जो रब है, वही राम है का संदेश देने वाले हाजी वारिस अली शाह के पैतृक गांव में फरिश्ता-सिफ़ात बने डॉ. रेहान काज़मी

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तहलका टुडे टीम/अली मुस्तफा

“जो रब है, वही राम है”—इंसानियत का यही पैग़ाम देने वाले हाजी वारिस अली शाह की धरती आज भी मोहब्बत और खिदमत की रौशनी से रोशन है। इसी धरती के सपूत डॉ. रेहान काज़मी अपनी निःस्वार्थ सेवा से गरीबों के लिए फरिश्ता बनकर उभरे हैं। उनका यह बेहतरीन जज़्बा समाज में एक नई मिसाल कायम कर रहा है।

बाराबंकी में ‘इमाम खुमैनी फाउंडेशन ट्रस्ट’ के जेरे एहतेमाम कित्तूर और रसूलपुर में आयोजित आई कैंप में उन्होंने न सिर्फ़ मरीजों की देखभाल की, बल्कि उनकी तकलीफों को भी अपना दर्द समझा। इस कैंप में आए मरीजों के लिए डॉ. रेहान काज़मी एक डॉक्टर ही नहीं, बल्कि इंसानियत की सबसे बड़ी मिसाल बन गए।

आई कैंप के समापन के बाद डॉ. रेहान काज़मी ने 23 मरीजों को ऑपरेशन के लिए लेप्रोसी मिशन हॉस्पिटल (TLM) भेजा। लेकिन उनका काम यहीं खत्म नहीं हुआ—उन्होंने हर मरीज की व्यक्तिगत रूप से देखभाल की, उन्हें हिम्मत दी, उनका हौसला बढ़ाया और ऑपरेशन के बाद भी उनकी ख़ैर-खबर लेते रहे। जब ऑपरेशन कराकर लोग वापस लौटे, तो उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और उनकी दुआएं लीं।

गौरतलब है कि इन 23 मरीजों में सिर्फ़ 4 लोग मुस्लिम थे, यानी डॉ. रेहान काज़मी ने बिना किसी भेदभाव के हर जरूरतमंद की मदद की। यही वह सच्ची इंसानियत है, जो आज के दौर में मिसाल बनती है।

इस सेवा कार्य में लखनऊ के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. शारिक और उनकी टीम ने भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने मरीजों की जांच और ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। वहीं, टीएलएम (The Leprosy Mission) हॉस्पिटल की टीम का योगदान भी काबिले तारीफ रहा। इन सभी चिकित्सकों और सहयोगियों की बदौलत 23 मरीजों को नई रोशनी मिली और उनके जीवन में एक नई उम्मीद जगी।

फरिश्तों की तरह खिदमत कर रहे डॉ. रेहान काज़मी गरीबों की दुआओं का सबब बन गए हैं। उनकी यह पहल न सिर्फ आंखों की रोशनी लौटाने की कोशिश है, बल्कि समाज में मोहब्बत, भाईचारे और इंसानियत की लौ जलाने का भी एक बेहतरीन नमूना है।

काश, ऐसा होता कि हर डॉक्टर डॉ. रेहान काज़मी की तरह 24 घंटे सेवा भाव से लोगों की मदद के लिए तैयार रहता। तब शायद कोई गरीब इलाज के लिए तड़पता नहीं, कोई ज़रूरतमंद डॉक्टर की कमी से दम नहीं तोड़ता। डॉ. रेहान काज़मी, डॉ. शारिक और उनकी टीम जैसे लोग समाज के लिए प्रेरणा हैं, जो अपने कर्मों से यह साबित कर रहे हैं कि डॉक्टरी सिर्फ़ एक पेशा नहीं, बल्कि एक इबादत भी हो सकती है।

जो रब है, वही राम है—इसी पैग़ाम को आगे बढ़ाते हुए हाजी वारिस अली शाह की धरती से फरिश्ता-सिफ़ात डॉ. रेहान काज़मी इंसानियत की अलौकिक रौशनी फैला रहे हैं।

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