सैयद रिज़वान मुस्तफा
(समर्पित इस्लामी मूल्यों और आधुनिक ढोंग पर करारी चोट)
जिस धरती पर कभी रूहानियत का दरिया बहता था, अब वहां शराब की नदियां बहाने की तैयारी हो रही है। और ये सब कुछ उस वक्त हो रहा है जब हज जैसे पाक मौके की दस्तक दरवाज़े पर है। जुमरात की रस्म में शैतान को पत्थर मारने की तैयारी हो रही है, और सऊदी सरकार ने शैतान के स्वागत के लिए 600 शराब के अड्डों का गलीचा बिछा दिया है।
शायद अब जमारात पर पत्थर अब अकीदत से नहीं फेंके जा रहे है,
MBS का ‘विजन 2030’ या ‘शैतान का मिशन 666’?
कहा गया था कि यह ‘विजन 2030’ है, पर लगता है ये “विस्की 2030” बन चुका है। प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) आधुनिकता का झुनझुना बजा रहे हैं, और उम्मत ताली पीट रही है—न कौम जागी, न उलेमा बोले।
सिनेमा आ गया, संगीत बज उठा, और अब ‘हराम की हारमनी’ में शराब का सुर भी मिल गया है।
ट्रंप आए थे, ट्रैडिशन ले गए और शैतान छोड़ गए!
ट्रंप जब सऊदी आया था, तब सिर्फ हथियारों के सौदे नहीं हुए थे, अंधे आधुनिकता के बीज भी बोए गए थे। वो तो चले गए, लेकिन उनके पीछे एक नया सऊदी छोड़ गए—जहां ‘हज’ नहीं, ‘हैगओवर’ ट्रेंड में है।
क्या अब उम्मत को ‘अम्राह’ के साथ ‘एमरेसिव’ बार-टूर पैकेज भी मिलेगा?
600 शराबखाने: अबुल लहब की आत्मा भी शर्मिंदा होगी
जो देश मदीना और मक्का की पवित्रता पर दुनिया को नाज़ कराता था, अब वहां नियोम और रेड सी प्रोजेक्ट जैसे शराबियों के स्वर्ग बनाए जा रहे हैं। बस एक काम बाकी रह गया है—हर कमरे के सामने ‘कॉकटेल’। शायद अगला ऐलान ये होगा कि “काफिरों की सुविधा के लिए नमाज में विराम!”
शराब नहीं बिकेगी मक्का-मदीना में—अभी!
जी हां, सऊदी सरकार ने तसल्ली दी है कि मक्का-मदीना में शराब नहीं बिकेगी।
ठीक वैसे ही जैसे पहले कहा गया था कि सिनेमा नहीं आएगा, फिर आया।
फिर कहा गया था मिक्स्ड जेंडर इवेंट्स नहीं होंगे, फिर हुए।
अब कहा गया है शराब सीमित होगी—यानी कल हज पैकेज में वाइन टेस्टिंग का बोनस न मिल जाए, कोई गारंटी नहीं।
उम्मत की खामोशी: माफ कीजिए, यह मौन नहीं, मौत है
ये वही उम्मत है जो कार्टून पर मचल उठती है, पर हराम के कानून बनने पर चुप बैठी है।
शायद सोशल मीडिया पर ‘साउंड ऑन’ कर लिया गया है और ईमान ‘साइलेंट मोड’ पर है।
मौलाना लोग बयानबाजी में बिजी हैं—कोई वाइरल वीडियो बना रहा, कोई रील।
कभी कहा जाता था:
“जहां अज़ान सुनाई दे, समझो मुसलमान हैं।”
अब कहना होगा:
“जहां वाइन ग्लास मिले, समझो ये नया सऊदी है।”
क्या उम्मत सोई रहेगी? या एक बार फिर… कंकड़ उठाएगी?
मसला सिर्फ सऊदी का नहीं है, ये इस्लाम की रूह के खिलाफ बगावत है।
अगर आज शराब पर खामोशी रही, तो कल जुआ, नग्नता, और फिर बेअदबी की खुली छूट मिलेगी।
क्योंकि एक बार जब हराम को ‘मॉडर्न फैसिलिटी’ कहा जाने लगे, तो सऊदी भी सिर्फ टूरिज्म बोर्ड का लोगो बनकर रह जाएगा।
“जिस मिट्टी पर रसूल करीम ने हराम का ऐलान किया, वहां अब एल्कोहल पर लाइसेंस मिल रहा है।
शैतान अब जुमरात में नहीं डरता, वो सऊदी के टेंडर रजिस्ट्रेशन में व्यस्त है।”