तेहरान/कर्बला/दिल्ली/बगदाद,लखनऊ – विशेष रिपोर्ट | सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा
जब ज़मीन पर ज़ुल्म बढ़ता है, तो आसमान से लानत बरसने लगती है।
जब शैतान इन्सान के भेष में दुनिया की अमन और शांति को तबाह करने निकले,
तो फिर ईरान जैसा मुल्क मैदान में उतरता है — ना डरने के लिए, बल्कि ज़ालिमों को ललकारने के लिए।
आज अमेरिका और इज़राइल जैसे साम्राज्यवादी ताक़तों की नींद उड़ चुकी है,
क्योंकि सामने अब कोई कमजोर अरब नहीं,
बल्कि ईरान है — जिसका सर झुकता नहीं, बल्कि उठकर कहता है: “लब्बैक या हुसैन!”
📣 नेतन्याहू की थरथराहट, ट्रंप की बौखलाहट: ईरान के नाम से डरे ये दोनों शैतान!
नेतन्याहू का FOX न्यूज पर बयान कि ईरान ट्रंप को मारना चाहता है —
दरअसल एक डर की चीख़ है,
जो अब पूरी दुनिया के सामने बेज़ार और बेबस नज़र आती है।
वो ट्रंप जो कभी पूरी दुनिया को धमकाता था,
अब खुद को बचाने के लिए नेतन्याहू के कंधे पर रोता फिर रहा है
🌍 पूरी दुनिया से शिया समाज और मुसलमानों की तौहीद-भरपूर आवाज़:
- एक तरफ जहां तेहरान की गलियों में मातम और इंकलाब का नारा एक साथ गूंज रहा है,
- वहीं दूसरी ओर लखनऊ से लेकर कर्बला, क़ुम से लेकर बैरूत, और बंबई से बग़दाद तक हर शिया मुसलमान — और हर इंसाफ़पसंद इंसान — सज्दे में है।
⏳ वो रात दिन नमाज़ें पढ़ रहे हैं,
📖 कुरआन की तिलावत कर रहे हैं,
🕊️ दुआएं कर रहे हैं कि
“या रब, इन ज़ालिमों — इज़राइल और अमेरिका — को नेस्तनाबूद कर दे,
जो सिर्फ नफ़रत और खून के सौदागर हैं।”
🛡️ ईरान की हिम्मत, हौसला और हथियार — सब कुछ पाक मक़सद के लिए
ईरान की ताक़त अब मिसाइलों और ड्रोन से ज़्यादा,
उसकी आवाम के उस यकीन में है जो कहती है:
“हम शहीद होंगे, लेकिन झुकेंगे नहीं!”
🔹 IRGC के जनरलों की शहादत हो या तेहरान पर बमबारी —
ईरान के लहजे में शिकस्ता नहीं, बल्कि बदला हुआ अंदाज़ है।
🔹 ईरानी राष्ट्रपति मसनूद पेज़ेशकियान का बयान साफ है:
“अगर दुश्मन दोबारा हमला करेगा, तो इस बार जवाब इतना दर्दनाक होगा कि तारीख याद रखेगी।”
🧕 शिया समाज का जज़्बा: ये सिर्फ जज़्बात नहीं, इंकलाब है!
- मस्जिदों में इमामजादों पर, हुसैनी मातमी इजलासों में,
- बच्चों की ज़ुबान पर “या अली”, “या हुसैन”, “लब्बैक या ज़हरा” के नारे हैं।
- औरतें ज़ैनबी जोश में अपने बेटों को कह रही हैं — “जाओ, इरादा कर लो कर्बला का!🕋 जब दुआ हथियार बन जाए — तब इंकार कोई ताक़त नहीं कर सकती
ईरान के साथ इस वक़्त दुआओं का जंगी तूफान खड़ा हो गया है —
- हुसैनी मजलिसों में “जालिमों पर लानत” का अल्फ़ाज़
- सज्दों में “हाय ज़हरा” की पुकार
- और “इज़्ज़त सिर्फ अल्लाह के लिए है” की सदा
दुनिया देख रही है —
किसी न्यूक्लियर बम से नहीं,
बल्कि दुआ, यकीन और शहादत के जज़्बे से ये जालिम इंकलाब से हारेंगे।
और जब दुनिया की दीवारों पर ये लिखा जाएगा —
“एक मुल्क है ईरान — जो कभी शैतान के आगे झुका नहीं।”
ज़मीर जगा और शैतान भागा
✍️ रिपोर्ट: सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा रिज़वी
📞 संपर्क: 9452000001
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📍 स्थान: तहलका टुडे, लखनऊ–तेहरान विशेष संवाददाता