बाराबंकी: लेखपालों का भ्रष्टाचार और भू-माफियाओं की सांठगांठ का भंडाफोड़, शिकायत कर्ता का सिर फोड़ा,सीएम योगी की जीरो टॉलरेंस नीति को पामाल करते हुए लखनऊ से आई एंटीकरप्शन से किया धक्का मुक्की
तहलका टुडे टीम
बाराबंकी, जिसे अपनी गंगा-जमुनी तहजीब और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए जाना जाता है, आज भ्रष्टाचार और अव्यवस्था के गंभीर संकट से जूझ रहा है। जिले के लेखपालों पर रिश्वतखोरी, भू-माफियाओं से सांठगांठ और सरकारी तथा वक्फ संपत्तियों की बंदरबांट के गंभीर आरोप लगे हैं। हालिया घटनाओं ने न केवल इस भ्रष्ट तंत्र का पर्दाफाश किया है, बल्कि प्रशासन और कानून व्यवस्था की कमजोरियों को भी उजागर कर दिया है।
घटनाक्रम: शिकायतकर्ता पर हमला
नगर कोतवाली क्षेत्र में शनिवार को एक ऐसा मामला सामने आया जिसने लेखपालों के भ्रष्टाचार के तौर-तरीकों को उजागर किया। बलवंत यादव नामक व्यक्ति ने अपने दोस्त जुगराज के माध्यम से शिकायत की थी कि उसकी जमीन की पैमाइश के बदले लेखपाल रिश्वत मांग रहा है। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एंटीकरप्शन टीम ने लेखपाल को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़ा।
हालांकि, इसके बाद हालात और खराब हो गए। आरोप है कि इस कार्रवाई से नाराज लेखपालों ने अपने 50 से अधिक सहयोगियों के साथ शिकायतकर्ता और उसकी टीम पर हमला कर दिया। जुगराज गंभीर रूप से घायल हो गया, और एंटीकरप्शन टीम को भी धक्का-मुक्की और गाड़ी को क्षति झेलनी पड़ी।
भ्रष्टाचार का पुराना इतिहास
बाराबंकी में लेखपालों का भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। सरकारी और वक्फ संपत्तियों की बंदरबांट का खेल वर्षों से चल रहा है।
वक्फ नवाब अमजद अली खान की जमीनें: लाजपत नगर की गाटा संख्या 186 मिन और बेगमगंज रसूलपुर की जमीनें लेखपालों और भू-माफियाओं की मिलीभगत से हड़पी जा चुकी हैं।
वक्फ करबला बड़ेल सिविल लाइंस बाराबंकी की 9 बीघा जमीनों को नक्शे में फेरबदल का भू माफियाओं पर चढ़ा दिया।
कई कब्रिस्तान में जिसमें नौगजा,बेगमगंज करबला,कमरिया बाग कब्रिस्तान, खालिदा फ़ाज़ली कब्रिस्तान,पीर बटावन कब्रिस्तान के अलावा मंदिरों और मस्जिदों की जमीनों पर कब्जे हो गए।
जमुरिया नाले की ग्रीन पट्टी: यह जमीन भी भू-माफियाओं को क्लीन चिट देकर हड़पने का आरोप है।जिसे बाद में प्रशासन ने मकान को तुड़वा कर इनकी करतूतों को छिपाया।
लेखपालों की दबंगई और सत्ता का दावा,उनका लिखा राज्यपाल भी नहीं काट सकते
लेखपालों का खुलेआम दावा है कि उनका लिखा कोई नहीं काट सकता, यहां तक कि राज्यपाल भी नहीं। डीएम, एडीएम और एसडीएम जैसे अधिकारी भी इनके प्रभाव में नजर आते हैं।
अराजकतंत्र का बोलबाला: लेखपालों के साथ उनके मुंशी, चपरासी और अन्य अराजक तत्वों का गिरोह सक्रिय है, जो जमीनों की दलाली और बंदरबांट में उनकी मदद करते हैं।
भू-माफियाओं के साथ साठगांठ: आरोप है कि भू-माफियाओं से मिलकर लेखपाल सरकारी संपत्तियों को हड़पने का काम करते हैं।
जिले में भूमि विवादों का बढ़ता ग्राफ
बाराबंकी में लगभग 50% भूमि विवादों की जड़ लेखपालों का भ्रष्टाचार है।
विवादों को बढ़ावा: पैमाइश, नक्शा नजरी, और भूमि रिकॉर्ड के नाम पर रिश्वत और पक्षपात किया जाता है।
हत्या और गंभीर अपराध: इन विवादों के कारण कई मामलों में हत्याएं तक हो चुकी हैं।
एंटीकरप्शन टीम पर हमला: एक गंभीर घटना
एडीएम और एडिशनल एसपी ने बताया कि एंटीकरप्शन टीम के साथ हुए हमले की गंभीरता से जांच की जा रही है।
सीसीटीवी फुटेज: इस मामले में सीसीटीवी फुटेज खंगाली जा रही है।
तीन तहरीरें दर्ज: एंटीकरप्शन टीम, शिकायतकर्ता और महिला लेखपाल ने अलग-अलग तहरीरें दी हैं। सभी पर विधिक कार्रवाई की जा रही है।
प्रशासन और सरकार पर उठे सवाल
इस घटना ने प्रशासनिक तंत्र की कमजोरियों को उजागर कर दिया है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की कमी: जनता का कहना है कि प्रशासन भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई करने में विफल रहा है।
न्याय की उम्मीद: पीड़ित और स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि दोषियों पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।
भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए जाने वाले कदम
1. सख्त कानूनी कार्रवाई: दोषी लेखपालों और उनके सहयोगियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
2. भ्रष्टाचार विरोधी तंत्र को मजबूत करना: एंटीकरप्शन टीम को सुरक्षा और अधिक अधिकार दिए जाने चाहिए।
3. सीसीटीवी फुटेज की जांच: यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई सबूत नष्ट न हो।
4. जवाबदेही तय करना: लेखपालों की कार्यशैली और जिम्मेदारियों की समीक्षा हो।
बाराबंकी के लोग न्याय की मांग
बाराबंकी जिले में लेखपालों और भू-माफियाओं का गठजोड़ एक गंभीर समस्या बन चुका है। सरकारी संपत्तियों की लूट, भूमि विवादों का बढ़ता ग्राफ, और एंटीकरप्शन टीम पर हमला यह दिखाता है कि भ्रष्टाचार किस हद तक फैला हुआ है। अब समय आ गया है कि प्रशासन सख्त कदम उठाए और यह सुनिश्चित करे कि बाराबंकी के लोग भय और अन्याय से मुक्त हो सकें।
“अगर भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगी तो बाराबंकी जैसे जिले अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को खो देंगे। न्याय की इस लड़ाई में प्रशासन और जनता को एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा।”