“दिल से बाराबंकी: डॉक्टर ऋषि सेठी की इंसानियत भरी पहल—कैसे रखें अपने दिल को स्वस्थ” देवा महादेवा की पावन धरती से शुरू हुई हृदय जागरूकता की नई क्रांति

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रिपोर्ट : अली मुस्तफा

बाराबंकी।”जब तक दिल धड़कता है, ज़िन्दगी चलती है ” इसी भावना को आत्मसात करते हुए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के लारी कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर डॉ. ऋषि सेठी, बाराबंकी की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक भूमि पर एक विशेष पत्रकार सम्मेलन में शामिल हुए। यह सम्मेलन दिल की बीमारियों के प्रति जागरूकता और उनके बचाव के उद्देश्य से आयोजित किया गया था, जिसमें डॉ. सेठी ने स्वास्थ्य का वह मंत्र साझा किया, जिसे अपनाकर लाखों लोग हृदय रोगों से बच सकते हैं।

देवा महादेवा की पवित्र धरती से उठी यह आवाज़ सिर्फ एक चिकित्सकीय सलाह नहीं, बल्कि एक इंसानियत भरी मुहिम है हर व्यक्ति तक दिल की सेहत का संदेश पहुँचाने की।

सम्मेलन में उमड़ा जनसैलाब

पंचायत भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में न सिर्फ पत्रकार, बल्कि जिले के प्रतिष्ठित डॉक्टर, व्यापारी, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। बाराबंकी के सांसद तन्मय (तनुज) पुनिया और सदर विधायक सुरेश यादव की उपस्थिति ने इस आयोजन को और गरिमा प्रदान की। इस आयोजन के सूत्रधार नवीन सेठी रहे, जबकि संचालन बेहद भावुक और आत्मीय अंदाज़ में किया गया।

डॉ. सेठी का संदेश—दिल के लिए करें ये बदलाव

डॉ. ऋषि सेठी ने बेहद सरल और मार्मिक शब्दों में कहा कि “हृदय, गर्भ धारण के 28वें दिन से धड़कना शुरू कर देता है और जीवन की अंतिम सांस तक अपना काम करता रहता है। अगर हम इसका ख्याल नहीं रखेंगे तो हमारी ज़िंदगी की रफ्तार थम जाएगी।

उन्होंने दिल को सेहतमंद रखने के लिए कुछ आवश्यक बिंदुओं पर जोर दिया :

संतुलित आहार : हर रोज़ के भोजन में ताजे फल, हरी सब्जियाँ, साबुत अनाज और हेल्दी फैट शामिल करें।

जंक फूड से दूरी : तले हुए और प्रोसेस्ड खाने से बचें। चीनी की मात्रा सीमित करें।

नियमित व्यायाम : तेज़ चलना, दौड़ना, योग या साइक्लिंग हृदय को मजबूत बनाते हैं और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करते हैं।

तनाव से दूरी : मानसिक शांति भी हृदय के लिए उतनी ही जरूरी है जितना शारीरिक स्वास्थ्य।

एक नई सोच, एक नया बदलाव

यह कार्यक्रम एक नई शुरुआत है। जहां स्वास्थ्य सेवा सिर्फ अस्पतालों तक सीमित नहीं, बल्कि गांवों, कस्बों और दिलों तक पहुंच रही है। बाराबंकी जैसे जिले में इस प्रकार की पहल से आम जनमानस को ना सिर्फ जानकारी मिली बल्कि उन्हें यह एहसास भी हुआ कि जीवन की सबसे अनमोल धड़कन दिल की देखभाल उनकी अपनी ज़िम्मेदारी है।

नवीन सेठी का योगदान और भविष्य की राह

कार्यक्रम के संयोजक नवीन सेठी ने बताया कि यह शुरुआत है एक बड़े मिशन की, जहां आने वाले समय में और भी गांवों और कस्बों में इस तरह की हृदय-जागरूकता मुहिम चलाई जाएगी। यह एक अभियान है नफ़रत नहीं, दिलों को जोड़ने का शब्दों से नहीं, संवेदनाओं से।
संचालन देश के जाने माने शिक्षा विद आशीष पाठक ने किया

डॉ. सेठी ने बेहद भावुक लहजे में कहा,
किसी से दिल लगाने से पहले, ज़रा अपने दिल की सुनिए… उसे प्यार दीजिए, ध्यान दीजिए, और संभालिए… क्योंकि एक दिन वही दिल आपको जीने देगा या जीते जी छीन लेगा।

बाराबंकी की सरज़मीं से दिल की सेहत के लिए उठी यह आवाज़, आने वाले समय में पूरे देश के दिलों को जोड़ने वाली साबित हो सकती है।

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