पटना। राजधानी के बापू सभागार में आयोजित वक्फ संरक्षण एवं राष्ट्रीय एकता सम्मेलन के दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाने की सख्त चेतावनी दी। मौलाना मदनी ने कहा, “वक्फ हमारा मजहब है। अगर आप इस पर अपनी स्थिति साफ नहीं करेंगे, तो मुसलमान खुद फैसला करेगा कि आपकी सरकार मजहब को जिंदा रखना चाहती है या उसे आग लगाना चाहती है।”
“वक्फ हमारा मजहबी मामला है”
मौलाना मदनी ने अपने संबोधन में वक्फ संपत्तियों और उसके महत्व पर जोर देते हुए कहा कि वक्फ को जिंदा रखना हर मुसलमान का धार्मिक कर्तव्य है। उन्होंने आंध्र प्रदेश और बिहार के मुख्यमंत्रियों को केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक पर समर्थन न देने की नसीहत दी। मदनी ने चेतावनी भरे लहजे में कहा,
“अगर यह विधेयक पारित होता है, तो यह मुसलमानों के पीठ में छुरा घोंपने जैसा होगा। हमारा पर्सनल लॉ कुरान और सुन्नत पर आधारित है, जिसमें संशोधन की कोई गुंजाइश नहीं है।”
प्रधानमंत्री के बयान पर पलटवार
प्रधानमंत्री के हालिया बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए मौलाना मदनी ने कहा,
“कल को प्रधानमंत्री यह भी कह सकते हैं कि नमाज, रोजा, हज और जकात का उल्लेख संविधान में नहीं है, इसलिए इन पर प्रतिबंध लगा दिया जाए।”
उन्होंने मुसलमानों से सावधान रहने और अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए एकजुट होने की अपील की।
जमीयत का ऐतिहासिक योगदान
मौलाना मदनी ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे बुजुर्गों ने हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई समुदायों को एकजुट कर आजादी की लड़ाई लड़ी।
“जब 1857 में देश सो रहा था, तब हमारे बुजुर्गों ने आंदोलन शुरू किया था। उस समय 33,000 विद्वानों को फांसी दी गई थी। हमारे पूर्वजों ने सिखाया कि बिना एकता के देश की आजादी संभव नहीं है।”
नफरत की राजनीति पर निशाना
मौलाना मदनी ने देश में बढ़ती नफरत की राजनीति और गैर-जिम्मेदार बयानों पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा,
“जब प्रधानमंत्री और गृह मंत्री मुसलमानों के खिलाफ बयान देते हैं, तो बाकी लोगों को जहरीली बातें करने से कौन रोकेगा? अगर देश में संविधान और कानून का राज खत्म हो गया, तो इसका नतीजा बहुत खतरनाक होगा।”
कार्यक्रम में बड़ी शख्सियतों की शिरकत
कार्यक्रम में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की वर्किंग कमेटी के सदस्यों के अलावा प्रांतीय जमीयत के अध्यक्ष बद्र अहमद मुजीबी, डॉ. अनवारुल होदा, डॉ. फैज अहमद कादरी, सांसद अशफाक करीम, मौलाना मशहूद कादरी सहित कई नामचीन हस्तियां शामिल हुईं। महासचिव मुफ्ती सैयद मासूम साकिब ने कार्यक्रम का संचालन किया।
“वक्फ संरक्षण पर फैसला अब मुसलमानों का”
मौलाना मदनी ने अपने भाषण के अंत में कहा,
“अब मुसलमान यह तय करेगा कि वह अपनी धार्मिक धरोहर को कैसे बचाए। वक्फ हमारी पहचान और इबादत का हिस्सा है, इसे मिटने नहीं दिया जाएगा।”
नीतीश कुमार और अन्य नेताओं के सामने अब सवाल है कि क्या वे वक्फ संपत्तियों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाएंगे, या मुसलमानों को अपने भविष्य का फैसला खुद करना होगा।