तहलका टुडे टीम/ मोहम्मद वसीक
बाराबंकी, 20 फरवरी: मशहूर शायर स्वर्गीय ख़ुमार बाराबंकवी की 26वीं पुण्यतिथि के अवसर पर सिविल लाइन कर्बला में उनकी कब्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि सभा और वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविंद कुमार सिंह गोप ने ख़ुमार साहब की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए और वृक्षारोपण कर उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने का संकल्प लिया।
ख़ुमार साहब की शायरी— इंसानियत और मोहब्बत की आवाज़
श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अरविंद कुमार सिंह गोप ने कहा—
“ख़ुमार बाराबंकवी साहब सिर्फ़ एक शायर नहीं, बल्कि इंसानियत और मोहब्बत की ज़िंदा मिसाल थे। उनकी ग़ज़लों में समाज का अक्स झलकता है, जिसे हमेशा याद रखा जाएगा।”
इस अवसर पर ख़ुमार साहब के पोते फैज़ ख़ुमार ने कहा—
“हमारे दादा की शायरी सिर्फ़ मोहब्बत के नग़मे नहीं थे, बल्कि उसमें इंसानियत, भाईचारे और समाज की सच्चाई भी बसी थी। उनकी शायरी ने उर्दू अदब को नई ऊंचाइयां दीं और आज भी उनकी ग़ज़लें लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं।”
वृक्षारोपण कर दी गई पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा
पूर्व मंत्री अरविंद कुमार सिंह गोप ने वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया और कहा—
“ख़ुमार साहब की याद में लगाए गए ये पौधे आने वाली पीढ़ियों को उनके विचारों की छाया प्रदान करेंगे।”
गणमान्य हस्तियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस श्रद्धांजलि सभा और वृक्षारोपण कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित साहित्यकार, समाजसेवी और राजनीतिक हस्तियां मौजूद रहीं, जिनमें प्रमुख रूप से—
तारिक जिलानी साहब,नसीम कीर्ति ,हशमत अली गुड्डू,मेराज प्रधान,वीरेंद्र प्रधान, शोएब अनवर, हाजी ज़ाहिद,उबैद अशहद,रेहान रौनकी,मोहम्मद रफ़ी, फ़ैसल मजीद, ख़ुमार अकादमी के आमिर रज़ा, पब्लिसिटी सेक्रेट्री सैयद रिज़वान मुस्तफा,जावेद नकवी ,सैयद रज़ा हैदर आब्दी,अजमी रिज़वी
ख़ुमार बाराबंकवी— ग़ज़लों का बादशाह
ख़ुमार बाराबंकवी साहब की शायरी सिर्फ़ हुस्न और इश्क़ तक सीमित नहीं थी, बल्कि उसमें समाज की संवेदनशीलता, गंगा-जमुनी तहज़ीब और इंसानियत की सच्ची तस्वीर दिखाई देती थी। उन्होंने अपनी शायरी से हिंदी-उर्दू साहित्य को समृद्ध किया और लोगों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ी।
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