वक्फ (संशोधन) विधेयक पर सदन में मचा घमासान – मौलाना कल्बे जवाद ने जगदंबिका पाल पर बोला हमला, कहा- “बीजेपी में होकर भी मानसिकता कांग्रेस वाली”,अगर विधेयक वापस न हुआ तो हर कुर्बानी के लिए तैयार

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तहलका टुडे टीम

नई दिल्ली। वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर देशभर में घमासान मचा हुआ है। संसद से लेकर सड़क तक विरोध जारी है, और इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हो रही है। इस बीच, भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथॉरिटी आफ़ताबे शरीयत मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी ने वक्फ विधेयक को लेकर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जगदंबिका पाल भले ही अब भाजपा में हैं, लेकिन उनकी मानसिकता कांग्रेस वाली ही बनी हुई है।


संसद में वक्फ विधेयक पर हंगामा, विपक्ष का वॉकआउट

बृहस्पतिवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ। विपक्षी दलों ने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की 655 पन्नों की रिपोर्ट को लेकर सरकार पर संसदीय प्रक्रियाओं के उल्लंघन का आरोप लगाया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि,

“हमें मात्र एक रात में 655 पन्नों की रिपोर्ट पढ़ने को दी गई, जो संसदीय नियमों का सीधा उल्लंघन है। इस विधेयक पर क्लॉज-दर-क्लॉज चर्चा भी नहीं हुई, जबकि यह सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है।”

विपक्ष के भारी विरोध और वॉकआउट के बाद लोकसभा की कार्यवाही 10 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई।


मौलाना कल्बे जवाद ने जगदंबिका पाल पर किया प्रहार

लोकसभा में इस विधेयक को लेकर मचे हंगामे के बाद, मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा,

“जगदंबिका पाल पहले कांग्रेस में थे, अब बीजेपी में आ गए, लेकिन उनकी मानसिकता वही कांग्रेस वाली है। कांग्रेस और बीजेपी में कोई फर्क नहीं रहा। अगर कोई भी सरकार वक्फ संपत्तियों को छीनने का प्रयास करेगी, तो हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे। मुस्लिमों की वक्फ संपत्तियां उनकी धार्मिक और सामाजिक धरोहर हैं, जिन्हें बर्बाद करने की कोई भी साजिश सफल नहीं होगी।”

उन्होंने यह भी कहा कि “अगर यह विधेयक वापस नहीं लिया गया, तो इसके खिलाफ देशभर में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। हम वक्फ के लिए अपनी जान तक कुर्बान करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसे नष्ट करने की इजाजत किसी को नहीं देंगे।”


असदुद्दीन ओवैसी का भी सरकार पर हमला

AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस विधेयक पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लोकसभा में कहा,

“यह विधेयक असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 29 का उल्लंघन करता है। यह वक्फ संपत्तियों को बचाने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें नष्ट करने और मुस्लिमों से छीनने के लिए लाया गया है।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि “70% असहमति रिपोर्ट्स को संसोधित संस्करण में जोड़ा जाएगा, लेकिन विपक्ष इसे पर्याप्त नहीं मान रहा है।”


विपक्षी दलों का कड़ा विरोध

इस विधेयक पर समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा,

“विपक्षी सदस्यों द्वारा दिए गए असहमति नोट को वक्फ संशोधन विधेयक में शामिल नहीं किया गया। सरकार मनमाने तरीके से यह विधेयक ला रही है और ध्यान भटकाने के लिए सत्र के आखिरी दिन इसे पेश किया गया है।”

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सांसद अवधेश प्रसाद ने भी इस विधेयक की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा,

“बिल के संबंध में हमारा सुझाव पूरी तरह से अनदेखा किया गया है। सरकार किसानों और बेरोजगारों की समस्याओं पर ध्यान देने के बजाय इस तरह के मुद्दों को उठाकर असल समस्याओं से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।”


विधेयक को लेकर बीजेपी का पक्ष

भाजपा की ओर से कहा गया कि “वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए यह विधेयक लाया गया है।” समिति ने भाजपा सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया था, जबकि विपक्ष के संशोधनों को खारिज कर दिया गया।

समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था, जिसे समिति ने खारिज कर दिया। विपक्ष का दावा है कि “यह विधेयक वक्फ बोर्डों को कमजोर करने और मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने की साजिश है।”


क्या है वक्फ (संशोधन) विधेयक?

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेंन रिजिजू द्वारा लोकसभा में पेश किया गया था।

इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के नियमन और प्रबंधन से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि यह विधेयक मुस्लिमों की धार्मिक संपत्तियों को छीनने का एक प्रयास है।


अब आगे क्या?

विपक्ष इस विधेयक को लेकर संघर्षरत है और आने वाले दिनों में इसके खिलाफ बड़े स्तर पर आंदोलन की संभावना है। मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने साफ कहा है कि “अगर यह विधेयक पारित हुआ, तो देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन होंगे।”

अब देखना यह है कि सरकार विपक्ष की आपत्तियों को कितनी गंभीरता से लेती है और इस विधेयक को लेकर आगे क्या रणनीति अपनाती है।

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