रहमान और शैतान का नुमाइंदा कौन: तकनीक का देवता मस्क या सत्ता का शैतान ट्रंप ? जब मज़लूमों पर बरसी बमबारी, तब कौन था इंसानियत के साथ?

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रहमान और शैतान का नुमाइंदा कौन: मस्क या ट्रंप?

तहलका टुडे वर्ल्ड टीम/सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा 
नई दिल्ली: जब ताक़त इंसानियत से टकराए दुनिया जब जल रही हो — यमन में भूख, सीरिया में बमबारी, ग़ज़ा में मासूम लाशें, और खाड़ी देशों में मज़लूमों की चीखें — तब यह सवाल और अहम हो जाता है कि दुनिया के ताक़तवर लोग किसके साथ खड़े हैं?

एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप — दो बड़े नाम, एक तकनीकी क्रांति का प्रतिनिधि और दूसरा राजनीतिक तूफान का चेहरा। लेकिन अगर इंसानियत को तराज़ू बनाया जाए — रहमान यानी दया, न्याय, और अमन का पैग़ाम — और उसके मुकाबले शैतान यानी ताकब्बुर, ज़ुल्म, और खुदगर्जी का चेहरा, तो इन दोनों में कौन कहां खड़ा नज़र आता है?

1. ज़िंदगी और नज़रिए का फर्क

मस्क:
एक वैज्ञानिक सोच वाला इंसान जिसने अपने सपनों में इंसानियत का वजूद बचाने की चिंता की। टेस्ला, स्पेसएक्स, स्टारलिंक — इन सबका मक़सद सिर्फ मुनाफ़ा नहीं, बल्कि मानवता को एक बेहतर भविष्य देना भी रहा है।

ट्रंप:
अमीरों के घर में पला-बढ़ा कारोबारी जो सत्ता में आया तो नारे थे “Make America Great Again”, लेकिन फैसले थे — दीवारें खड़ी करने वाले, ज़ुल्म को नज़रअंदाज़ करने वाले और इंसानियत को गिरवी रखने वाले।

2. इंसानियत की कसौटी: ग़ज़ा, यमन और खाड़ी देश

ग़ज़ा पर बम बरसते हैं, बच्चे लाशों में तब्दील हो जाते हैं, अस्पताल तबाह, मस्जिदें जमींदोज़ — और दुनिया चुप है।

ट्रंप का रवैया: ज़ुल्म का खुला समर्थन

ट्रंप प्रशासन ने यरुशलम को इसराइल की राजधानी मानकर अमेरिकी दूतावास वहाँ शिफ्ट किया, जिससे पूरे मुस्लिम दुनिया में ग़म और ग़ुस्से की लहर दौड़ गई।

उन्होंने UNRWA (फिलिस्तीनी शरणार्थियों की एजेंसी) की फंडिंग काट दी।

उनका रवैया इसराइल को खुली छूट देने वाला था, जिससे ग़ज़ा पर हमले और बढ़े।

यमन में सऊदी अरब की अगुवाई में चल रही बमबारी को अमेरिकी हथियार और खुफ़िया जानकारी से समर्थन मिला। नतीजा — लाखों बच्चे कुपोषण के शिकार।

मस्क का रवैया: मौन, लेकिन कुछ किरणें

मस्क ने ग़ज़ा पर सीधे बयान नहीं दिया, लेकिन जब वहां इंटरनेट पूरी तरह कट गया था, उन्होंने कहा था कि अगर “Starlink को मदद करने की इजाजत मिले” तो वे सुविधा देंगे।

यमन या खाड़ी देशों में हो रहे जुल्म पर उन्होंने कभी प्रत्यक्ष स्टैंड नहीं लिया — ये उनकी एक बड़ी कमज़ोरी है।

हालांकि वह बार-बार कहते हैं: “हमें पृथ्वी पर और मानवता के लिए काम करना चाहिए” — पर इन मामलों में उनका एक्शन कमज़ोर रहा।

3. ताक़त के साथ रहम या तकब्बुर?

ट्रंप: सत्ता के घमंड में खुदा को भूल जाना

जब सत्ता मिली, तो न्याय की नहीं, बदले की राजनीति की।

मुस्लिम बैन, रिफ्यूजी बैन, नस्लीय टिप्पणियां, पत्रकारों को गाली, कैपिटल हिंसा — ये सब रहम की नहीं, ज़ालिम की पहचान हैं।

कभी भी खाड़ी देशों या ग़ज़ा के बच्चों के लिए हमदर्दी नहीं दिखाई।

मस्क: तकनीक से अमन का सपना, लेकिन अधूरा

स्टारलिंक जैसे प्रोजेक्ट जिनसे बंजर इलाकों में शिक्षा और इंटरनेट पहुँचा — ये इंसानियत के लिए बड़ा कदम है।

जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए ईवी क्रांति — आने वाली नस्लों के लिए राहत।

लेकिन बड़े मंचों पर जुल्म के खिलाफ स्पष्ट स्टैंड न लेना उनकी सोच को अधूरा करता है।

4. सियासी चरित्र और वैश्विक नीति

कसौटी A एलन मस्क D डोनाल्ड ट्रंप

ग़ज़ा पर रवैया मौन, तकनीकी मदद का इशारा ज़ुल्म का खुला समर्थन, इसराइल का पक्षपाती सहयोग
यमन पर स्टैंड कोई नहीं सऊदी गठबंधन को समर्थन, हथियार बिक्री
इंसानियत के लिए टेक्नोलॉजी ✔ सौर ऊर्जा, Starlink, स्पेस रिस्क्यू D अमेरिका फ़र्स्ट के नाम पर दूसरों की अनदेखी
बयानबाज़ी और अहंकार ✔ कम बयान, कभी-कभी बेतुके D झूठ, नफ़रत, घमंड भरे ट्वीट, झगड़े
गरीब देशों के लिए योगदान ✔ सीमित लेकिन सकारात्मक D मदद में कटौती, WHO/UN से दूरी

रहमान कौन, शैतान कौन?

ट्रंप ने जहाँ-जहाँ सत्ता पाई, वहाँ-वहाँ बंटवारा, नफ़रत और खुदगर्जी फैलाई। ग़ज़ा में बच्चों की लाशें गिरती रहीं और ट्रंप ने सिर्फ हथियार और समर्थन दिया। उनके लिए इंसानियत से ज़्यादा सत्ता अहम रही।
👉 ट्रंप शैतानी सोच का प्रतिनिधि बनते हैं — तकब्बुर, झूठ, और ज़ुल्म का चेहरा।

मस्क का ट्रैक रिकॉर्ड खामोशियों और कुछ अवसरों पर चुप रहने का गवाह है, लेकिन उनके विज़न में इंसानियत का वजूद है — पर्यावरण संरक्षण, स्पेस में मानव जाति का विस्तार, और टेक्नोलॉजी से हर किसी को जोड़ना।

👉 मस्क रहमान की राह पर  — जो सही दिशा में हैं, लेकिन अभी उन्हें बोलना और खड़ा होना सीखना होगा।

रहमान और शैतान  इंसान के कर्मों से बनते हैं।
जब बच्चा ग़ज़ा में खून से लथपथ हो और दुनिया खामोश हो, तब जो बोले, वही रहमान का नुमाइंदा है।
जो चुप रहे, वो कायर है।
और जो उस ज़ुल्म को समर्थन दे — वो यक़ीनन शैतान का साथी है।

ट्रंप ने ज़ालिमों का साथ दिया। मस्क ने तकनीक से कुछ उम्मीद जगाई, लेकिन अब वक़्त है कि वो खुलकर इंसानियत के हक़ में बोले।
तभी वो सच में रहमान के नुमाइंदा बन पाएंगे।

क्योंकि ख़ामोशी भी कभी-कभी ज़ुल्म का हिस्सा बन जाती है…”

 

 

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