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तहलका टुडे टीम

लखनऊ – जब देश के ग्रामीण इलाकों में हजारों स्कूलों पर ताले लटकने की खबरें आती हैं, तब सिर्फ ईंट और दीवारें नहीं गिरतीं — गिरती हैं उम्मीदें, टूटते हैं सपने, और बुझने लगती है एक पूरी पीढ़ी की रोशनी।

ऐसे नाज़ुक वक़्त में, इंडियन इंडस्ट्रीज चैंबर ऑफ ट्रस्ट के सेक्रेट्री सैयद रिज़वान मुस्तफा ने एक भावुक, पर व्यावहारिक और दूरदर्शी अपील की है, जो देश के हर ज़िम्मेदार नागरिक, उद्योगपति और नीति-निर्माता के दिल को छू सकती है।


🛠️ उद्योगपतियों से ऐतिहासिक अपील: “तिजारत से ऊपर अब तालीम को रखिए”

“क्या हम इस धरती पर सिर्फ मुनाफा कमाने आए हैं या समाज को कुछ लौटाने भी?”
इसी सवाल को सामने रखते हुए रिज़वान मुस्तफा ने देशभर के उद्योगपतियों से अपील की है:

“सरकार जिन स्कूलों को बंद करने जा रही है, आइए उन्हें गोद लें — उन्हें फिर से मुस्कराना सिखाएं। ईमारतों से जीवन निकालिए, और देश के भविष्य को नई राह दीजिए।”


🏛️ मुख्यमंत्री से प्रस्ताव: “जो स्कूल गोद ले, उस उद्योग को टैक्स फ्री जोन घोषित किया जाए”

सैयद रिज़वान मुस्तफा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि सरकार कैबिनेट प्रस्ताव लाकर ऐसे सभी उद्यमियों को जीरो टैक्स ज़ोन का दर्जा दे जो बंद हो रहे स्कूलों को गोद लें और वहां बच्चों को फिर से पढ़ाई का माहौल दें।

प्रमुख सुझाव:

  • 📚 स्कूल की छात्र संख्या के आधार पर ऑटोमैटिक टैक्स छूट मिले
  • 💼 सीएसआर फंड को इन स्कूलों में निवेश करने के लिए नीति में प्राथमिकता दी जाए
  • 🏢 कंपनियों को भारत सरकार की योजनाओं से जोड़ा जाए
  • 🌍 गोद लिए स्कूल को “आदर्श विद्यालय” बनाकर डिजिटल, स्मार्ट और संस्कारी शिक्षा दी जाए

🇮🇳 “कलाम साहब का देश है ये – जहां हर बच्चा एक मिसाइल बन सकता है”

“हम डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के देश में रहते हैं, जिन्होंने एक छोटे से गांव से निकलकर पूरे विश्व को चौंका दिया। अगर उस वक़्त उनके स्कूल के दरवाज़े बंद होते, तो क्या वह मिसाइल मैन बन पाते?”

आज का सवाल यही है — क्या हम अपने लाखों कलामों के लिए वो दरवाज़े खुला छोड़ेंगे या ताले लटका देंगे?


💡 एक स्कूल = एक गांव की रौशनी

हर स्कूल जो बंद होगा, वहां का एक गांव अंधेरे में जाएगा।
हर स्कूल जो बचेगा, वहां से एक डॉक्टर, एक इंजीनियर, एक सैनिक, एक कलाम पैदा होगा।


📢 “जनआंदोलन बनाएं — स्कूल बचाएं, शिक्षा सजाएं”

शिक्षक संगठनों ने भी सरकार को चेतावनी दी है कि शिक्षा को अनदेखा किया गया तो जनभावनाओं को आंदोलन में बदलने में देर नहीं लगेगी। वहीं दूसरी ओर समाजसेवी संगठनों ने भी समर्थन देते हुए कहा है कि सरकार यदि यह टैक्स फ्री मॉडल लागू करती है तो हज़ारों स्कूल फिर से हंस सकते हैं।


🔰 “ये सिर्फ अपील नहीं, भारत के उज्ज्वल भविष्य की पुकार है”

✍️ “तिजारत के साथ तालीम का साथ — यही नया भारत है, यही सच्चा विकास है”

 

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