तहलका टुडे टीम
लखनऊ विश्वविद्यालय ने उत्तर प्रदेश पुलिस की सेवा और राज्य के प्रति उत्कृष्ट योगदान के लिए पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को डी.लिट. @ ऑनोरिस कॉज़ा की मानद उपाधि प्रदान की है। यह उपाधि उनके लंबे कार्यकाल में दिखाए गए साहस, ईमानदारी और जनसेवा के प्रति उनके समर्पण की स्वीकृति है।
इस अवसर पर प्रशांत कुमार ने अपनी फेसबुक वाल पर गहरी विनम्रता और कृतज्ञता व्यक्त करते हुए लिखा—
“यह क्षण केवल मेरा व्यक्तिगत मील का पत्थर नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश पुलिस परिवार के हर सदस्य के साहस, त्याग और अथक समर्पण को सामूहिक श्रद्धांजलि है। मेरे लिए यह सम्मान एक स्मरण है कि सेवा का वास्तविक मूल्य न उपाधियों में है, न पदकों में, बल्कि उन जीवनों में है जिन्हें हम सुरक्षित रखते हैं, उस न्याय में है जिसे हम कायम रखते हैं, और उस विश्वास में है जिसे हम समाज में जगाते हैं।”
प्रशांत कुमार का पूरा करियर निडर नेतृत्व और अनुशासन का प्रतीक रहा है। उनके कार्यकाल में उत्तर प्रदेश पुलिस ने कई ऐतिहासिक सफलताएँ दर्ज कीं। उन्होंने संगठित अपराध और माफिया नेटवर्क पर कड़ा शिकंजा कसते हुए राज्य में अपराधियों के मन में कानून का भय पैदा किया। एनकाउंटर नीति के तहत कई कुख्यात अपराधियों को पकड़ा गया या उनके नेटवर्क को तोड़ा गया।
महिला सुरक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने “मिशन शक्ति” और अन्य अभियानों के ज़रिए ठोस पहल की, जिससे महिलाओं और बच्चियों में सुरक्षा की भावना मजबूत हुई। साइबर अपराध और आधुनिक अपराधों से निपटने के लिए भी उन्होंने विशेष इकाइयों को मज़बूत किया।
प्रशांत कुमार को एक “सख्त लेकिन संवेदनशील अफसर” माना जाता है, जिनकी प्राथमिकता हमेशा जनता की सुरक्षा, न्याय की स्थापना और अपराधियों पर नकेल कसना रही है। उनके कार्यकाल को पुलिस विभाग और आमजन दोनों ही “उत्तर प्रदेश पुलिस की मजबूती का स्वर्णिम अध्याय” मानते हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा दिया गया यह सम्मान न केवल प्रशांत कुमार की व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि उत्तर प्रदेश पुलिस की पूरी टीम और प्रदेश की जनता के विश्वास की ऐतिहासिक मान्यता भी है।