तहलका टुडे टीम/हसनैन मुस्तफा
लखनऊ, नवंबर 2025।तहज़ीब, अदब और इल्म की धरती लखनऊ एक बार फिर इतिहास लिखने जा रही है।
जहां कभी मशालें रौशनी बांटती थीं, अब वही शहर ज्ञान और इंसानियत की नई मशाल जलाने की तैयारी में है।
अंबर फाउंडेशन के चेयरमैन वफ़ा अब्बास द्वारा केंद्रीय रक्षा मंत्री माननीय राजनाथ सिंह को भेजे गए प्रस्ताव ने अब नई राह खोल दी है।
इस प्रस्ताव पर रक्षा मंत्री कार्यालय ने तुरंत संज्ञान लिया और इसे भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय को अग्रेषित कर दिया —
और अब मंत्रालय ने इस पर आधिकारिक ज्ञापन जारी करते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है।
✉️ सरकार से मिला औपचारिक जवाब
6 नवंबर 2025 को शिक्षा मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग के अपर सचिव श्री संजय कुमार द्वारा जारी ज्ञापन में लिखा गया है:
“रक्षा मंत्री के विशेष कर्तव्य अधिकारी श्री के. पी. सिंह द्वारा भेजे गए पत्र पर आवश्यक कार्रवाई की जाए।
यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है और वर्तमान नियमों व प्रक्रियाओं के अनुसार आगे बढ़ाया जाए।”
यह पत्र विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय दोनों को भी भेजा गया है —
जो यह साबित करता है कि अब यह सपना सरकारी फाइलों से निकलकर ज़मीनी हक़ीक़त बनने की दिशा में बढ़ रहा है।
🌟 एकता, इल्म और इंसानियत का संगम
वफ़ा अब्बास ने अपने पत्र में लिखा —
“हज़रत अली (अ.स.) का जीवन न्याय, ज्ञान और मानवता की सर्वोच्च मिसाल है।
उनके नाम पर बनने वाला यह विश्वविद्यालय हर धर्म, हर विचारधारा और हर तबके के लोगों को एक मंच पर लाएगा।”
यह विश्वविद्यालय आधुनिक विषयों जैसे AI, Robotics, Cybersecurity, Data Science के साथ-साथ नैतिकता और इंसानियत की शिक्षा देगा।
यह केवल एक इमारत नहीं, बल्कि भारत की साझा आत्मा का विश्वविद्यालय होगा।
🕌 लखनऊ: तहज़ीब से टेक्नोलॉजी तक
वफ़ा अब्बास कहते हैं —
“लखनऊ हमेशा से तहज़ीब, अदब और इंसानियत का शहर रहा है।
अब समय आ गया है कि यह शहर शिक्षा और तकनीक के क्षेत्र में भी वैश्विक पहचान हासिल करे।
‘हज़रत अली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी’ इसी दिशा में पहला कदम है।”
उनका कहना है कि इस विश्वविद्यालय में शिया, सुन्नी, बोहरा, हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, पारसी और सभी समुदायों के विद्यार्थी साथ बैठेंगे —
और यही भारत की असली ताक़त है।
🌍 वैश्विक दृष्टिकोण और साझेदारी
इस परियोजना के लिए अजीम प्रेमजी फाउंडेशन जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के जुड़ने की संभावना जताई गई है।
यह विश्वविद्यालय भारत की “Unity in Diversity” की भावना को विश्व पटल पर और मज़बूती से स्थापित करेगा।
🎙️ सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा, प्रवक्ता – हज़रत अली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट
“यह परियोजना सिर्फ़ एक इमारत नहीं, बल्कि विचारों का विश्वविद्यालय होगी।
इसका उद्देश्य यह साबित करना है कि भारत की असली ताक़त उसकी विविधता और साझा संस्कृति में है।
हम चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियाँ यहाँ सिर्फ डिग्री नहीं, बल्कि इंसानियत और ज़िम्मेदारी का सबक लेकर निकलें।”
उन्होंने बताया कि अंबर फाउंडेशन ने शिक्षाविदों और समाजसेवियों के सहयोग से पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है,
और जल्द ही इस परियोजना का पहला चरण शुरू किया जाएगा।
🗣️ वफ़ा अब्बास, चेयरमैन – अंबर फाउंडेशन
“हमारा उद्देश्य किसी एक धर्म या वर्ग के लिए नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए एक ऐसा संस्थान बनाना है
जो भारत की साझा संस्कृति और इल्मी विरासत को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाए।
हज़रत अली (अ.स.) की शिक्षाएं इंसाफ़, इल्म और इंसानियत की रूह हैं —
और यह यूनिवर्सिटी उन्हीं मूल्यों पर खड़ी होगी।
मुझे गर्व है कि माननीय राजनाथ सिंह जी और शिक्षा मंत्रालय ने इस नेक पहल को समर्थन दिया।
अब यह सिर्फ़ सपना नहीं, बल्कि एक मिशन है जिसे हम पूरा करेंगे।”
💫 “जब इल्म और इंसाफ़ साथ चलें — तब तालीम सिर्फ़ पेशा नहीं, इबादत बन जाती है।”
हज़रत अली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी का विचार अब सरकारी स्तर पर आकार ले रहा है —
और यह सिर्फ लखनऊ नहीं, बल्कि पूरे भारत की साझा विरासत का प्रतीक बनेगा।
यह पहल इस बात का प्रमाण है कि जब समाजसेवा, शिक्षा और राष्ट्रीय भावना एक साथ चलें,
तो असंभव भी संभव हो जाता है




