तहलका टुडे टीम
लखनऊ। मान्यता की उलझी हुई गुत्थी
SRMU को Bar Council of India (BCI) से 2022-23 तक मान्यता मिली हुई थी। 2023-24 का आवेदन ऑनलाइन कर दिया गया, लेकिन एफिलिएशन लेटर अब तक जारी नहीं हुआ।
- कुलपति विकास मिश्र का दावा है: “BCI ने किसी भी व्यवस्था में कमी नहीं बताई है। यह सिर्फ़ एक तकनीकी देरी है। छात्रों का भविष्य सुरक्षित है।”
- लेकिन छात्रों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। बिना लेटर के उनका डर जायज़ है—अगर मान्यता रद्द हुई तो सालों की मेहनत और लाखों रुपये बर्बाद हो जाएंगे।
बीसीआई का भ्रष्टाचार: देशव्यापी मकड़जाल
SRMU का विवाद महज़ स्थानीय नहीं, बल्कि BCI की पुरानी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का हिस्सा है।
रिश्वत और दलाली
- CBI ने कई मौकों पर BCI के अधिकारियों और सदस्यों को रिश्वत लेते हुए पकड़ा।
- कॉलेजों को मान्यता देने के लिए लाखों-करोड़ों रुपये की डील होने की शिकायतें सार्वजनिक रिकॉर्ड का हिस्सा हैं।
- कई लॉ कॉलेज “पेपर पर” चल रहे हैं, लेकिन कागज़ी जाँच के बाद उन्हें BCI से मान्यता मिल जाती है।
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी
- सुप्रीम कोर्ट ने BCI को कई बार फटकार लगाई है: “लॉ शिक्षा को अपने भ्रष्टाचार और नाकामी से बर्बाद न करे।”
- कोर्ट ने बार-बार कहा कि फर्जी कॉलेजों और नकली डिग्रियों से देशभर के छात्रों का भविष्य खतरे में है।
राज्यों में फैलता भ्रष्टाचार
- पंजाब और हरियाणा की बार काउंसिल्स पर अचल संपत्ति और रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगे।
- केरल और कर्नाटक में भी छात्र और अभिभावक शिकायत करते हैं कि कॉलेज फीस वसूलते हैं लेकिन मान्यता फर्जी है।
- उत्तर प्रदेश में भी कई जिलों में “फर्जी लॉ कॉलेज” पकड़े गए, जो केवल नाम के थे, लेकिन डिग्री बेच रहे थे।
छात्रों पर असर: शिक्षा के नाम पर ठगी
- SRMU के छात्र और ABVP कार्यकर्ता बीसीआई और प्रशासन के भ्रष्टाचार का सामना कर रहे हैं।
- करोड़ों रुपये फीस और सालों की मेहनत दाँव पर लगी है।
- SRMU छात्रों का डर जायज़ है—यदि एफिलिएशन लेटर भ्रष्टाचार की वजह से लटका या रद्द हुआ, तो उनकी डिग्री और कैरियर खतरे में पड़ सकते हैं।
बीती रात का काला सच: लाठीचार्ज और विरोध
सोमवार की रात छात्रों का गुस्सा चरम पर था।
- ABVP के कार्यकर्ताओं और लॉ स्टूडेंट्स ने प्रदर्शन किया।
- माँग थी: “हमें हमारे भविष्य की गारंटी दो, BCI का एफिलिएशन लेटर दिखाओ।”
- शांतिपूर्ण प्रदर्शन अचानक पुलिस के लाठीचार्ज में बदल गया।
- कई छात्र और कार्यकर्ता घायल हो गए।
- राज्य मंत्री सतीश शर्मा अस्पताल पहुँचकर घायलों का हाल जाना।
पुतला दहन: गुस्से का विस्फोट
- छात्रों ने जिला प्रशासन का पुतला फूँका।
- उनका आरोप था कि प्रशासन ने उनकी आवाज़ दबाई।
- “जब हम न्याय पढ़ते हैं और बाहर अन्याय सहते हैं, तो यह कैसा लोकतंत्र है?”—एक छात्र का सवाल समाज को झकझोरता है।
छात्रों की मार्मिक व्यथा
राम , SRMU का दूसरे वर्ष का छात्र, कहता है:
“मेरे पिता किसान हैं। उन्होंने खेत गिरवी रखकर मेरी पढ़ाई का इंतज़ाम किया। अब जब सुनता हूँ कि BCI लेटर नहीं दे रही, तो दिल बैठ जाता है। ऊपर से पुलिस की लाठी ने हमारी आवाज़ दबा दी। क्या हम सिर्फ़ डिग्री के लिए नहीं, बल्कि न्याय के लिए भी भीख माँगेंगे?”
यह कहानी केवल राम की नहीं, बल्कि सैकड़ों छात्रों की है।
प्रशासन की सफाई और छात्रों का अविश्वास
- प्रशासन का कहना है कि यह सब महज़ तकनीकी देरी है।
- मगर छात्रों का अविश्वास गहराता जा रहा है। कारण साफ़ है—देशभर में BCI की कार्यप्रणाली पर लगते रहे भ्रष्टाचार के आरोप।
- जब संस्था का शीर्ष ही संदिग्ध हो, तो छात्रों को भरोसा दिलाना आसान नहीं है।
सुधार की माँग: पारदर्शिता और जवाबदेही
छात्रों और अभिभावकों की संभावित मांगें:
- RTI आधारित पारदर्शिता: हर कॉलेज के एफिलिएशन स्टेटस को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाए।
- सुपरवाइज्ड एफिलिएशन: रिश्वतखोरी रोकने के लिए BCI के कामकाज की नियमित निगरानी।
- सीधे छात्रों को सूचना: मान्यता, निरीक्षण और लेटर की स्थिति पर नियमित अपडेट।
- भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई: रिश्वत, दलाली और फर्जी डिग्री देने वाले कॉलेजों के खिलाफ CBI/ED की जांच।
टाइमलाइन: घटनाओं का सिलसिला
तारीख | घटना |
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2022-23 | SRMU को BCI से LL.B. पाठ्यक्रम की मान्यता मिली। |
2023-24 | विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन आवेदन कर दिया, लेकिन एफिलिएशन लेटर अब तक जारी नहीं। |
अगस्त 2025 | छात्र और ABVP कार्यकर्ता मान्यता की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने लगे। |
1 सितंबर 2025 | बीती रात पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया; कई घायल हुए। |
1सितंबर 2025 | छात्रों ने DM का पुतला फूँका, विरोध और गुस्सा सार्वजनिक हुआ। |
1सितंबर 2025 | कुलपति ने छात्रों को आश्वासन दिया कि BCI से एफिलिएशन लेटर जल्द जारी होगा। |
2सितंबर 2025 | राज्य मंत्री सतीश शर्मा ने घायल छात्रों से अस्पताल में मुलाकात की।, सीओ हटाए गए, इंस्पेक्टर दारोगा सिपाही लाइन हाजिर |
शिक्षा, न्याय और भविष्य
लखनऊ की सड़कों पर छात्र, पुलिस और पुतलों का यह दृश्य सिर्फ़ एक विश्वविद्यालय का विवाद नहीं है। यह उस व्यवस्था का चेहरा है जहाँ—
- छात्र भविष्य बचाने को सड़क पर उतरते हैं।
- BCI और प्रशासन मिलकर उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश करते हैं।
भ्रष्टाचार के इस मकड़जाल ने शिक्षा को धंधा बना दिया है।
और सबसे दुखद यह है कि इसकी कीमत वही छात्र चुका रहे हैं जो कल देश को न्याय देंगे।
अगर आज उनकी आवाज़ को लाठियों से कुचला गया, तो कल न्याय की लड़ाई कौन लड़ेगा?