बाबू जी: सियासत का सूरज, जो हमेशा रोशन रहेगा

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💫 यादों में ज़िंदा रहेगा एक बेमिसाल नेता का क़िस्सा

“बाबू जी” – एक ऐसा नाम, जो सिर्फ एक सियासी शख्सियत नहीं, बल्कि जनता के दिलों पर राज करने वाला सूरज था, जिसकी रोशनी कभी धुंधली नहीं होगी। उनकी आवाज़ में ग़रज थी, बातों में असर और सियासत में दूरअंदेशी।

🌟 खबरों का जादू – जब बाबू जी ने कहा, ‘तुम्हारी खबरें चापलूसों को दौड़ा देती हैं!’

एक दिन बजरंग भाई का फोन आया –
“रिज़वान भैया, बाबू जी बात करना चाहते हैं।”
फोन पर वही जानी-पहचानी गरजती आवाज़ –
“मुस्तफा, कैसे हो?”
मैंने कहा, “दुआएं हैं बाबू जी!”

ख़बरों पर चर्चा छिड़ी, तो बाबू जी ने हंसते हुए कहा –
“तुम्हारी खबर ऐसी होती है कि पार्टी के लोग दौड़ पड़ते हैं! कार्यकर्ता शिकायत करने और चापलूसी में जुट जाते हैं!”
फिर मज़ाकिया लहज़े में बोले –
“आफ़्तार पार्टी में आए नहीं, और खबर ऐसी लिख दी कि मौलाना मेराज इमामत करते-करते नमाज़ ही भूल गए!”

दरअसल, एक इफ्तार पार्टी में अफ्तार की आपाधापी में मौलाना मेराज साहब इमामत के मुसल्ले पर आ गए, नमाज़ पढ़ाने में नमाज ही भूल गए। नमाज़ियों को भी होश नहीं रहा कि नमाज़ पूरी हुई या नहीं। जब मैंने खबर लिखी, तो पूरे शहर में चर्चा फैल गई।
बाबू जी हंसते हुए बोले –
“तुम्हारी खबर से ही पता चला कि ये भी हुआ!”
मैंने मज़ाक में कहा –
“बाबू जी, आफतारी मिली नहीं!”
वो ठहाका लगाकर बोले –
“अब कहां! सब लुट गई!”

🔥 एसकेडी पार्टी,बाबू जी का ग़ुस्सा – ‘तुमका को बुलाईस?!’

एसकेडी पार्टी बनाने के बाद बेगमगंज में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, जब मैंने पूछा –
“प्रदेश में कितनी सीटें मिलेंगी, और बाराबंकी में क्या हाल होगा?”
बाबू जी का जवाब था –
“तुम्हरे ख़ास नहीं जीतेंगे!”
उनका इशारा अरविंद सिंह गोप और रुश्दी मियां की ओर था।
मैंने हल्के अंदाज़ में कह दिया –
“बातें तो आपकी मुंगेरी लाल के सपने जैसी लग रही हैं!”

बस, इतना कहना था कि बाबू जी आग-बबूला हो गए –
“तुमका को बुलाईस?!”
मैंने मुस्कुराकर कहा –
“आपके लोगों ने बुलाया, तो आ गए!”

बाबू जी का ग़ुस्सा सुर्खियों में छा गया। मैंने हेडलाइन दी –
“बाबू जी के सपने और हकीकत का फ़ासला – आग बबूला!”
पूरे प्रदेश में बाबू जी के ग़ुस्से की चर्चा होने लगी।

मुझे धमकियां मिलने लगी, मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे,शिवपाल यादव जी का फोन आया कि सिक्योरिटी के लिए बोल दिया गया है,मैने मना किया कहा इसकी जरूरत नहीं,बाबू जी खुद चापलूसों पर लगाम लगा लेंगे, फिर दो दिन बाद फोन आया तुम मेरे बेटे की तरह हो,सियासत में ऐसे वाक़ए हो जाते है,हमे ऐसा नहीं करना चाहिए था

💔 बाबू जी की आखिरी शिकस्त – ‘चापलूसों ने सब बर्बाद कर दिया!’

अयोध्या चुनाव में करोड़ों खर्च करने के बावजूद बाबू जी बुरी तरह हार गए। उनके चमचों ने पोस्टरों की गाड़ियां तक कबाड़ में बेच दीं। मैंने खबर लिखी –
“सूरज लहुलुहान, हर एक शाम देख ले,
ऐ ज़िंदगी, ग़ुरूर का अंजाम देख ले!”

खबर आग की तरह फैली। बाबू जी का फोन आया –
“कैसे हो? तजुर्बा में धोखा हुआ है। अगर तुम जैसे पत्रकार साथ होते, तो ये जंग न हारते। चापलूसों ने सब बर्बाद कर दिया!”
मैं बस “जी जी” करता रह गया, क्योंकि उस वक़्त शब्द सब उनकी ज़ुबान पर थे।

🙏 श्रद्धांजलि – बाबू जी का योगदान अमर रहेगा

अब बाबू जी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें, उनकी सियासत, उनकी सच्चाई और उनका तेज़ हमेशा ज़िंदा रहेगा
आज 27 मार्च, बृहस्पतिवार को स्वर्गीय बेनी प्रसाद वर्मा “बाबू जी” की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने का अवसर है।

मोहनलाल डिग्री कॉलेज, पल्हरी, बाराबंकी में सुबह समाधि स्थल पर पहुंचकर स्वर्गीय बाबू जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करने का सिलसिला जारी है।

बाबू जी का नाम, उनका योगदान और उनकी विरासत – सियासत के सूरज की तरह हमेशा रोशन रहेगी! 🌹

सैयद रिज़वान मुस्तफा

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