तहलका टुडे टीम
नई दिल्ली/तेहरान:पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच शुक्रवार शाम भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अरघची के बीच एक अहम टेलीफोनिक बातचीत हुई। इस बातचीत में जयशंकर ने इज़राइली हमलों में मारे गए निर्दोष ईरानी नागरिकों के प्रति भारत सरकार और भारतीय जनता की ओर से गहरी संवेदना प्रकट की।
जयशंकर ने कहा कि भारत इस मुश्किल घड़ी में ईरान के साथ खड़ा है और क्षेत्र में शांति बहाल करने के प्रयासों में सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने हाल ही में फ्रांस के विदेश मंत्री के साथ भी इसी विषय पर बातचीत की है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव कम करने की दिशा में प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
ईरानी विदेश मंत्री अरघची ने भारत की संवेदनशीलता, समर्थन और इज़राइली हमलों की स्पष्ट निंदा के लिए विशेष रूप से धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “हम एक राजनयिक समाधान की दिशा में कार्य कर रहे थे और ओमान के माध्यम से अमेरिका के साथ वार्ता की तैयारी कर रहे थे, लेकिन इज़राइल के लगातार हमले, सैन्य कमांडरों की हत्या, नागरिकों और वैज्ञानिकों को निशाना बनाना—इन सबने कूटनीतिक प्रक्रिया को पटरी से उतार दिया है।”
अरघची ने यह भी कहा कि ईरान की ओर से क्षेत्र में स्थिरता और शांति के लिए राजनयिक विकल्पों को महत्व दिया जा रहा था, लेकिन इज़राइल की आक्रामकता ने हालात को गंभीर बना दिया है।
इस बातचीत को पश्चिम एशिया में जारी संकट के मद्देनज़र बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि भारत और ईरान के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंध हमेशा से गहरे रहे हैं। भारत की ओर से संकट की इस घड़ी में ईरान के साथ सार्वजनिक रूप से खड़े होना, एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
यह वार्ता ऐसे समय पर हुई है जब इज़राइल द्वारा तेहरान और अन्य ईरानी शहरों पर किए गए हमलों में कई नागरिकों की जान चली गई है, और पश्चिम एशिया की स्थिति बेहद संवेदनशील बनी हुई है।
विश्लेषकों का मानना है कि भारत का यह कदम न केवल एक मानवीय आधार पर उठाया गया है, बल्कि यह उसके गैर-पक्षपाती और संतुलित विदेश नीति दृष्टिकोण का भी प्रमाण है, जो विश्व पटल पर उसकी विश्वसनीयता को और मजबूत करता है।