उत्तर प्रदेश में बड़े भू माफियाओं का फर्जीवाड़ा: प्रशासनिक अधिकारियों को पता नहीं,नीचे बाबू कर रहे है खेल सैकड़ों करोड़ के घोटाले साहब के दस्तखत से आदेश हो रहे है जारी

तहलका टुडे टीम

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और बाराबंकी जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों और भू माफियाओं के बीच गठजोड़ का एक और घोटाला सामने आया है, जिसमें SDM और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षरों और सौदों का खेल उजागर हुआ है। इस घोटाले ने प्रशासनिक तंत्र की सच्चाई को बेनकाब किया है, जहां बड़े पैमाने पर भूमि पर कब्जा करने और गलत तरीके से फैसले लेने की प्रक्रिया चल रही है।

प्रयागराज में SDM के नाम पर फर्जी हस्ताक्षर से सैकड़ों मुकदमे निपटाए:

प्रयागराज जिले में SDM की कोर्ट के पेशकार हनुमान प्रसाद ने राजस्व विभाग के सैकड़ों मुकदमों में SDM के फर्जी हस्ताक्षरों से निपटाने का मामला सामने आया है। पेशकार ने बड़े पैमाने पर फर्जी आदेश और स्टे आर्डर जारी किए, जिसके लिए वह मोटी रकम लेता था। पिछले 6 सालों से यह खेल चल रहा था, और कई PCS अफसरों के उपजिलाधिकारी बनने के बावजूद पेशकार की कोर्ट कभी बंद नहीं हुई। जब ADM मदन कुमार ने जांच शुरू की, तो दर्जनों मामलों में SDM के फर्जी आर्डर शीट पकड़ में आए। जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं, जिससे प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार की परतें खुली हैं।

बाराबंकी में वक्फ की जमीन पर अवैध कॉम्प्लेक्स और भ्रष्ट जेई की मिलीभगत:

बाराबंकी में भी एक और बड़ा घोटाला सामने आया है, जहां विनियमित विभाग के पूर्व JE ने वक्फ की जमीन पर बने बिना नक्शे के कॉम्प्लेक्स को बचाने के लिए SDM के आदेश को दबा दिया। यह कॉम्प्लेक्स गुरुद्वारा के सामने राम जानकी मार्केट के नाम से एक मुसलमान ने वक्फ की जमीन पर कब्जा कर बनवाया है, और जब पूर्व SDM सुमित यादव ने इसे गिराने का आदेश दिया, तो पूर्व JE विनियमित विभाग ने पूर्व डीएम के पेशकार से मिलकर एक करोड़ रुपये का सौदा कर स्टे करवा लिया। इसके अलावा, JE ने खतौनी में जिमन 9 की जमीन का नक्शा भी पास करवा देने के लिए फाइल चलवा दी। यह मामला दिखाता है कि तहसील और कलेक्ट्रेट में एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है, जिसमें भू माफियाओं के साथ मिलकर कर्मचारी और राजस्व अधिकारी अवैध कामों को अंजाम दे रहे हैं। सरकारी वकील भी इस खेल में सक्रिय भूमिका निभाते हैं, उनको फीस मिल जाय अच्छी तो सरकारी भूमि नष्ट हो जाए इनके ठेंगे पर,जिससे भ्रष्टाचार और घोटालों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।

प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का भंडाफोड़:

इन दोनों मामलों से यह स्पष्ट हो जाता है कि यूपी के प्रशासनिक तंत्र में एक गहरी साजिश चल रही है, जिसमें अधिकारी, पेशकार, और भू माफिया मिलकर सरकारी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। यह घोटाले न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि कैसे कुछ अधिकारियों और वकीलों का भ्रष्टाचार आम जनता की मेहनत की कमाई और संपत्ति पर भारी पड़ रहा है।

अब प्रशासन ने इन मामलों की जांच शुरू कर दी है और अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की योजना बनाई है। यह मामला उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे के खिलाफ एक चेतावनी बन सकता है, और देखना होगा कि क्या इन बड़े घोटालों का पर्दाफाश प्रशासन में सुधार की दिशा में कदम उठाएगा या फिर यह सब यूं ही चलता रहेगा।

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