✍️ तहलका टुडे टीम / हसनैन मुस्तफा, लखनऊ | 20 जून 2025
लखनऊ की ऐतिहासिक आसिफी मस्जिद में आज जुमे की नमाज़ के बाद एक ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन का गवाह बना, जिसमें ईरान पर इज़राइली हमलों और अमेरिका द्वारा आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनई को दी गई हत्या की धमकियों के ख़िलाफ़ ग़ुस्से का ज्वार फूट पड़ा।
भीड़ ने अमेरिकी-इज़राइली आतंकवाद के खिलाफ एक सुर में नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने डोनाल्ड ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू की तस्वीरों को जलाया और इज़राइली झंडे को आग के हवाले कर अपना रोष जताया। “मुर्दाबाद अमेरिका, मुर्दाबाद इज़राइल, ख़ामेनई ज़िंदाबाद, मरजअियत ज़िंदाबाद, और गोदी मीडिया हाय-हाय” जैसे नारों से फिज़ा कांप उठी।
कल्बे जवाद नक़वी का ज्वलंत बयान: “अगर ख़ामेनई साहब का एक बाल भी बीका हुआ, तो भारत की ज़मीन इन ज़ालिमों के लिए तंग कर दी जाएगी”
मजलिसे उलमा-ए-हिंद के महासचिव और भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथॉरिटी मौलाना डॉ. सैय्यद कल्बे जवाद नकवी ने जुमे के खुतबे में अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा दी गई धमकी की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा:
“आयतुल्लाह ख़ामेनई केवल ईरान के नेता नहीं, बल्कि करोड़ों शियाओं के मरजअ और मार्गदर्शक हैं। उनके सम्मान से कोई समझौता नहीं होगा। अगर उन्हें कुछ हुआ, तो भारत की ज़मीन इन साम्राज्यवादी ताक़तों के लिए सुरक्षित नहीं रहेगी।”
मौलाना ने भारतीय मीडिया के एक वर्ग को “इज़राइल समर्थक गोदी मीडिया” बताते हुए उसे आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा:
“भारतीय मीडिया ने पत्रकारिता की सारी हदें पार कर दी हैं। जो मीडिया शहीद बच्चों की चीखें नहीं सुनती, वो आयतुल्लाह की तौहीन कर रही है। अगर यही रवैया जारी रहा तो अगला विरोध प्रदर्शन सीधे मीडिया दफ़्तरों के बाहर होगा।”
https://youtu.be/p_1h52IEvMk?si=sdVdBZT0ymhiadRY
उन्होंने चुभते हुए अंदाज़ में कहा:
“अगर मीडिया को इज़राइल इतना प्यारा है, तो वहीं जाकर रिपोर्टिंग करे, ताकि उसे असली बमबारी और सायरन का मतलब समझ में आए। शिया क़ौम बंकरों में नहीं छुपती, हम मैदान-ए-जंग के सिपाही हैं, न कि नेतन्याहू जैसे डरपोक।”
मीडिया पर बड़ा सवाल: “TRP के लिए बिकती है निष्ठा या हक़?”
प्रदर्शन में स्पष्ट रूप से यह चिंता उठाई गई कि भारत के कुछ चैनल अपने एजेंडे और सनसनी के लिए धार्मिक संतुलन और अंतरराष्ट्रीय इंसाफ़ की बुनियादों को कुचल रहे हैं। मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने कहा:
“जब ग़ाज़ा में 70 हज़ार से ज़्यादा औरतें और बच्चे मारे गए, उस वक़्त यह मीडिया खामोश क्यों थी? क्या वह इंसान नहीं थे? आज अगर ईरान जवाब दे रहा है, तो यही मीडिया उसे आतंकी ठहराती है?”
फिलिस्तीन और भारत की ऐतिहासिक नीति की याद दिलाई गई
मौलाना ने महात्मा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी का ज़िक्र करते हुए भारत सरकार से अपील की कि वह अपने पारंपरिक फ़िलिस्तीन समर्थक रुख़ को अपनाए:
“गांधी ने इज़राइल को कभी जायज़ राष्ट्र नहीं माना। अटल जी भी फ़िलिस्तीन के हक़ में थे। आज भारत को अपने ऐतिहासिक चरित्र को निभाना चाहिए।”
अन्य उलेमा का भी इज़राइल और अमेरिका पर तीखा प्रहार
मौलाना एहतिशाम अब्बास ज़ैदी:
“इज़राइल एक आतंकवादी राष्ट्र है। उसने पूरे क्षेत्र में ख़ून-खराबा और अस्थिरता फैलाई है। ईरान पर हमला कर उसने अपने नापाक मंसूबों को उजागर कर दिया है।”
मौलाना रज़ा हैदर ज़ैदी (नायब इमामे जुमा):
“जो लोग आयतुल्लाह ख़ामेनई के ख़िलाफ़ बोलते हैं, वे इंसानियत के ग़द्दार हैं। अगर रहबर को कुछ हुआ, तो यह आग सीमाओं से बाहर फैलेगी। अमेरिका और इज़राइल को इसकी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।”
प्रदर्शन में शामिल प्रमुख धर्मगुरु
इस विरोध प्रदर्शन में शहर के तमाम प्रतिष्ठित उलेमा और सामाजिक प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें मुख्यतः:
- मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी
- मौलाना रज़ा हैदर ज़ैदी
- मौलाना एहतिशाम अब्बास ज़ैदी
- मौलाना क़मरुल हसन
- मौलाना नक़ी अस्करी
- मौलाना शबाहत हुसैन
- मौलाना ग़ुलाम रज़ा
- मौलाना नज़र अब्बास
- मौलाना तसनीम मेहदी
- मौलाना फ़िरोज़ हुसैन
- मौलाना फैज़ बाक़री
- मौलाना आदिल फ़राज़
- और कई अन्य सम्मानित उलेमा
आसिफी मस्जिद में हुए इस अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत के मुसलमान, विशेषकर शिया समुदाय, रहबर ख़ामेनई की सुरक्षा, सम्मान और वैश्विक इंसाफ़ के लिए हर स्तर पर आवाज़ उठाने को तैयार हैं। भारत सरकार और मीडिया के लिए यह चेतावनी भी है — कि अब चुप नहीं बैठा जाएगा, झूठ के पर्दे हटेंगे और ज़ालिमों के खिलाफ मज़लूमों की आवाज़ बुलंद हो