“मुख्यमंत्री जी, श्रीराम वन कुटीर आश्रम के सेवा समर्पण महाकुंभ कर रहा है आपका इंतजार, सड़कों और सरकारी व्यवस्थाओं पर उठ रहे सवाल”

THlkaEDITR
3 Min Read

“मुख्यमंत्री जी, श्रीराम वन कुटीर आश्रम के सेवा समर्पण महाकुंभ कर रहा है आपका इंतजार, सड़कों और सरकारी व्यवस्थाओं पर उठ रहे सवाल”

तहलका टुडे टीम

बाराबंकी, 7 जनवरी 2025: अयोध्या के द्वार पर स्थित श्रीराम वन कुटीर आश्रम में 9 से 25 जनवरी तक आयोजित सेवा समर्पण महाकुंभ एक ऐसा आयोजन है, जो गरीब और जरूरतमंद मरीजों के लिए जीवनदायिनी पहल साबित हो रहा है। इस महाकुंभ में हजारों मरीजों के नि:शुल्क ऑपरेशनों की व्यवस्था की गई है। बावजूद इसके, इस पुनीत कार्य को प्रशासन और सरकार की घोर उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है। 

आश्रम बना इंसानियत का केंद्र

आश्रम के ट्रस्ट ने मरीजों के लिए अत्याधुनिक ऑपरेशन थियेटर, ठहरने, भोजन, और अलाव जैसी सुविधाओं का प्रबंध किया है। 9 जनवरी से मोतियाबिंद के ऑपरेशन, और 22 से 25 जनवरी तक हार्निया, हाइड्रोसील और पाइल्स जैसी सर्जरी विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा की जाएंगी।
प्रसिद्ध नेत्र सर्जन डॉ. जैकब प्रभाकर (जालंधर) और जनरल सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. जे.के. छापरवाल (उदयपुर) की निगरानी में यह ऑपरेशन होंगे। ट्रस्ट के सेवादारों ने इस महाकुंभ को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

सरकारी अनदेखी और सड़कों की बदहाली

आश्रम तक पहुंचने वाली सड़क की खस्ताहाल स्थिति मरीजों और उनके परिजनों के लिए बड़ी मुश्किल का सबब बनी हुई है। जिला पंचायत और प्रशासन को कई बार इस समस्या को ठीक करने के लिए निर्देश दिए गए, लेकिन नतीजा शून्य है।
वहीं, भ्रष्टाचार की हद तब पार हो गई जब सड़क के नाम पर सरकारी पैसा तो निकाला गया, लेकिन काम अधूरा छोड़ दिया गया। मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है, जो सरकार और जिला प्रशासन की नाकामी को दर्शाता है।

इंसानियत के इस महाकुंभ को क्यों किया जा रहा नजरअंदाज?

यह महाकुंभ जाति, धर्म और समुदाय की दीवारें तोड़कर इंसानियत के आदर्शों को साकार कर रहा है। इसके बावजूद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके सहयोगियों की नजर इस आयोजन पर नहीं पड़ी है। राजधानी लखनऊ के पास अयोध्या के इस धार्मिक और सामाजिक केंद्र पर सरकारी उदासीनता शर्मनाक है।

जरूरत है प्रशासनिक संवेदनशीलता की

श्रीराम वन कुटीर आश्रम का यह आयोजन न केवल मानवता की सेवा का अनूठा उदाहरण है, बल्कि गरीबों के लिए उम्मीद की एक किरण भी है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन इस ओर ध्यान देकर जरूरी सुधार सुनिश्चित करते हैं या फिर यह आयोजन सरकारी उपेक्षा की बलि चढ़ता है।

(तहलका टुडे के लिए सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव की रिपोर्टिंग

 

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *