तहलका टुडे टीम /सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा
तेहरान।इस्लामी दुनिया के वैचारिक, बौद्धिक और इन्क़िलाबी इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया, जब इमाम ख़ुमैनी वर्ल्ड प्राइज़ अवॉर्ड का पहला संस्करण बुधवार, 17 दिसंबर 2025 को बीती रात तेहरान के इंटरनेशनल समिट हॉल में भव्य समारोह के साथ संपन्न हुआ।
इसमें हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी इस्लामी दुनिया को फ़ख़्र और जज़्बात से भर दिया। इमाम ख़ुमैनी वर्ल्ड अवॉर्ड के पहले संस्करण में हिंदुस्तान की सुप्रीम रिलिजियस अथॉरिटी, हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद कल्बे जवाद नक़वी साहब को यह आलमी एज़ाज़ अता किया गया।
यह ऐतिहासिक अवॉर्ड ईरान के सदर डॉ. मसूद पेज़ेश्कियान और इमाम-ए-इंक़िलाब हज़रत इमाम रुहुल्लाह ख़ुमैनी (रह.) के पोते मौलाना सैयद हसन ख़ुमैनी साहब के दस्त-ए-मुबारक से पेश किया गया
इस ऐतिहासिक समारोह में ईरान सहित दुनिया के विभिन्न देशों से आए प्रख्यात विद्वानों, बुद्धिजीवियों, चिंतकों और इमाम ख़ुमैनी के विचारों के विशेषज्ञों ने शिरकत की। यह आयोजन इस्लामी क्रांति के संस्थापक हज़रत इमाम रुहुल्लाह ख़ुमैनी (रह.) की गतिशील सोच, वैचारिक विरासत और क्रांतिकारी चरित्र को वैश्विक स्तर पर और अधिक सशक्त रूप से प्रस्तुत करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।
भारत के लिए ऐतिहासिक सम्मान
इस समारोह की सबसे अहम और गौरवपूर्ण उपलब्धि यह रही कि भारत की सुप्रीम रिलिजियस अथॉरिटी, आफ़ताब-ए-शरीअत हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद कल्बे जवाद नक़वी साहब को “पहला इमाम ख़ुमैनी वर्ल्ड अवॉर्ड” प्रदान किया गया।
यह प्रतिष्ठित सम्मान ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेज़ेश्कियान और इमाम-ए-इन्क़िलाब हज़रत इमाम ख़ुमैनी (रह.) के पौत्र मौलाना सैयद हसन ख़ुमैनी साहब के कर-कमलों से प्रदान किया गया।
यह अवॉर्ड न केवल मौलाना कल्बे जवाद नक़वी साहब की शख़्सियत का अंतरराष्ट्रीय एतिराफ़ है, बल्कि भारत की इल्मी, दीनि और इन्क़िलाबी सेवाओं की वैश्विक तस्दीक़ भी है। 😇
सैयद हसन ख़ुमैनी का भावपूर्ण संबोधन
समारोह को संबोधित करते हुए सैयद हसन ख़ुमैनी, जो इस्लामी गणराज्य के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी (रह.) के पौत्र हैं, ने कहा:
“यह पुरस्कार केवल एक सम्मान नहीं, बल्कि एक गतिशील विचारधारा और जीवंत आदर्शों का प्रतीक है।”
उन्होंने कहा कि किसी भी महान व्यक्तित्व का मूल्य इस बात से आँका जाता है कि उसने इतिहास पर कितना गहरा प्रभाव छोड़ा।
उनके शब्दों में:
“इमाम ख़ुमैनी ने न केवल अपने समय को बदला, बल्कि हमारे समकालीन इतिहास और वर्तमान युग पर भी गहरा और स्थायी प्रभाव छोड़ा है।”
सांस्कृतिक मंत्री सैयद अब्बास सालेही का वक्तव्य
ईरान के सांस्कृतिक मंत्री सैयद अब्बास सालेही ने अपने संबोधन में कहा कि इमाम ख़ुमैनी हौज़ा (धार्मिक शिक्षण संस्थानों) के इतिहास में एक विशिष्ट और अद्वितीय स्थान रखते हैं।
उन्होंने कहा:
“इमाम ख़ुमैनी ने राजनीति की नींव आम जनता पर विश्वास के आधार पर रखी। उनका जन-आस्था आधारित तंत्र एक ओर व्यापक था, तो दूसरी ओर विश्वास के स्तर पर अत्यंत गहरा।”
मंत्री ने आगे कहा कि पारंपरिक धार्मिक वातावरण में भी जनता पर इमाम का अटूट विश्वास एक ऐसे ज्ञान-तंत्र से उपजा था, जो सामान्य बहसों से कहीं ऊपर था।
उन्होंने इमाम ख़ुमैनी का ऐतिहासिक कथन दोहराया:
“यदि जनता किसी सरकार का समर्थन करती है, तो वह कभी नहीं गिरती।
लोगों को अपने से डराइए मत, बल्कि लोगों से संवाद कीजिए।”
राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेज़ेश्कियान का स्पष्ट संदेश
समारोह को संबोधित करते हुए ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेज़ेश्कियान ने कहा कि इमाम ख़ुमैनी को जनता पर अटूट विश्वास और गहरी आस्था थी।
उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा:
“यदि जनता हमसे मुँह मोड़ ले, तो न क्रांति बचेगी और न ही धर्म।”
राष्ट्रपति ने सभी अधिकारियों और संस्थानों को नसीहत दी कि वे इमाम ख़ुमैनी के मार्ग का अनुसरण करते हुए जनता की सेवा को अपना सर्वोच्च कर्तव्य बनाएं।
इमाम ख़ुमैनी वर्ल्ड अवॉर्ड: संरचना और उद्देश्य
इमाम ख़ुमैनी वर्ल्ड प्राइज़ अवॉर्ड को सबसे पहले 2013 में सांस्कृतिक क्रांति की सर्वोच्च परिषद से स्वीकृति मिली थी। बाद में 2023 में, इसके नियमों, स्तर और संरचना में संशोधन के साथ इसे औपचारिक रूप से लागू किया गया।
यह अवॉर्ड 10 विषयगत धुरों (Thematic Axes) पर आधारित है, जिनमें इमाम ख़ुमैनी के विचारों और व्यक्तित्व से जुड़े उत्कृष्ट वैज्ञानिक, बौद्धिक और सामाजिक कार्यों की पहचान और उनका वैश्विक परिचय शामिल है।
इस अवॉर्ड की नीति-निर्माण परिषद में ईरान के राष्ट्रपति, कई मंत्री तथा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक एवं अकादमिक संस्थानों से जुड़े प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल हैं। इसके अंतर्गत 10 निर्णायक समितियाँ विभिन्न विषयों पर कार्य करती हैं।
मौलाना कल्बे जवाद नक़वी साहब: हक़, हिम्मत और इस्तिक़ामत की मिसाल
मौलाना सैयद कल्बे जवाद नक़वी साहब केवल एक आलिम-ए-दीन नहीं, बल्कि ज़मीर की आवाज़, मज़लूमों के पैरोकार और हक़ की बेबाक़ मिसाल हैं।
वक़्फ़ की हिफ़ाज़त, इंसाफ़ की लड़ाई, साम्प्रदायिक सौहार्द और इस्लामी मूल्यों के संरक्षण के लिए उनकी आवाज़ न सिर्फ़ भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी गूँजती रही है।
यह अवॉर्ड उनके उसी निडर, साफ़गो और इन्क़िलाबी किरदार का एतिराफ़ है, जिसे उन्होंने बिना किसी मसलहत के निभाया।
भारत और आलम-ए-इस्लाम के लिए पैग़ाम
इमाम ख़ुमैनी वर्ल्ड अवॉर्ड का यह पहला संस्करण और उसमें मौलाना कल्बे जवाद नक़वी साहब का चयन इस बात का स्पष्ट संदेश है कि सच, हिम्मत और इस्तिक़ामत कभी ज़ाया नहीं जाती।
यह सम्मान भारत के लिए इज़्ज़त, उलेमा के लिए हौसला और मज़लूमों के लिए उम्मीद की किरण है।
मौलाना सैयद कल्बे जवाद नक़वी साहब को दिली मुबारकबाद।
पूरी उम्मत को आप पर फ़ख़्र है।
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