सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की अपील: दिल्ली की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में पुजारियों, ग्रंथियों और इमामों को मिले 18,000 रुपये महीने की आर्थिक सहायता

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सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की अपील: दिल्ली की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में पुजारियों, ग्रंथियों और इमामों को मिले 18,000 रुपये महीने की आर्थिक सहायता

तहलका टुडे टीम
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी, सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक ट्वीट के माध्यम से पत्र लिखकर प्रदेश में दिल्ली की तर्ज पर पुजारियों, ग्रंथियों और मस्जिदों के पेश इमामों को हर महीने 18,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने की मांग की है। उनका कहना है कि इस कदम से न सिर्फ धार्मिक नेताओं को आर्थिक रूप से सशक्त किया जाएगा, बल्कि यह कदम समाज में साम्प्रदायिक सद्भाव और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देगा।

दिल्ली की पहल की सराहना
सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव ने दिल्ली सरकार की “पुजारी और ग्रंथी सम्मान योजना” की सराहना करते हुए कहा कि यह योजना धार्मिक नेताओं के सम्मान का प्रतीक है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह की योजना लागू हो, ताकि प्रदेश के धार्मिक नेताओं को सम्मान मिल सके और उनका जीवन स्तर बेहतर हो सके।

गंगा-जमुनी तहज़ीब की प्रेरणा
बाराबंकी की गंगा-जमुनी तहज़ीब का हवाला देते हुए श्रीवास्तव ने कहा, “उत्तर प्रदेश में यह योजना हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी धर्मों के धार्मिक नेताओं के लिए समान रूप से लाभकारी हो सकती है। इस योजना से न केवल धार्मिक नेताओं को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी जाएगा।”

समाज में सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता
सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव ने अपनी अपील में यह भी कहा कि समाज में धार्मिक एकता और सौहार्द बढ़ाने के लिए जात-पात और धार्मिक भेदभाव से ऊपर उठकर इस तरह की योजनाओं को लागू किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि यह पहल समाज में सकारात्मक बदलाव लाएगी और उत्तर प्रदेश की छवि को एक समृद्ध और विविधतापूर्ण राज्य के रूप में स्थापित करेगी।

मुख्यमंत्री से शीघ्र निर्णय की अपील
लाला उमेश श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मुद्दे पर शीघ्र विचार करने की अपील की। उनका कहना है कि यह कदम उत्तर प्रदेश में धार्मिक एकता और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देगा, जो राज्य की सांस्कृतिक धारा को और भी सशक्त बनाएगा।

यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पहल पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या उत्तर प्रदेश में इस तरह की योजनाओं को लागू करने की दिशा में कोई कदम उठाया जाएगा।

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