✍️ सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा/तहलका टुडे टीम
“ईरान को अब ‘मैग्नी वाला दूध’ पिलाएगा अमेरिका – क्योंकि सीधा दुश्मनी निभाना अब आउट ऑफ फैशन हो गया है!”
नई दिल्ली
दुनिया के सबसे ताक़तवर लोकतंत्र के नकाब में छिपा शैतान का चेला अब ईरान को ₹2.5 लाख करोड़ की ‘शहद लिपटी छूरी’ देने की तैयारी में है। अमेरिका ने ऐलान किया है कि वह ईरान के सिविल न्यूक्लियर प्रोग्राम में निवेश करेगा। साथ ही कुछ प्रतिबंधों में भी ‘इंसानी हक़ों’ की चाशनी में लपेटकर ढील दी जाएगी।
पर सवाल यह है कि अचानक ये मुहब्बत का मिर्ज़ा कैसे जाग गया?
वर्षों से जिसे ‘नाजिस’ और ‘Axis of Evil’ बताया, अब उसी ईरान के परमाणु प्रोजेक्ट में सिविलियत के नाम पर निवेश क्यों?
☕ “दूध में मैग्नी”: पश्चिमी रसोई का नया फार्मूला!
एक वरिष्ठ विश्लेषक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा –
“ये वही अमेरिका है जो पहले आपके घर में आग लगाएगा, फिर फायर ब्रिगेड बनकर आकर कहेगा – चिंता मत करो, हम सब संभाल लेंगे।”
अब जबकि पश्चिम एशिया में रूस-चीन की मौजूदगी बढ़ रही है और ईरान की मिसाइलें “गज़्वा-ए-तेल-अवीव” की तरफ़ ट्यून हो रही हैं, तब अमेरिका को अचानक ईरान की “नाभिकीय ऊर्जा में संभावनाएं” दिखने लगी हैं।
🤝 “शैतान की कूटनीति: दोस्त बनो, ताकि गला दबाना आसान हो”
जनता के लिए मिठी खबर ये है कि –
“ईरान के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट में अमेरिका करेगा ₹2.5 लाख करोड़ का निवेश!”
लेकिन तह में जाएं तो ये वही अमेरिका है, जो:
जो अभी तक विश्व शांति रहनुमा आयतुल्लाह सैयद अली खामेनई की हत्या के लिए लिए इजराइल के साथ शरीक है।
- सुलेमानी की शहादत के बाद जश्न मना रहा था,
- हिजबुल्लाह को आतंकी कहता है,
- अहले बैत के चाहने वालों पर प्रतिबंध लगाता है,
- और आज उन्हीं की सरज़मीं में निवेश करने चला है?
क्या ये मोहब्बत है या फिर कोई ज्यादा बड़ी चाल?
📜 प्रतिबंधों में ढील: “पहले गला घोंटो, फिर इनहेलर दो”
अमेरिका अब कह रहा है कि वह ईरान पर लगे कुछ “अमानवीय प्रतिबंधों” को कम करेगा। जैसे कोई कहे:
“तुम्हें मारते वक़्त थोड़ा कम दर्द हो, इसलिए हथौड़ा लकड़ी का कर दिया है।”
ईरान को अब तय करना है कि वह इस “मासूमियत में लिपटी” नरमी को स्वीकार करे या समझे कि यह एक नया जहरीला गुलाब है।
🔍 सवाल उठते हैं…
- क्या यह सौदा ईरान के मज़हबी स्वाभिमान पर वार है?
- क्या अमेरिका को अब ईरान में तेल से ज्यादा, तहज़ीब से डर लगने लगा है?
- या फिर यह चीन-रूस को कांटे की तरह हटाने की कोशिश है?
🧠 “जब दुश्मन मिठाई भेजे – तो शक करो!”
ऐसे समय में जब ग़ज़ा में खून बह रहा है, यमन में भूख, इराक़ में जहर, सीरिया में साज़िश और लेबनान में ब्लास्ट –
तब ईरान को गुलाब भेजने वाला अमेरिका दरअसल गुलाब में छिपी कांटेदार चाल परोस रहा है।
🧾 “ईरान, जाग चुका है!”
विश्व शांति रहनुमा आयतुल्लाह सैयद अली खामेनई की सरपरस्ती में ईरान को समझ में आ चुका है कि यह कोई ‘मुनाफ़े का सौदा’ नहीं, बल्कि “दूध में मैग्नी डालकर ममत्व का नाटक” है।
दुनिया के शेर को बिल्ली की मुस्कराहट पर भरोसा नहीं करना
✒️ लेखक: सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा जो सियासत की शतरंज में मोहरों की पहचान रखये है।
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