ग़ज़ा की मज़लूमियत पर परदा डालने की नाकाम कोशिश: भूख-प्यास से तड़पते बच्चों की हालत देखने पहुँचे डिप्लोमैट्स पर इज़रायली फायरिंग, दुनिया भर से तीखी प्रतिक्रियाएं

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तहलका टुडे इंटर नेशनल डेस्क/सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा 

 

नई दिल्ली 22मई 2025ग़ज़ा और वेस्ट बैंक की बर्बादी को अपनी आंखों से देखने पहुँचे अंतरराष्ट्रीय राजनयिकों पर जब गोलियाँ बरसाई गईं, तो ये सिर्फ़ इज़रायल की बर्बरता नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सम्मान पर हमला था। भूख, प्यास और गोलियों के साए में जी रहे फिलिस्तीनियों की हालत देखने गए कनाडा, ब्रिटेन, फ्रांस, मैक्सिको, नीदरलैंड, नॉर्वे, आयरलैंड समेत 20 से अधिक देशों के प्रतिनिधिमंडल पर इज़रायली सैनिकों ने गोलीबारी की।

 

प्रतिनिधिमंडल कब्ज़े वाले वेस्ट बैंक के जेनिन स्थित शरणार्थी शिविर का दौरा कर रहा था, जहां इज़रायल का सैन्य अभियान पिछले चार महीनों से जारी है। इस अभियान में सैकड़ों नागरिक मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल वहां की मानवीय स्थिति का जायज़ा लेने गया था, लेकिन इज़रायली सेना ने कथित तौर पर “चेतावनी के लिए” गोलियाँ चला दीं।

वीडियो फुटेज और चश्मदीदों की गवाही यह बताने के लिए काफ़ी है कि यह कोई सामान्य चेतावनी नहीं थी। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब दुनिया भर के मानवाधिकार संगठन पहले से ही इज़रायल की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं।

दुनिया भर से तीखी प्रतिक्रियाएं : इज़रायल की चौतरफा निंदा

इज़रायली सेना के इस कृत्य की दुनिया भर की सरकारों ने कड़ी निंदा की है :

कनाडा : प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने इज़रायली राजदूत को तलब कर तुरंत जांच और जवाब तलब किया।

चीन : विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने पूरी और निष्पक्ष जांच की मांग की।

ब्रिटेन : मंत्री हैमिश फाल्कनर ने कहा, “जेनिन में आज की घटना अस्वीकार्य है। दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

आयरलैंड : प्रधानमंत्री माइकल मार्टिन ने इसे “आक्रामक और हिंसात्मक कृत्य” बताया।

फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, फिनलैंड, बेल्जियम, डेनमार्क, जर्मनी, नॉर्वे, स्लोवेनिया, पुर्तगाल, जॉर्डन, मिस्र, तुर्किये, कतर, मैक्सिको और उरुग्वे — सभी ने एक स्वर में इसे अंतरराष्ट्रीय कानून और विएना कन्वेंशन का उल्लंघन बताया और इज़रायल से तत्काल और ठोस सफाई मांगी है।

मैक्सिको ने विशेष रूप से विएना कन्वेंशन के अनुच्छेद 29 का हवाला देते हुए कहा कि यह घटना एक अंतरराष्ट्रीय संधि का सीधा उल्लंघन है।

नॉर्वे के विदेश मंत्री एस्पेन बार्थ आइडे ने इसे “अंतरराष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन” कहा, वहीं तुर्किये ने इसे “डिप्लोमैटिक संबंधों की बुनियाद पर हमला” बताया।

 

मानवता पर हमला, सच्चाई को दबाने की कोशिश

इस प्रतिनिधिमंडल में कई ऐसे देश शामिल थे जिन्होंने ग़ज़ा में जारी मानवीय संकट को रोकने के लिए बार-बार युद्धविराम की मांग की है। परंतु इज़रायल ने न सिर्फ़ इस दौरे को असहज किया, बल्कि यह स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की कि जो कोई भी फिलिस्तीन की हकीकत को उजागर करना चाहेगा, उसे डराने-धमकाने से भी पीछे नहीं हटेगा।

ग़ज़ा में जहां एक-एक रोटी के लिए बच्चे तड़प रहे हैं, वहीं इज़रायल की बर्बरता अब निरीक्षण करने आए विदेशी प्रतिनिधियों को भी नहीं बख्श रही। यह घटना न केवल मानवता के खिलाफ अपराध है, बल्कि यह इज़रायल की उस मानसिकता को भी उजागर करती है जो जवाबदेही और अंतरराष्ट्रीय नियमों को ठेंगा दिखा रही है।

अब सवाल पूरी दुनिया से है : चुप रहोगे या इंसाफ़ की आवाज़ बनोगे?

इज़रायली सरकार का यह कृत्य वैश्विक समुदाय के लिए एक निर्णायक मोड़ है। क्या दुनिया ऐसे देश को और अधिक समर्थन देगी जो मानवीय मदद देखने आए राजनयिकों पर गोलियाँ चलाने से भी नहीं हिचकता? या अब समय आ गया है जब इज़रायल की बर्बरता के खिलाफ सख़्त और ठोस अंतरराष्ट्रीय कदम उठाए जाएं?

ग़ज़ा के घायल दिलों से निकली आहें अब दीवारें चीर रही हैं। सच्चाई को बंदूक़ों से दबाने की कोशिश शायद हो, पर इतिहास ने सिखाया है — ज़ुल्म की उम्र ज़्यादा नहीं होती।

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