विकास पुरुष बेनी बाबू: क्या सिर्फ एक क्रिकेट टूर्नामेंट ही उनकी विरासत का सम्मान है?, क्या अपने सच्चे हमदर्द को कद्र करना भूल रहा है बाराबंकी?

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विकास पुरुष बेनी बाबू: क्या सिर्फ एक क्रिकेट टूर्नामेंट ही उनकी विरासत का सम्मान है?

क्या अपने सच्चे हमदर्द को कद्र करना भूल रहा है बाराबंकी?

तहलका टुडे टीम

बेनी प्रसाद वर्मा – एक ऐसा नाम, जो समाजवाद, विकास और जनसेवा का प्रतीक रहा। उन्होंने अपने पूरे जीवन को किसानों, गरीबों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक की लड़ाई में समर्पित किया। लेकिन आज, उनकी पुण्यतिथि पर सवाल उठता है—क्या हम उनके योगदान को सिर्फ एक क्रिकेट टूर्नामेंट तक सीमित कर देंगे?

बेनी बाबू ने समाज को संवारने का काम किया था, क्या हम उनके सपनों को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं?

क्या खेलकूद ही पर्याप्त श्रद्धांजलि है?

क्रिकेट एक शानदार खेल है, लेकिन क्या यह एक ऐसे नेता की पुण्यतिथि मनाने का सही तरीका है, जिसने हजारों बेरोजगारों को नौकरियां दिलाईं, गरीबों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और बाराबंकी को विकास की राह पर आगे बढ़ाया?

श्रद्धांजलि केवल रस्म अदायगी नहीं होनी चाहिए। पुण्यतिथि पर हमें समाज के लिए वह करना चाहिए, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले और उनकी विरासत को सही मायने में सम्मान दिया जा सके।

बेहतर और सार्थक श्रद्धांजलि के सुझाव

रोजगार मेला और करियर काउंसलिंग – ताकि हजारों युवाओं को नौकरी का मार्गदर्शन मिले।
रक्तदान शिविर – जिससे जरूरतमंदों की जान बचाई जा सके।
मुफ्त मेडिकल एवं आई कैंप – गरीबों को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें।
वृक्षारोपण अभियान – पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए।
गरीबों को भोजन एवं वस्त्र वितरण – जिससे बाबूजी के समाजवादी विचारों को साकार किया जाए।
शिक्षा जागरूकता अभियान – गरीब बच्चों की पढ़ाई में सहयोग के लिए।

बाबूजी की विरासत का सम्मान – सिर्फ नाम नहीं, उनके विचारों को आगे बढ़ाना होगा

बेनी बाबू का सपना सिर्फ विकास नहीं था, बल्कि हर गरीब, किसान और बेरोजगार को उनका हक दिलाना था। क्या हम उनके दिखाए रास्ते पर चल रहे हैं? अगर नहीं, तो हमें खुद से यह सवाल पूछना होगा—क्या हम उनके संघर्ष के साथ न्याय कर रहे हैं?

अब फैसला आपके हाथ में है!

क्या हम अपने सच्चे रहनुमा को सिर्फ खेल के मैदान में “बाल” बनाकर खेलते रहेंगे?
या फिर हम उनकी विचारधारा को सच्चे अर्थों में आगे बढ़ाएंगे?

बेनी प्रसाद वर्मा की विचारधारा जिंदा रहनी चाहिए, सिर्फ उनका नाम नहीं!
श्रद्धेय बेनी प्रसाद वर्मा जी अमर रहें!

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