तहलका टुडे टीम/सदाचारी लाला उमेश चंद्र श्रीवास्तव,मोहम्मद वसीक
बाराबंकी। भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम भारतीय राजनीति और साहित्य में समान रूप से आदर और स्नेह से लिया जाता है। उनकी कविताएं, उनके विचार, और उनकी अनूठी शैली ने हर धर्म, हर जाति, और हर विचारधारा के लोगों को अपना मुरीद बनाया। उनकी इस साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने के लिए बाराबंकी में 7 दिसंबर की रात एक ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है।
इस मौके पर बाराबंकी का जीआईसी ऑडिटोरियम देश के जाने-माने कवियों, शायरों, और साहित्य प्रेमियों के जमावड़े का गवाह बनेगा। यह आयोजन बाराबंकी की गंगा-जमुनी तहज़ीब को और मजबूत करेगा। साझी विरासत के तत्वावधान में होने वाले इस 10वें अखिल भारतीय मुशायरे और कवि सम्मेलन का थीम अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशती पर आधारित है।
क्या खास होगा इस आयोजन में?
साहित्य, कला, और राजनीति के संगम के इस महफ़िल में बॉलीवुड अभिनेता अन्नू कपूर, प्रसिद्ध कवि पद्मश्री डॉ. अशोक चक्रधर, और उर्दू शायरी के सरताज वसीम बरेलवी जैसे दिग्गज मंच की शोभा बढ़ाएंगे। इसके अलावा, मंजर भोपाली, शबीना अदीब, डॉ. सुनील जोगी, अज़्म शाकरी, प्रियांशु गजेंद्र, और तनवीर गाज़ी जैसे कवि और शायर अपनी प्रस्तुतियों से महफ़िल को यादगार बनाएंगे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविंद कुमार सिंह गोप और सांझी विरासत के अध्यक्ष समाजसेवी राजेश अरोड़ा ‘बब्बू’ अध्यक्षता करेंगे।
साझी विरासत के अध्यक्ष परवेज अहमद ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य साहित्य प्रेमियों को कविता, गीत, ग़ज़ल, और हास्य-व्यंग्य का आनंद प्रदान करना है। इसके माध्यम से अटल जी की कविताओं और उनकी विचारधारा को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है।
क्यों दीवाने थे अटल जी के सभी धर्म और विचारधारा के लोग?
अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व और कृतित्व भारतीय राजनीति में एक मिसाल है। वह केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक कवि, विचारक, और मानवतावादी थे। उनकी लोकप्रियता हर वर्ग और धर्म में थी, और इसके पीछे कुछ मुख्य कारण थे:
- साझी संस्कृति के प्रतीक:
अटल जी ने हमेशा भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता का सम्मान किया। उनकी कविताएं और भाषण हर धर्म और समुदाय को जोड़ने का संदेश देती थीं। - साहित्यिक व्यक्तित्व:
उनकी कविताएं संघर्ष, आशा, और मानवता का प्रतिबिंब थीं। यही वजह है कि उनकी रचनाएं हर वर्ग के लोगों को प्रभावित करती थीं। - विचारों की स्पष्टता:
अटल जी का संवाद का तरीका इतना प्रभावी और साफ था कि विरोधी भी उनके भाषण सुनने को मजबूर हो जाते थे। उनकी वाणी में अपनापन था, जो हर विचारधारा के व्यक्ति को आकर्षित करता था। - गंगा-जमुनी संस्कृति का सम्मान:
उन्होंने कभी भी धर्म या जाति के आधार पर राजनीति नहीं की। उनकी प्राथमिकता हमेशा समावेशिता और मानवता रही।
साहित्यिक महफ़िल के मुख्य आकर्षण
इस महफ़िल में हर विधा की रचनाओं का संगम होगा। हास्य-व्यंग्य से लेकर इंकलाबी शायरी तक, यह आयोजन हर श्रोता को संतुष्ट करेगा।
डॉ. अशोक चक्रधर और डॉ. सुनील जोगी हास्य-व्यंग्य से समाज का सच उजागर करेंगे।
वसीम बरेलवी और शबीना अदीब मोहब्बत और इंसानियत का पैगाम देंगे।
मंजर भोपाली और अज़्म शाकरी की गज़लें दिल की गहराइयों को छूएंगी।
तनवीर गाज़ी और उस्मान मिनाई इंकलाबी शायरी से समां बांधेंगे।
सांस्कृतिक उत्सव का केंद्र बनेगा बाराबंकी
बाराबंकी, जो अपनी गंगा-जमुनी तहज़ीब और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, इस आयोजन के माध्यम से साहित्यिक नक्शे पर अपनी पहचान को और मजबूत करेगा। यह शहर पहले भी ऐतिहासिक साहित्यिक और सांस्कृतिक आयोजनों का केंद्र रहा है।
देवा महादेवा की ऐतिहासिक धरती पर होने वाले इस आयोजन में साहित्य प्रेमियों के बीच अदब और साहित्य की विरासत को साझा किया जाएगा।
इस आयोजन से यह संदेश जाएगा कि साहित्य और कला किसी भी प्रकार के सामाजिक विभाजन को मिटा सकती हैं। अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि राजनीति केवल सत्ता का साधन नहीं, बल्कि जनता की सेवा और समाज को जोड़ने का माध्यम है।
साहित्यिक महफ़िल की खासियत
कविताओं और गज़लों में छिपी अटल जी की विचारधारा
हर धर्म और समुदाय का समान प्रतिनिधित्व
हास्य-व्यंग्य और इंकलाबी शायरी का संगम
युवाओं और बुजुर्गों के लिए प्रेरणा
7 दिसंबर की यह रात बाराबंकी के इतिहास में दर्ज हो जाएगी। गीतों, गज़लों, और कविताओं की यह महफ़िल अटल जी की सार्वभौमिक अपील और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित होगी। बाराबंकी वासी इस अद्भुत साहित्यिक अनुभव के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
“अटल जी केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे। उनकी कविताएं और उनका जीवन इस बात का प्रमाण हैं कि भारतीय संस्कृति की विविधता में ही इसकी ताकत है।”
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