“बाराबंकी में संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी पर गृहमंत्री अमित शाह की आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध में ज्ञापन सौंपा”

बाराबंकी : गृहमंत्री अमित शाह की आपत्तिजनक टिप्पणी के खिलाफ संघर्ष

21 दिसंबर को बाराबंकी जिले में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया, जब भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी पर गृहमंत्री अमित शाह द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष हाफिज अयाज अहमद की अगुवाई में किया गया। जिसमें पार्टी के सारे कार्यकर्ता मौजुद रहे। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी के निर्देश पर इस प्रदर्शन का उद्देश्य संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करना था, साथ ही गृहमंत्री अमित शाह से माफी की मांग की गई और उन्हें उनके पद से तत्काल बर्खास्त करने की अपील की गई।

आंदोलन का उद्देश्य और विचारधारा :-

यह विरोध प्रदर्शन गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहब अंबेडकर के बारे में की गई अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में आयोजित किया गया था, जिससे भारतीय दलित समुदाय, विशेष रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों की भावनाएं आहत हुईं। बाबा साहब अंबेडकर ने न केवल भारतीय समाज के दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया, बल्कि भारतीय संविधान को एक मजबूत ढांचा देने का कार्य भी किया। उनका योगदान भारतीय राजनीति और समाज में अनमोल है, और उनके कार्यों के प्रति अनादर या अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

समाजवादी पार्टी ने इस टिप्पणी का विरोध करते हुए यह आंदोलन शुरू किया था। विरोध प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य यह था कि देश की सरकार और गृहमंत्री को अपने शब्दों और कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए। इसके साथ ही, आंदोलनकारियों ने इस बात की मांग की कि गृहमंत्री अमित शाह से माफी मांगी जाए और उन्हें तुरंत अपने पद से बर्खास्त किया जाए।

प्रदर्शन और कार्यवाही :-

प्रदर्शन के दौरान, बाराबंकी के जिला मुख्यालय स्थित गन्ना दफ्तर में जिला अध्यक्ष हाफिज अयाज अहमद और पार्टी के वरिष्ठ नेता, पदाधिकारी एकत्रित हुए। यहां पर एक ज्ञापन तैयार किया गया, जिसमें गृहमंत्री अमित शाह की टिप्पणी के विरोध में कड़ा विरोध दर्ज किया गया। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि गृहमंत्री की टिप्पणी भारतीय संविधान के निर्माता के खिलाफ थी, जिससे संविधान और लोकतंत्र दोनों की बेइज्जती हुई थी।

ज्ञापन में मांग की गई कि गृहमंत्री अमित शाह को उनके पद से तत्काल बर्खास्त किया जाए और उन्हें दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि गृहमंत्री की टिप्पणी से देश के दलित और पिछड़े समुदाय का अपमान हुआ है, जो किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता।


बाबा साहब अंबेडकर के योगदान पर चर्चा :-

प्रदर्शन में उपस्थित नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के योगदान पर विस्तृत चर्चा की। बाबा साहब अंबेडकर का योगदान भारतीय समाज में व्यापक और गहरा था। उन्होंने भारतीय संविधान को इस प्रकार तैयार किया, जिससे हर भारतीय नागरिक को समान अधिकार मिले और समाज में व्याप्त असमानताओं को समाप्त किया जा सके। उन्होंने दलितों, पिछड़ों, महिलाओं और अन्य वंचित समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष किया।

डॉ. अंबेडकर ने भारतीय समाज में जातिवाद, भेदभाव और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई और भारतीय समाज को एक नया दृष्टिकोण दिया। उन्होंने भारतीय संविधान को इस प्रकार तैयार किया, जिसमें हर नागरिक को समान अधिकार दिए गए और किसी भी धर्म, जाति, लिंग या वर्ग के आधार पर भेदभाव की स्थिति समाप्त की गई।

उनकी दूरदृष्टि और संघर्ष ने भारतीय समाज को एक नया रूप दिया और भारतीय राजनीति में दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए मजबूत स्थान सुनिश्चित किया। उनका योगदान न केवल भारतीय संविधान तक सीमित है, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज के लिए एक ऐसी सोच विकसित की, जिससे समाज में समानता और न्याय की भावना फैल सके।

गृहमंत्री की टिप्पणी के प्रभाव :-

गृहमंत्री अमित शाह द्वारा की गई टिप्पणी ने न केवल बाबा साहब अंबेडकर के योगदान को नकारने का प्रयास किया, बल्कि इसने भारतीय समाज के दलित और पिछड़े वर्ग के लाखों लोगों की भावनाओं को भी आहत किया। ऐसे समय में जब समाज में समानता और न्याय की आवश्यकता है, गृहमंत्री द्वारा की गई टिप्पणी ने समाज में असमानता और भेदभाव को बढ़ावा देने का काम किया।

यह टिप्पणी भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक गंभीर समस्या बन गई, क्योंकि गृहमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति को भारतीय संविधान और समाज के सभी वर्गों के प्रति सम्मान और सेंसिटिविटी दिखानी चाहिए। इस टिप्पणी ने यह सवाल उठाया कि क्या हम समाज के सबसे कमजोर वर्गों के लिए एक समान और न्यायपूर्ण समाज बना सकते हैं, जबकि शीर्ष नेताओं की मानसिकता में असमानता और भेदभाव की भावना हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top