“नूर-ए-हुसैन” अवॉर्ड से सैयद रिज़वान मुस्तफा हुए सम्मानित
तहलका टुडे टीम
लखनऊ : तालीम और खिदमत के मैदान में अपनी नायाब सेवाओं के लिए मशहूर तंजीमुल मकातिब ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वह न सिर्फ इल्म की रोशनी फैला रही है, बल्कि समाज के उन अफराद को भी सराह रही है, जो सच्चाई और इंसाफ़ की राह पर चल रहे हैं। इसी सिलसिले में 14 मार्च 2025 (13 रमज़ान) की मुबारक रात 1200 मकातिब के ज़ेरे निगरानी चलने वाली इस अज़ीम तंजीम ने अपने रमज़ान प्रोग्राम में सैयद रिज़वान मुस्तफा को “नूर-ए-हुसैन” अवॉर्ड से नवाज़ा।
तंजीमुल मकातिब – जहां इल्म के साथ अज़्म भी दिया जाता है
तंजीमुल मकातिब सिर्फ किताबों की तालीम देने तक महदूद नहीं है, बल्कि यह उन जज़्बों को भी पहचानती और सराहती है, जो इमाम हुसैन (अ.) के पैग़ाम को अपने अमल से ज़िंदा रखते हैं। यही वजह है कि इस संस्था ने रहबर-ए-हिंद मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी साहब और जामिया इमामिया के प्रिंसिपल मौलाना सैयद मुमताज जाफर साहब की मौजूदगी में सैयद रिज़वान मुस्तफा को यह एज़ाज़ अता किया।
“नूर-ए-हुसैन” – रोशनी जो हर अंधेरे को मिटा दे
यह सिर्फ़ एक अवॉर्ड नहीं, बल्कि एक पैग़ाम था कि हक़ की राह पर चलने वालों को तंजीमुल मकातिब की सरपरस्ती हमेशा हासिल रहेगी। इस मौके पर सैयद रिज़वान मुस्तफा ने अपने जज़्बात का इज़हार करते हुए कहा:
“यह सिर्फ एक लाइट नहीं, बल्कि कर्बला के उस अज्म और हौसले की निशानी है, जिसने हमें सिखाया कि हक़ पर रहना है, कुर्बान होना है और किसी ज़ालिम के आगे झुकना नहीं है।”
तंजीमुल मकातिब – जहां से निकलती हैं आने वाली नस्लों की राहें
तंजीमुल मकातिब ने हमेशा यह साबित किया है कि वह सिर्फ़ तालीम नहीं, बल्कि हौसला, हिम्मत और इंसाफ़ की बुनियाद भी रखती है। यह तंजीम वह मरकज़ है, जहां से निकलने वाले लोग इल्म और अमल दोनों की रोशनी से समाज को रोशन कर रहे हैं।
“नूर-ए-हुसैन” – हर हक़परस्त का हौसला
इस एज़ाज़ के बाद सैयद रिज़वान मुस्तफा ने तंजीमुल मकातिब और इसके रहनुमाओं का शुक्रिया अदा किया और कहा:
“यह रोशनी हर मुश्किल वक्त में मेरा हौसला बढ़ाएगी और मुझे याद दिलाएगी कि हक़ पर डटे रहना ही असल इबादत और वफादारी है।”
तंजीमुल मकातिब – खिदमत और इंसाफ़ का पैग़ाम
यह अवॉर्ड सिर्फ एक शख्स की पहचान नहीं, बल्कि उस तंजीम का भी एतराफ़ है, जिसने समाज में सच्चाई और इंसानियत की अलामतों को उभरने का मौका दिया। तंजीमुल मकातिब हमेशा खिदमत, हौसले और इंसाफ़ की राह पर चलने वालों का साथ देता रहेगा, इंशाअल्लाह!