।
पल भर में नियंत्रण करती, खाकी महिमा अपरंपार।
बरनौली प्रमेय लगायी, क्राउड मैनेजमेंट के दीदार।
कितने आउटफ्लो में अपने, कितने इनफ्लो की दरकार।
एक-एक जनपद, एक-एक कर्मी, सौंप रहा था अपना सार।
तो क्या हुआ कुंभ ना पहुँचे, इनका दर्शन ही त्यौहार।
क्षण मात्र के दर्शन में ही, अनंत सुखों जैसा विस्तार।
जो भी निकला दर से प्रभु की, चेहरे पर आनंद निखार।
इसी बीच रेलवे ने भी, रेल चलायी बारंबार।
गोण्डा-बस्ती जिनको जाना, वो भी पहुँचे प्रभु के द्वार।
एसएसएफ, पैरामिलिट्री, पीएसी और जल पुलिस।
सभी विभागों और जनता ने मिलकर कर दी नैय्या पार।
दो मिनट के परदे में ही, रामलला लेते आहार।
शयन आरती के भी बाद, दर्शन देने को तैयार।
हर एक दिन एक नई प्रेरणा, नई परिस्थिति।
🔥 कविता में प्रशासनिक दक्षता का जीवंत चित्रण
IG प्रवीण कुमार की यह कविता सिर्फ शब्दों का संकलन नहीं, बल्कि उनके कर्मठ प्रशासनिक अनुभव का प्रतिबिंब है। इसमें श्रद्धालुओं की भावनाएं, पुलिसकर्मियों का संघर्ष और भीड़ नियंत्रण की रणनीति, सबकुछ बड़े ही मार्मिक अंदाज में व्यक्त हुआ है।
🌿 जनसेवा और प्रेरक नेतृत्व का उदाहरण
IG प्रवीण कुमार की यह रचना बताती है कि वे एक अधिकारी के रूप में सिर्फ कड़े कानून का पालन ही नहीं कराते, बल्कि अपने संवेदनशील हृदय के जरिए समाज को नई दिशा देने का भी प्रयास करते हैं।
🌟 IG प्रवीण कुमार – कर्तव्यनिष्ठता और संवेदनशीलता का अनूठा संगम
IG प्रवीण कुमार का व्यक्तित्व प्रशासनिक सख्ती और मानवीय संवेदनशीलता का बेहतरीन संयोजन है। उनकी यह कविता प्रशासनिक दक्षता के साथ-साथ मानवीय संवेदनाओं को भी दर्शाती है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि जब ईमानदारी, इंसाफ और इंसानियत किसी अधिकारी का आभूषण बन जाते हैं, तो वह न केवल अपने ओहदे को सार्थक करता है, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा बनकर एक नई राह दिखाता है। 🌿
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