तहलका टुडे टीम
बाराबंकी, अयोध्या का द्वार एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से भरपूर शहर है, जो अपनी धार्मिक विविधता और समरसता के लिए प्रसिद्ध है। ये जिला की 40 लाख की आबादी में 12,000 से ज्यादा मंदिर और मठ है,10 लाख मुसलमानों में 2,000 से ज्यादा मस्जिदें,दो हजार से ज्यादा इमामबाड़े,500 से ज्यादा दरगाहें और अन्य धार्मिक स्थल हैं। यह शहर हिंदू-मुसलमान एकता का उदाहरण पेश करता है, लेकिन हालिया प्रदेश की घटनाओं ने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर आवाम की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
बाराबंकी के पुलिस कप्तान दिनेश कुमार सिंह ने सुबह के वक्त लाउडस्पीकर की जांच में मस्जिदों और मंदिरों की सुरक्षा का मुआयना किया, तो कई धार्मिक स्थलों में सुरक्षा की लापरवाही देखी गई।
इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया कि हमें अपने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर आवाम को अधिक सजग और सचेत रहने की आवश्यकता है।
इस दौरान पुलिस कप्तान ने देखा कि कई मस्जिदों और मंदिरों में सीसीटीवी कैमरे तक नहीं लगे थे, और सुरक्षा चौकीदार भी कहीं नजर नहीं आए। कुछ स्थानों पर तो पुजारी या अज़ान देने वाले ही सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाते नजर आए, जो सुरक्षा के लिहाज से चिंता का विषय है।
हम सभी जानते हैं कि धार्मिक स्थल, चाहे वह मस्जिद हो, मंदिर हो, इमामबाड़ा हो या दरगाह हो, वहां लोग अपनी इबादत के लिए आते हैं।
सुबह की नमाज या पूजा के दौरान लोगो की बेहद कमी रहती है ,
जो रहते है वो अपनी धार्मिक प्रथाओं में पूरी तरह लीन रहते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि इन स्थलों की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी उनकी इबादत।
धार्मिक स्थलों की सुरक्षा न केवल पुलिस का दायित्व है, बल्कि यह हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी भी है। अगर हम इस जिम्मेदारी को सही तरीके से निभाएं, तो हम अपने धार्मिक स्थलों को सुरक्षित और संरक्षित रख सकते हैं।
आवाम की भूमिका:
- सुरक्षा की प्राथमिकता: धार्मिक स्थलों के इमाम, पुजारी, प्रबंधक और स्थानीय समुदाय सुरक्षा के मुद्दों पर ध्यान दें और स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर सुरक्षा योजना तैयार करें।
- समान जागरूकता: सभी समुदायों को अपने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के बारे में जागरूक होना चाहिए। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तत्काल पुलिस या संबंधित अधिकारियों तक पहुंचानी चाहिए।
- समान जिम्मेदारी: धार्मिक स्थलों की सुरक्षा में केवल पुलिस या सरकारी एजेंसियों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। समुदाय को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि हम सामूहिक रूप से सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।
- धार्मिक स्थलों पर निगरानी: मंदिरों, मस्जिदों, इमामबाड़ों और दरगाहों में सुरक्षा कैमरे लगाए जाएं, और समय-समय पर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की जाए। यह कदम सुरक्षा के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कैमरे से निगरानी रखी जा सकती है और किसी भी अप्रत्याशित स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सकती है।
5,आसपास नाजायज तरीके से रह रहे अवैध कब्जा कर लोगो से ये पवित्र स्थल खाली कराए जाय।
अगर हम इस मामले को गंभीरता से लें और सामूहिक प्रयास करें, तो हम अपने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को मजबूत बना सकते हैं। यही हमारी जिम्मेदारी है, ताकि हम अपनी धार्मिक प्रथाओं का पालन करने के साथ-साथ उन स्थलों की सुरक्षा में भी योगदान दें, जहां हम अपनी पूजा करते हैं।
बाराबंकी के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा में आवाम की जागरूकता ही सबसे अहम भूमिका निभा सकती है। अगर हम सब मिलकर इस दिशा में प्रयास करें, तो हम अपने शहर को सुरक्षित और शांतिपूर्ण बना सकते हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम न केवल अपनी नमाज, पूजा-अर्चना में ध्यान दें, बल्कि अपने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के प्रति भी सजग रहें, ताकि आने वाले समय में हम सुरक्षित माहौल में अपनी इबादत कर सकें।