गरीबों की आंखों की रोशनी डॉ. विवेक वर्मा के पिता श्री, समाजसेवी सुरेश वर्मा जी नहीं रहे

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गरीबों की आंखों की रोशनी डॉ. विवेक वर्मा के पिता श्री, समाजसेवी सुरेश वर्मा जी नहीं रहे

तहलका टुडे टीम

बाराबंकी ने एक नेकदिल, समाजसेवी और प्रिंटिंग जगत के बड़े नाम सुरेश वर्मा जी को खो दिया। चेतना प्रिंटिंग प्रेस के मालिक और बाराबंकी प्रिंटिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश वर्मा जी का हार्ट अटैक से अचानक निधन हो गया। उनकी सादगी, नेकदिली और इंसानियत से भरी जिंदगी ने न जाने कितने लोगों के दिलों में जगह बनाई थी।

एक ऐसा शख्स, जो हमेशा दूसरों के लिए जिया

सुरेश वर्मा जी सिर्फ एक कारोबारी नहीं थे, बल्कि समाज सेवा और मानवीय संवेदनाओं का एक जीवंत उदाहरण थे। हर जरूरतमंद की मदद करना, गरीबों की आंखों का उजाला बनना, इंसानियत की सेवा को अपना कर्तव्य समझना—यही उनके जीवन का मूलमंत्र था। बाराबंकी में प्रिंटिंग इंडस्ट्री को एक नया मुकाम देने में उनकी अहम भूमिका रही। उनकी चेतना प्रिंटिंग प्रेस सिर्फ एक व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं, बल्कि एक मिशन था, जिसने कई लोगों को रोजगार दिया और समाज में नई रोशनी बिखेरी।

यादों में हमेशा जिंदा रहेंगे

तहलका टुडे के एडिटर सैयद रिजवान मुस्तफा ने उन्हें याद करते हुए अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा—
“मेरी उनसे पहली मुलाकात 1989 में लखपेड़ाबाग में उनकी चेतना प्रिंटिंग प्रेस पर हुई थी। तब से जो ताल्लुकात बने, वह आज तक कायम रहे। उनका स्नेह, सम्मान और मोहब्बत देने का अंदाज कभी नहीं भूल सकता। वह मिलनसार, मददगार और इंसानियत के सच्चे नुमाइंदे थे।”

परिवार और विरासत

उनका परिवार भी समाज सेवा की राह पर आगे बढ़ रहा है—

डॉ. विकास सिंह

डॉ. विवेक वर्मा, जो लक्ष्मी आई हॉस्पिटल के एमडी हैं और गरीबों की सेवा को अपना धर्म मानते हैं।

उनके साढ़ू विधायक रामचंद्र बख्श सिंह थे, जबकि उनके साले डॉ. समर बहादुर सिंह फतेहपुर में एक प्रतिष्ठित चिकित्सक और समाजसेवी हैं।

अचानक हुई जुदाई

उनके भांजे अजय वर्मा ने बताया कि रात 8 बजे अचानक हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया। दिनभर वे सामान्य थे, खाना खाया, परिवार से बातचीत की, और फिर अचानक इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

अंतिम संस्कार

उनका अंतिम संस्कार माती के हॉस्पिटल में किया जाएगा, जहां उनके चाहने वाले उन्हें अंतिम विदाई देंगे।

एक अधूरी रह गई कहानी

सुरेश वर्मा जी जैसे लोग अमर होते हैं। उनका जाना सिर्फ एक व्यक्ति का चला जाना नहीं, बल्कि इंसानियत, उदारता और सेवा भावना के एक युग का अंत है। उनके द्वारा किए गए अच्छे कार्य, उनकी नेकदिली और उनकी यादें हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगी। बाराबंकी ने आज एक सच्चा समाजसेवी खो दिया, जिसकी भरपाई शायद कभी नहीं हो सकेगी।

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