सैयद अमजद हुसैन को मिला लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड: उर्दू साहित्य और पत्रकारिता का अभूतपूर्व योगदान सम्मानित
लखनऊ। शिया डिग्री कॉलेज, खदरा में आयोजित कैरियर एवेन्यू प्रोग्राम का माहौल उस समय ऐतिहासिक बन गया, जब उर्दू साहित्य और पत्रकारिता के दिग्गज सैयद अमजद हुसैन को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी और अंबर फाउंडेशन के चेयरमैन वफा अब्बास द्वारा प्रदान किया गया।
इस अवसर पर राज्य और देश की कई जानी-मानी हस्तियां उपस्थित रहीं, जिन्होंने सैयद अमजद हुसैन के योगदान की सराहना की और उनकी सेवाओं को आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया।
कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख हस्तियां
कार्यक्रम में उर्दू साहित्य, शिक्षा और पत्रकारिता के क्षेत्र की कई प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल हुईं।
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास
शिया डिग्री कॉलेज के मैनेजर अब्बास मुर्तज़ा शम्शी
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संजय मेधावी
बाबा बनारसी दास कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. कामिल रिज़वी
शारदा ग्रुप के प्रोफेसर विवेक मिश्रा
यूएसए के प्रसिद्ध इंजीनियर मासूम अब्बास
अंबालिका इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर अभिषेक मिश्रा
शिया कॉलेज के प्रिंसिपल शबी रज़ा बाकरी और डिपार्टमेंट हेड जमाल जैदी
सैयद अमजद हुसैन का परिचय और करियर सफर
जन्म और शिक्षा:
सैयद अमजद हुसैन का जन्म 1 जनवरी 1962 को हुआ। उन्होंने 1980 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया और 1982 में एम.ए. (उर्दू) भी प्रथम श्रेणी में पूरा किया। इसके बाद, 1990 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.फिल की डिग्री प्राप्त की।
सरकारी सेवा और पत्रकारिता में प्रवेश:
11 जुलाई 1991 को उन्होंने सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, उत्तर प्रदेश में सहायक निदेशक (उर्दू) के पद पर कार्यभार संभाला। इसके साथ ही, उन्हें “नया दौर” नामक प्रतिष्ठित उर्दू मासिक पत्रिका का संपादक बनाया गया। उनकी सेवाओं और उत्कृष्ट कार्यक्षमता को देखते हुए उन्हें 1999 में उप निदेशक और 2015 में संयुक्त निदेशक के पद पर पदोन्नत किया गया।
उन्होंने अपने करियर के दौरान कुंभ मेला 2020 के नोडल अधिकारी, उत्तर प्रदेश की झांकियों के आयोजन, और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पत्रकारिता में योगदान:
सैयद अमजद हुसैन ने उर्दू पत्रकारिता में अभूतपूर्व योगदान दिया।
“नया दौर” पत्रिका (1991-1998) के संपादक के रूप में उन्होंने इसे उर्दू साहित्य का प्रमुख मंच बनाया।
2002 से 2016 तक उन्होंने इस पत्रिका के सलाहकार के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।
उन्होंने कई प्रतिष्ठित साहित्यकारों और पत्रकारों को “नया दौर” के माध्यम से मंच प्रदान किया।
प्रकाशन और लेखन:
उनकी प्रमुख प्रकाशित कृतियों में शामिल हैं:
1. “गैर मुस्लिम मर्सिया निगार” (उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी पुरस्कार प्राप्त)
2. “राम कथा उर्दू में” (प्रकाशनाधीन)
सम्मान और पुरस्कार:
सैयद अमजद हुसैन को उनकी सेवाओं के लिए कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें शामिल हैं:
1993: मीर अकादमी पुरस्कार (इम्तियाज-ए-मीर)
1994: रूदाद-ए-चमन (उर्दू पत्रकारिता)
1997: उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी पुरस्कार
2001: राष्ट्रीय कारवां न्यूज़ जनरल पुरस्कार
प्रदर्शनियां और झांकियां:
सैयद अमजद हुसैन के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की झांकियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि पाई।
नई दिल्ली के राजपथ पर उत्तर प्रदेश की झांकियों का आयोजन (1998-2000)
फूलवालों की सैर (नई दिल्ली, 1998-2000)
अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला, प्रगति मैदान, नई दिल्ली (2000-2002)
वफा अब्बास का वक्तव्य
वफा अब्बास ने अवार्ड प्रदान करते हुए कहा,
“सैयद अमजद हुसैन ने उर्दू साहित्य और पत्रकारिता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में जो योगदान दिया है, वह एक मिसाल है। उनका यह सम्मान केवल उनका नहीं, बल्कि उर्दू भाषा और साहित्य की समृद्धि का उत्सव है। उनका जीवन और कार्य हमें सिखाते हैं कि भाषा और साहित्य समाज को दिशा देने का साधन हो सकते हैं।”
उन्होंने आगे कहा,
“सैयद अमजद हुसैन का समर्पण और मेहनत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने उर्दू पत्रकारिता में न केवल अपनी अमिट छाप छोड़ी, बल्कि इसे आधुनिक समय के अनुकूल भी बनाया। उनके कार्यों की विरासत को सम्मान और गर्व के साथ आगे बढ़ाना हमारा कर्तव्य है।”
समारोह का महत्व और प्रभाव
यह कार्यक्रम सैयद अमजद हुसैन के योगदान का सम्मान करने के साथ-साथ युवा पीढ़ी को प्रेरित करने का भी माध्यम बना। शिया डिग्री कॉलेज, खदरा का यह मंच उर्दू साहित्य, पत्रकारिता और प्रशासनिक सेवाओं के प्रति समाज की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सैयद अमजद हुसैन का जीवन और उनकी सेवाएं आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा हैं। उनका समर्पण, मेहनत और नेतृत्व क्षमता उन्हें एक अमर व्यक्तित्व बनाती है। यह सम्मान उनके योगदान की केवल एक झलक है, और उनकी विरासत सदा जीवित रहेगी।