तहलका टुडे टीम
लखनऊ:रजब का महीना, जो मुस्लिम कैलेंडर के महत्वपूर्ण महीनों में से एक है, विशेष रूप से रहमतों और बरकतों का महीना माना जाता है। इस महीने में विशेष रूप से 13 रजब को, जब इमाम अली (अ.स.) का जन्म हुआ, अल्लाह से दुआ करने का विशेष महत्व है। यही वजह है कि शिया जामा मस्जिद, नेपियर रोड, लखनऊ में 13 से 16 जनवरी तक तीन दिवसीय एतिकाफ का आयोजन किया जा रहा है।
एतिकाफ और उसका महत्व
एतिकाफ, वह समय होता है जब मुसलमान मस्जिद में बैठकर पूरी तरह से इबादत और दुआ में रत रहते हैं। यह समय अल्लाह के करीब जाने और अपनी परेशानियों, दुखों और इच्छाओं को अल्लाह के सामने रखने का होता है। इस दौरान की गई हर दुआ, हर इबादत, और हर आंसू अल्लाह के दरबार में विशेष स्थान पाते हैं। जैसा कि हज़रत अली (अ.स.) ने नहजुल बलागा में कहा था, “दुआ मुसीबतों को टालने का सबसे बड़ा जरिया है।”
13 रजब: हज़रत अली (अ.स.) की विलादत का दिन
13 रजब को जब काबे के अंदर हज़रत अली (अ.स.) का जन्म हुआ, यह इस्लाम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। यह दिन मुसलमानों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अल्लाह की विशेष रहमत और करिश्मे का प्रतीक है। एतिकाफ में बैठकर इस दिन की दुआ की जाए तो यह आशा और विश्वास का संचार करता है कि अल्लाह अपनी रहमत से बंदे की हर मुश्किल को आसान करेगा और उनकी मुरादों को पूरा करेगा।
एतिकाफ का उद्देश्य
एतिकाफ का मुख्य उद्देश्य अल्लाह के करीब जाना, अपने गुनाहों की माफी मांगना और दुआओं की कुबूलियत प्राप्त करना है। यह एक आध्यात्मिक सफर है, जिसमें व्यक्ति अपनी सांसारिक परेशानियों से दूर हो कर अल्लाह से अपनी सच्ची और दिली दुआ करता है। यह वह समय होता है जब इंसान अपने जीवन की नई राह तलाशता है और अपनी किस्मत को बदलने का प्रयास करता है।
जामा मस्जिद का आध्यात्मिक माहौल
शिया जामा मस्जिद का पवित्र वातावरण और वहां का शांतिपूर्ण माहौल एतिकाफ करने के लिए आदर्श स्थल है। यहां की अल्लाह की इबादत, दुआ और इमाम अली (अ.स.) की विलादत की यादें इस समय को और भी पवित्र बना देती हैं। इस मौके पर लोग अपनी मुरादों की कुबूलियत के लिए सच्चे दिल से दुआ करते हैं, और उम्मीद रखते हैं कि अल्लाह उनकी दुआ जरूर सुनेगा।
किस्मत का करिश्मा और अल्लाह की नेमतें
रजब का महीना और 13 रजब का दिन हर मुसलमान के लिए एक नई उम्मीद और नई प्रेरणा का कारण बनता है। विशेष रूप से बेऔलाद लोग इस मौके का फायदा उठाते हुए, अल्लाह से औलाद की नेमत और अन्य मुरादों के लिए दुआ करते हैं। एतिकाफ के दौरान की गई दुआ, इबादत और सच्चे दिल से किया गया आग्रह, अल्लाह के दरबार में स्वीकार हो सकता है।
इस एतिकाफ में भाग लेकर, हम अपनी आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं, और अपने जीवन में अल्लाह की रहमत और बरकतों को शामिल कर सकते हैं।
कार्यक्रम की जानकारी:
शुरुआत: 13 जनवरी (सोमवार रात)
समाप्ति: 16 जनवरी (गुरुवार शाम)
स्थान: शिया जामा मस्जिद, नेपियर रोड, लखनऊ
इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बिस्तर, कपड़े, खाने-पीने का सामान, कुरान और दुआ की किताबें लाएं और मस्जिद के अनुशासन और एतिकाफ के आदाब का पालन करें।
संपर्क:
भाई कल्बे पंजतन
📱 मोबाइल: +91 9919338996
आइए, इस रजब के महीने में अल्लाह की रहमतों और बरकतों का लाभ उठाएं और अपनी आत्मा को पाक करें।