तहलका टुडे टीम
वाराणसी/नई दिल्ली। काशी की पवित्र धरती से शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा स्वदेशी शंखनाद किया, जिसकी गूंज अमेरिका से लेकर वॉल स्ट्रीट तक सुनाई दी। “भारत अब बाजार नहीं, आत्मसम्मान वाला भागीदार है” — इस उद्घोष ने भारत की नीति को ईरान जैसी स्पष्ट और राष्ट्रवादी दिशा दे दी है।
जहां ईरान ने दशकों से अमेरिकी दबाव को ठुकराकर आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान का रास्ता चुना, वहीं भारत अब उसी राह पर तेज़ी से बढ़ता दिख रहा है। प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण महज़ नारा नहीं था, बल्कि विदेशी वर्चस्व के खिलाफ भारत की आर्थिक क्रांति की शुरुआत है।
💥 “जो भारतीय के पसीने से बना हो, वही हमारे घर आएगा” – मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा:
“अब हम वही वस्तुएं खरीदेंगे, जिसे बनाने में किसी भारतीय का पसीना बहा हो। हर घर में स्वदेशी वस्तु हो — यही नया संकल्प बनना चाहिए।”
यह बयान सिर्फ ट्रंप के भारत-विरोधी बयानों का जवाब नहीं था, बल्कि भारत के करोड़ों युवाओं, कारीगरों और लघु उद्योगों के सम्मान की घोषणा थी।
⚔️ ईरान की तरह भारत भी अब दबाव नहीं सहेगा!
ईरान ने अपने ऊपर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद कभी अपने राष्ट्रहित से समझौता नहीं किया। उसी तरह, मोदी सरकार अब साफ कर चुकी है कि भारत विदेशी कंपनियों का शोषण नहीं सहेगा। अब विदेशी कंपनियां भारत में तभी टिकेंगी, जब वे भारत के लोगों को समान अधिकार, रोजगार और सम्मान देंगी।
🏢 जिन विदेशी कंपनियों पर लटक सकती है तलवार:
भारत में लंबे समय से एकछत्र मुनाफा बटोरने वाली कई अमेरिकी कंपनियों पर अब खतरे की घंटी बज चुकी है:
- McDonald’s
- KFC
- Pizza Hut
- Burger King
- Domino’s
- Starbucks
- PepsiCo
- Coca-Cola
- Amazon
- Walmart (Flipkart)
इनमें से अधिकतर कंपनियों को अब स्थानीय सहभागिता, रोजगार और मूल्यवर्धन देना होगा — वरना भारत से बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ेगा।
🌍 मोदी बनाम ट्रंप: दो विचारधाराओं की टक्कर
जहां ट्रंप ने भारत के उत्पादों पर भारी टैक्स की धमकी दी, वहीं मोदी ने बिना आक्रामकता के वोकल फॉर लोकल के मंत्र से जवाब दिया। यह जवाब तलवार नहीं, संस्कृति और आत्मनिर्भरता की ढाल है — जो पूरी दुनिया को दिखा रहा है कि भारत अब झुकेगा नहीं।
📣 जनता से सीधी अपील – राष्ट्रनिर्माण में भाग लें!
देशभर में “स्वदेशी खरीदो” आंदोलन को जबरदस्त जनसमर्थन मिल रहा है। मोदी ने यह भी कहा कि:
“त्योहार हों या शादियाँ – अब हर अवसर पर स्वदेशी ही चुनें। यही सच्ची देशसेवा है।”
भारत का अब नया युग है, झुकने का नहीं, उठ खड़े होने का!
काशी से उठी ये हुंकार अब देशभर में आंदोलन बन रही है। यह भारत की नई आर्थिक आज़ादी का बिगुल है — जैसे ईरान ने कहा “हम अपने दम पर जिएंगे”, वैसे ही भारत अब कह रहा है:
“हम बाजार नहीं, आत्मगौरव वाले भारतवासी हैं।”
“विदेशी कंपनियों को अब भारतीय रंग में रंगना होगा, वरना दरवाज़ा खुला है!”