जब दुनिया में खुराफातों का बोलबाला है, तब भारत की इंटीग्रल यूनिवर्सिटी विज्ञान की लौ जलाए बुलंदियों की ओर अग्रसर है

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जब दुनिया में खुराफातों का बोलबाला है, तब इंटीग्रल यूनिवर्सिटी विज्ञान की लौ जलाए बुलंदियों की ओर अग्रसर है

Tahalka Today Team/तकी हसनैन

लखनऊ,—एक ओर जहाँ आज की दुनिया में मानव की बौद्धिक क्षमता का उपयोग अफवाहों, भटकाव और खुराफातों में हो रहा है, वहीं भारत की इंटीग्रल यूनिवर्सिटी ने शिक्षा, शोध और नवाचार के क्षेत्र में नई बुलंदियों को छूने का संकल्प ले रखा है। यही प्रतिबद्धता 8 अप्रैल को आयोजित एक विशिष्ट राष्ट्रीय संगोष्ठी में देखने को मिली, जिसका विषय था — “फिजिक्स ऑफ नोवल मैग्नेटिक एंड सुपरकंडक्टिंग मटेरियल्स”

भौतिकी विभाग द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी ने देशभर से आए प्रख्यात वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और शोधार्थियों को चुंबकत्व और सुपरकंडक्टिविटी जैसे जटिल किन्तु भविष्यनिर्माता विषयों पर संवाद और विचार-विमर्श के लिए एक साझा मंच दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ पुष्प स्वागत और विश्वविद्यालय के प्रेरणास्पद तराने के साथ हुआ।
भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रो. शमून अहमद सिद्दीकी ने स्वागत भाषण में कहा, “आज जब कई युवा दिशाहीनता की चपेट में हैं, ऐसे में विज्ञान ही वह राह है जो विचारों को रचनात्मकता में बदल सकती है।”

विज्ञान संकाय के डीन प्रो. अब्दुल रहमान खान ने अपने सारगर्भित वक्तव्य में वैज्ञानिक आयोजनों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि “ज्ञान का असली सौंदर्य तब उभरता है जब शोध, संवाद और सहयोग एक साथ मिलें।”

इस संगोष्ठी के मुख्य आकर्षण थे दो ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक:

  • प्रो. जाकिर हुसैन (IIT कानपुर) ने d- और f- इलेक्ट्रॉन प्रणालियों के जटिल व्यवहारों पर विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि किस प्रकार ये प्रणालियाँ पदार्थों की चुंबकीय और सुपरकंडक्टिंग प्रवृत्तियों को अनूठे रूप में प्रभावित करती हैं।
  • प्रो. शाहिद हुसैन (AMU) ने बहुक्रियात्मक पदार्थों और lead-free nanocomposites में किए गए अपने अनुसंधानों को साझा करते हुए इनका पर्यावरण-स्नेही औद्योगिक उपयोग बताया।

कुलाधिपति प्रो. सैयद वसीम अख्तर और उप-कुलाधिपति डॉ. सैयद नदीम अख्तर की गरिमामयी उपस्थिति ने संगोष्ठी को और भी खास बना दिया। उन्होंने इसे विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता का उदाहरण बताते हुए कहा, “जब मानवता की ऊर्जा व्यर्थ की बातों में खपाई जा रही हो, तब इंटीग्रल यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान राष्ट्र निर्माण की प्रयोगशाला बन कर उभरते हैं।”

कार्यक्रम का समापन डॉ. सलमान अहमद वारसी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने प्रतिभागियों, वक्ताओं और आयोजन समिति का विशेष आभार व्यक्त किया। तत्पश्चात आयोजित वैज्ञानिक सत्रों में शोधार्थियों ने आधुनिक भौतिकी पर अपने शोध प्रस्तुत किए और विशेषज्ञों से गहन संवाद किया।

इस गौरवपूर्ण आयोजन में प्रो. वहाजुल हक, प्रो. सैयद अकील अहमद, सहित अनेक विभागों के डीन एवं विभागाध्यक्षों की उपस्थिति ने संगोष्ठी को और अधिक सार्थक और प्रभावशाली बना दिया।


जब दुनिया का बड़ा हिस्सा बौद्धिक क्षमताओं का दुरुपयोग कर रहा है, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी भारत में विज्ञान, अनुसंधान और शिक्षण की एक ऐसी मशाल बनकर उभरी है, जो नई पीढ़ी को उजाले की राह दिखा रही है — विचार से विकास तक, शोध से शक्ति तक

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