हसनैन मुस्तफा
बाराबंकी।धीरे-धीरे बरसते आसमान और भीगी हुई फ़िज़ाओं के बीच सिविल लाइन स्थित कर्बला पर आज एक अद्भुत मंज़र देखने को मिला। विश्वविख्यात शायर और ग़ज़ल सम्राट मरहूम ख़ुमार बाराबंकवी की जयंती पर उनकी मज़ार गुलपोशी और श्रद्धा के फूलों से महक उठी।
आसमान से बरसी रहमत की बूंदें,भीगती रही फ़िज़ा, चाहने वालों का ऐसा सैलाब उमड़ा कि पूरा माहौल इश्क़ और अदब की महक से सराबोर हो गया।
मज़ार पर पहले गुलपोशी और वृक्षारोपण का कार्यक्रम हुआ, जिसके बाद श्रद्धांजलि सभा का आग़ाज़ हुआ। इस दौरान खुमार साहब के नातिया कलाम उन्हीं के अंदाज़ में पढ़े गए। ख़ासकर उनके पोते फ़ैज़ ख़ुमार और नामचीन शायर कलीम बाराबंकवी ने जब कलाम पेश किया तो ऐसा लगा मानो खुद खुमार साहब का अंदाज़-ए-बयाँ महफ़िल में मौजूद हो।
आयतुल्लाह हमीदुल हसन साहब का खिताब
महफ़िल का सबसे रुहानी पल तब आया जब हिंदुस्तान के बड़े मुस्लिम धर्मगुरु और शिया स्कॉलर आयतुल्लाह हमीदुल हसन साहब क़िब्ला ने ख़िताब किया। उन्होंने कहा कि खुमार बाराबंकवी सिर्फ़ शायर नहीं, बल्कि अदब की दुनिया का वो चिराग़ थे, जिसने कम लफ़्ज़ों में गहरे पैग़ाम समाज तक पहुँचाए।
उन्होंने खुमार साहब का मशहूर शेर पढ़ा—
“न हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है,
दिया जल रहा है हवा चल रही है।”
यह शेर सुनते ही पूरा मज़मा भावुक हो गया और ज़ोरदार तालियों की गड़गड़ाहट गूँज उठी।
इसके अलावा उन्होंने एक और शेर पढ़ा, जिस पर जमकर दाद मिली—
“हैरत है तुमको देखकर मस्जिद में ऐ ख़ुमार,
क्या बात हो गई कि ख़ुदा याद आ गया।”
आयतुल्लाह साहब ने कहा कि खुमार बाराबंकवी की शायरी न सिर्फ़ ग़ज़ल प्रेमियों के लिए थी, बल्कि हर इंसान के दिल को छू लेने वाली आवाज़ थी।
इस श्रद्धांजलि सभा में जिले और प्रदेश की कई जानी-मानी हस्तियां मौजूद रहीं। इनमें नाज़मिया अरेबिक कॉलेज के प्रिंसिपल मौलाना सैयद फ़रीदुल हसन साहब क़िब्ला, सांसद तनुज पुनिया के पिता पूर्व सांसद पी.एल. पुनिया, सदर विधायक सुरेश यादव, पूर्व एमएलसी हरगोविंद सिंह,फ़राज़ किदवई हाजी शहाब खालिद ऐडवोकेट, वरिष्ठ गांधीवादी व समाजसेवक राजनाथ शर्मा, अध्यक्ष चचा अमीर हैदर ऐडवोकेट,पत्रकार हशमत उल्लाह, तारिक खान, आमिर रिज़वी, डॉ. रज़ा मौरानवी, कशिश संदिलवी, मौलाना हिलाल अब्बास साहब, अधिवक्ता सैयद रेहान मुस्तफ़ा ,परवेज़ अहमद,सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव,मोहम्मद वसीक,तकी मुस्तफा,इरफान कुरैशी,राजेंद्र फोटो वाला, समेत जिले की कई नामचीन शख़्सियतें शामिल रहीं।
सभी मेहमानों ने मज़ार पर चादर और पुष्प अर्पित कर खुमार साहब को श्रद्धांजलि दी।
महफ़िल के आखिर में मौलाना हमीदुल हसन साहब ने ग़ज़ल सम्राट खुमार बाराबंकवी की याद में फ़ातिहा पढ़वाई। पूरा मज़मा हाथ उठाकर उनके लिए दुआएँ करता नज़र आया।
इस यादगार कार्यक्रम का आयोजन खुमार अकादमी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के संयोजक आमिर रिज़वी और जनरल सेक्रेटरी उमेर किदवई ने सभी मेहमानों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि खुमार साहब की यादें और उनका कलाम हमेशा ज़िंदा रहेगा।