तहलका टुडे टीम/सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा
🕯️ रूहानी इरादे फ़ौलाद हैं
यह जंग अब छठवें दिन में दाखिल हो चुकी है।
तेहरान, दमिश्क, बग़दाद, ग़ज़्ज़ा, सब जगह आसमानों में आग के गोले तैर रहे हैं।
पर इसी आग के नीचे, एक मुल्क है — ईरान — जो ना केवल इस दुनिया की सबसे बड़ी ताक़तों से लड़ रहा है, बल्कि इंसानियत की तरफ से, मज़लूमों की तरफ से, और इमाम-ए-जमाना (अ.ज.) की हुकूमत के इन्तेज़ार में जंग लड़ रहा है।
📖 इतिहास फिर दोहराया जा रहा है – लेकिन किरदार अब भी वही है
1980 में इराक ने अमेरिका की शह पर ईरान पर हमला किया।
- 8 साल की जंग
- रासायनिक हथियार
- 10 लाख से ज़्यादा जानें
- दुनिया भर की पाबंदियाँ
…लेकिन क्या ईरान टूटा?
नहीं।
क्योंकि वो सिर्फ़ एक मुल्क नहीं , वो हुसैनी उसूलों पर खड़ा एक रूहानी क़िला है।
आज भी वही कहानी दोहराई जा रही है। बस इस बार सामने इज़राइल है और पीठ पीछे अमेरिका। लेकिन ईरान वही है — वही सब्र, वही इस्लामी इंकलाब, वही इमाम-ए-वक्त (अ.ज.) की तैयारी।
🛡️ ईरान की असली ताक़त क्या है?
ताक़त | दुश्मन समझता है | ईरान जानता है |
---|---|---|
मिसाइल | हमला करने के लिए | मज़लूम की हिफ़ाज़त के लिए |
प्रतिबंध | दबाने के लिए | खुद्दारी पैदा करने के लिए |
जंग | हारने के लिए | किरदार दिखाने के लिए |
शहादत | मातम के लिए | ज़ुहूर की ज़मीन तैयार करने के लिए |
ईरान जानता है कि अगर सच्चाई की राह पर चलना हो, तो “करबला” दोहरानी पड़ती है।
📊 आर्थिक मोर्चे पर असर — पूरी दुनिया हिल रही है
कच्चे तेल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं:
- US Crude: $74.84 (4.3% ↑)
- Brent Crude: $76.45 (4.4% ↑)
👉 अगर Strait of Hormuz बंद हुआ
➡ तेल की कीमतें $150 प्रति बैरल तक जा सकती हैं
➡ भारत, चीन, यूरोप की अर्थव्यवस्थाओं पर तगड़ा प्रहार
➡ डॉलर मज़बूत, बाकी दुनिया की मुद्राएं कमज़ोर
🌍 वैश्विक नुकसान का अनुमान:
क्षेत्र | अनुमानित आर्थिक नुक़सान |
---|---|
वैश्विक GDP | $1.5 ट्रिलियन+ |
शेयर बाज़ार | $5 ट्रिलियन तक गिरावट |
तेल आयातक देश | $200 बिलियन घाटा |
अमेरिका का सैन्य ख़र्च | $100 बिलियन/वर्ष |
🧠 लेकिन ईरान के पास वो है जो दुनिया में किसी के पास नहीं
- फ़िक्र-ए-ज़ुहूर: वो इंक़लाब जो पूरी दुनिया को न्याय देने वाला होगा
- मज़लूमों का दर्द: फलीस्तीन, यमन, कश्मीर, बहरीन भारत की दुआएं
- करबला का सबक: “सर कटा सकते हैं, सर झुका नहीं सकते”
- मुरशिदान-ए-हक़: इमाम खुमैनी (रह.), शहीद क़ासिम सुलेमानी, हसन नसरुल्लाह,अयातुल्लाह रईसी जैसे लोग
ईरान की हर जंग दरअसल “ज़ुहूर की राह” की सफाई है।
🕊️ ईरान का संदेश: जंग हमारा मक़सद नहीं, लेकिन ज़ुल्म के आगे झुकना भी नहीं
“हम हथियार चलाना नहीं चाहते, पर अगर तुम्हारा ज़ुल्म हमारे दरवाज़े तक आ गया तो हम हाथों में सिर्फ़ किताब नहीं, कर्बला की तलवारें भी उठाएंगे।”
📜 इस जंग के छठा दिन = इमाम की तैयारी के लिए छठा क़दम
- सब्र – दुनिया ने दगा दिया, ईरान ने सब्र किया
- ख़ुद्दारी – पाबंदियाँ झेलीं, लेकिन ज़ात नहीं बेची
- मज़लूमियत – हर ग़म को गले लगाया
- शहादत – हर मौत को ज़ुहूर की मसर्रत बनाया
- इंकलाब – हर हमले का जवाब किरदार से दिया
🏴 और इमाम-ए-जमाना (अ.ज.) को यही फौज चाहिए
- जो दुनिया की फ़ौजों से नहीं, हुसैनी किरदार से जीती हो
- जो बम और टैंक नहीं, दुआ और इख़लास से लैस हो
- जो मज़लूमों की तरफ से लड़े, और ज़ालिमों के खिलाफ़ लड़े
- जो जब ज़ुहूर हो, तो कह सके:
“मौला हमने इंतेज़ार सिर्फ़ लफ़्ज़ों में नहीं किया — हमने किरदार में भी तुम्हारी राह तक़रीब की है।”
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यह लेख सिर्फ़ पढ़ा न जाए — इसे समझा जाए, महसूस किया जाए, और बताया जाए। क्योंकि जो रूह इस जंग में बोल रही है, वो आने वाले दौर का सबसे बड़ा पैग़ाम है।